खुलकर सीखें के इस ब्लॉगपोस्ट The Address Class 11 Hindi Explanation में हम Class 11 NCERT English Snapshot Chapter 2 का लाइन बाई लाइन करके Hindi Explanation करना सीखेंगे।
लेकिन सबसे पहले The Address Class 11 Hindi Explanation के अंतर्गत हम इस चैप्टर के About the Author और फिर About the Lesson के बारे में पढ़ेंगे और उसके बाद इस इस चैप्टर का Summary देखेंगे।
-
1
The Address Class 11
- 1.1 The Address Class 11 About the Author
- 1.2 The Address About the Author in Hindi
- 1.3 The Address Class 11 About the Lesson
- 1.4 The Address About the Lesson in Hindi
- 1.5 The Address Class 11 Summary
- 1.6 The Address Summary in Hindi
-
1.7
The Address Class 11 Hindi Explanation
- 1.7.1 The Address Hindi Explanation – Para-1
- 1.7.2 The Address Hindi Explanation – Para-2
- 1.7.3 The Address Hindi Explanation – Para-3
- 1.7.4 The Address Hindi Explanation – Para-4
- 1.7.5 The Address Hindi Explanation – Para-5
- 1.7.6 The Address Hindi Explanation – Para-6
- 1.7.7 The Address Hindi Explanation – Para-7
- 1.7.8 The Address Hindi Explanation – Para-8
- 1.7.9 The Address Hindi Explanation – Para-9
The Address Class 11
The Address जिसका हिंदी अर्थ होगा – पता। इस चैप्टर को एक एक डच लेखिका मार्गा मिन्को के द्वारा लिखा गया है। चलिए Marga Minco के बारे में The Address Class 11 About the Author के माध्यम से थोड़ा विस्तार से जानते हैं।
The Address Class 11 About the Author
Marga Minco was born on 31st March 1920 in Ginneken, Netherlands. Her real name was Sara Menco & Marga Meno was her pen name. She was a Dutch Journalist and writer. She was married to the poet Bert Voeten. During the Second World War, his whole family was deported. Her first book, Bitter Herbs – a little chronicle, was published in 1957. She was also awarded many times for her work. She died on 10th July 2023, at the age of 103.
The Address About the Author in Hindi
मार्गा मिन्को का जन्म 31 मार्च, 1920 को गिन्नकेन, नीदरलैंड्स में हुआ था। उनका असली नाम सारा मेनको था और मार्गा मेनो उनका उपनाम था। वह एक डच पत्रकार, लेखिका थीं। उनका विवाह कवि बर्ट वोएटेन से हुआ था। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान उनके पूरे परिवार को निर्वासित कर दिया गया था। उनकी पहली पुस्तक, बिटर हर्ब्स – ए लिटिल क्रॉनिकल, 1957 में प्रकाशित हुई थी। उन्हें उनके कार्यों के लिए कई बार सम्मानित भी किया गया। 10 जुलाई 2023 को 103 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया।
The Address Class 11 About the Lesson
This short story ‘The Address’ poignantly describes the changes in the life of a daughter during the pre-war and post-war periods. Mrs. S. was a wealthy Jewish woman and Mrs. Dorling was a non-Jewish woman. Both were familiar with each other.
During the war, Mrs. S., in fear of losing everything, gives her estate to Mrs. Dorling to keep for her daughter. Mrs. S’s daughter loses her home and her mother during the war. But when she arrives at Mrs. Dorling’s house to reclaim her property she refuses to recognize her and will not let her into the house.
She somehow decides to go back once again. This time Mrs. Dorling is not at home and she is met by her daughter who lets her into the house and tells her to wait inside. There, when Mrs. S’s daughter sees all her possessions in front of her, she is unable to connect with them and leaves the house.
The Address About the Lesson in Hindi
यह लघुकथा ‘द एड्रेस’ युद्ध के पहले और युद्ध के बाद के समय की एक बेटी के जीवन में हुए बदलाव का मार्मिक वर्णन करती है। श्रीमती एस जो एक अमीर यहूदी महिला थीं और श्रीमती डॉर्लिंग एक गैर-यहूदी महिला थीं। दोनों एक-दूसरे से परिचित थीं।
युद्ध के दौरान, सब कुछ खो जाने के डर से श्रीमती एस अपनी संपत्ति अपनी बेटी के लिए श्रीमती डॉर्लिंग को रखने के लिए दे देती हैं। श्रीमती एस की बेटी युद्ध के दौरान अपना घर और अपनी माँ को खो देती है। लेकिन जब वह अपनी संपत्ति वापस लेने के लिए श्रीमती डॉर्लिंग के घर पहुंचती है तो वह उसे पहचानने से इनकार कर देती हैं और उसे घर में नहीं आने देती हैं।
वह किसी तरह एक बार फिर से वापस जाने का फैसला करती है। इस बार श्रीमती डॉर्लिंग घर पर नहीं रहती हैं और वह उनकी बेटी से मिलती है जो उसे घर के अंदर आने देती और अंदर इंतजार करने के लिए कहती है। वहाँ श्रीमती एस की बेटी अपनी सारी संपत्ति अपने सामने देखती तो वह उनसे जुड़ नहीं पाती है और घर छोड़कर चली जाती है।
The Address Class 11 Summary
This short story ‘The Address’ begins with a war victim returning to her native place. The story is about a daughter who returns to her home in Holland after the war to find her mother’s estate. Here, that daughter is the author herself.
She has the address of house number 46 in Marconi Street which was given to her by her mother. When she reaches the address, a woman answers the door but she refuses to acknowledge her. The author sees the woman wearing a green sweater knitted by her mother. Due to this, she becomes even more confident that she is in the right place. However, the woman did not deny knowing her mother.
Despite the author’s requests, the woman did not welcome her and did not allow her inside the house. The writer was going back when she started thinking about the past days. She had received this address years ago from her mother, which was Mrs. Dorling’s address.
On returning to her home after the war, she noticed that many things were missing from there. She learns that Mrs. Dorling was an old acquaintance of her mother. and her mother had entrusted all her valuable property to Mrs. Dorling for safekeeping.
The author thinks about going back to Mrs. Dorling’s house after many years to reclaim her property. At this second meeting, a fifteen-year-old girl answers the door who was Mrs. Dorling’s daughter. She says that her mother was not at home. The writer told her about her desire to meet her mother. The girl takes her into the house.
When the author sees the room filled with her mother’s belongings, she is surprised. The room was not the same as before but everything present there was very familiar. She feels very uncomfortable looking at her old things and no longer has any desire to get her mother’s property back. Ultimately she leaves that house and thinks of forgetting the address given by her mother.
In short, from ‘The Address Summary’ we learn about the complex emotions of humans such as trust, hope and betrayal as well as the side effects of war.
The Address Summary in Hindi
इस लघुकथा ‘द एड्रेस’ की शुरुआत युद्ध की एक पीड़िता के अपने मूल स्थान पर वापस जाने से होती है। यह कहानी एक बेटी के बारे में है जो युद्ध के बाद अपनी माँ की संपत्ति खोजने के लिए हॉलैंड में अपने घर लौटती है। यहाँ, वह बेटी लेखिका खुद हैं।
उनके पास मार्कोनी स्ट्रीट में मकान नंबर 46 का पता है जो उनको उनके माँ ने दिया था। जब वह उस पते पर पहुंचती है, तो एक महिला दरवाज़ा खोलती है लेकिन वह उनको पहचानने से इंकार कर देती है। लेखिका उस महिला को अपनी माँ का बुना हुआ हरा स्वेटर पहने हुए देखती हैं। जिससे, वह और भी आश्वस्त हो जाती हैं कि वह सही जगह पर है। हालांकि, महिला ने उनकी माँ को जानने से इनकार नहीं किया।
लेखिका के अनुरोध के बावजूद, उस महिला ने उनका स्वागत नहीं किया और उन्हें घर के अंदर आने नहीं दिया। लेखिका वापस जा रही थी तभी वह बीते दिनों के बारे में सोचने लगती है। यह पता उनको वर्षों पहले अपनी माँ से मिला था जो श्रीमती डोरलिंग का पता था।
युद्ध के बाद अपने घर लौटने पर, उन्होंने देखा कि वहाँ से बहुत सी चीज़ें गायब हैं। उन्हें पता चलता है कि श्रीमती डोरलिंग उनकी माँ की पुरानी परिचित थीं। और उनकी माँ ने अपनी सारी मूल्यवान संपत्ति को सुरक्षित रखने के लिए श्रीमती डोरलिंग को सौंप दी थीं।
लेखिका कई वर्षों के बाद अपनी संपत्ति पुनः लेने के लिए वापस श्रीमती डोरलिंग के घर जाने के बारे में सोचती हैं। इस दूसरी मुलाकात में, पंद्रह वर्षीय लड़की दरवाज़ा खोलती है जो श्रीमती डोरलिंग की बेटी थी। वह बताती है की कि उसकी माँ घर पर नहीं थी। लेखिका ने उसे उसकी माँ से मिलने की इच्छा के बारे में बताया। लड़की उसे घर में ले जाती है।
जब लेखिका कमरे को अपनी माँ की सामानों से भरा हुआ देखती हैं तो उनको आश्चर्य होता है। कमरा पहले जैसा नहीं था लेकिन वहाँ उपस्थित सभी चीज़ें बहुत परिचित थीं। अपनी पुरानी चीजों को देखकर वह बहुत असहज महसूस करने लगती हैं और अब उनमें अपनी माँ की संपत्ति को पुनः वापस पाने की कोई इच्छा नहीं रहती है। अंततः वह उस घर को छोड़कर चली जाती हैं और अपने माँ के द्वारा दिए गए उस पते को भूलने के बारे में सोचती हैं।
संक्षेप में, ‘द एड्रेस सारांश’ से हम मनुष्यों की जटिल भावनाओं जैसे विश्वास, आशा और विश्वासघात के साथ-साथ युद्ध के दुष्प्रभावों के बारे में सीखते हैं।
The Address Class 11 Hindi Explanation
अब हम Class 11 NCERT English Snapshot Chapter 2 यानी The Address Class 11 line by line Explanation करना शुरू करते हैं।
The Address Hindi Explanation – Para-1
Do you………………………for you.
‘क्या आप मुझे अभी भी जानती हैं?’ मैंने पूछा।
महिला ने मेरी ओर ध्यानपूर्वक देखा। उसने दरवाजा थोड़ा-सा खोल रखा था। मैं और निकट चली गई तथा सीढ़ी पर खड़ी हो गई।
‘नहीं, मैं तो तुम्हें नहीं जानती।’
‘मैं मिसेज ‘स’ की बेटी हूँ।’
वह महिला दरवाजे को इस प्रकार पकड़े खड़ी थी मानो वह उसे और अधिक खुलने देना नहीं चाहती थी। उसके चेहरे पर मुझे पहचान पाने का कोई चिह्न नहीं दिखा। वह मूक खड़ी मेरी ओर एकटक देखती रही।
शायद मुझसे गलती हो गई थी। मैने सोचा कि शायद यह महिला कोई अन्य हो। मैंने उसे केवल एक बार ही देखा था, वह भी उड़ती नजर से, और वह भी अनेक वर्ष पूर्व। नितान्त सम्भव था कि मैंने गलत घर की घंटी दबा दी हो। महिला एक ओर हट गई तथा दरवाजा छोड़ दिया। उसने मेरी माँ का हरा बुना हुआ कार्डिगन पहन रखा था। लकड़ी के बटन धुल-धुल कर पीले पड़ गए थे। उसने देखा कि मैं कार्डिगन पर दृष्टि गड़ाए हूँ, वह दरवाजे के पीछे आधी छिप गई। पर अब मैं जान गई थी कि मैं सही पते पर आई थी।
‘आप मेरी माँ को जानती थीं?’ मैंने पूछा।
‘तो क्या तुम वापस आ गई? महिला ने पूछा। ‘मैं तो सोचती थी कि कोई भी वापस अब तक नहीं आया है।’
‘केवल मैं ही लौट आई हूँ।’
महिला के पीछे गलियारे में एक दरवाजा खुला तथा बंद भी हो गया। उसमें से सीलनयुक्त गंध निकली।
‘मुझे खेद है मैं आपकी कोई मदद नहीं कर सकती।’
The Address Hindi Explanation – Para-2
I’ve come………………………regularly.
‘मैं यहाँ विशेष रूप से ट्रेन से आई हूँ। मैं आपसे एक मिनट बात करना चाहती थी।’
‘इस समय तो मेरे लिए सुविधाजनक नहीं है,’ महिला बोली। ‘मैं तुमसे बात नहीं कर सकती। फिर किसी दिन आना।’
उसने सिर हिलाया तथा सावधानीपूर्वक दरवाजा बंद कर लिया, मानो घर के किसी भी अन्य व्यक्ति को विघ्न न पड़े। मैं खड़ी रही सीढ़ी पर। खिड़की के सामने टँगा पर्दा हिला। किसी ने मुझे देखा तथा फिर वह पूछ सकती थी कि आप क्या चाहती है। ‘ओह, कुछ भी नहीं’, महिला ने उत्तर दे दिया होता। ‘कोई बात नहीं।’
मैंने पुनः नाम पट्टिका देखी। ‘डोरलिंग’ सफेद पट्टिका पर काले अक्षरों में लिखा था और दरवाजे के बाजू या पाखा पर कुछ ऊंचाई पर नम्बर लिखा था-46
जब मैं मंद कदमों से स्टेशन को लौटी, मुझे अपनी माँ की याद आई जिसने मुझे वर्षों पूर्व वह पता दिया था। यह बात है युद्ध के पूर्वार्द्ध की। मैं कुछ दिनो के लिए घर लौटी थी और मुझे तुरन्त लगा कि कई चीजें गायब हैं। मेरी माँ को आश्चर्य हुआ कि मैंने इतनी जल्दी यह बात नोट कर ली। फिर उसने मुझे मिसेज डोरलिंग के बारे में बताया। मैंने पहले उसके बारे में कभी नहीं सुना था, स्पष्ट था कि मेरी माँ की कोई पुरानी परिचित थी जिससे वह भी अनेक वर्षों से नहीं मिली थी। वह अचानक ही आ गई थी तथा उसने पुराने सम्पर्क को नया कर लिया। उसके बाद से वह नियमित रूप से आती रही थी।
The Address Hindi Explanation – Para-3
‘Every time………………………about it.
‘वह जब भी आती है, हर बार अपने साथ कोई न कोई चीजे ले जाती है’, मेरी माँ ने बताया। ‘वह एक बार में मेज के चाँदी के बर्तन, छुरी, काँटे आदि ले गई। और फिर वो प्राचीन काल की प्लेटें ले गई जो यहाँ टँगी थीं। उसे बड़े-बड़े फूलदानों को ले जाने में बहुत कठिनाई आई, और मुझे चिन्ता सता रही थी कि क्रॉकरी को ढोते-ढोते उसकी कमर में ऐंठन या अकड़न आ गई होगी।’ मेरी माँ ने सहानुभूतिपूर्वक अपना सर हिलाया। ‘मैं तो उसे ऐसा कहने की हिम्मत कभी न जुटा पाती। उसने स्वयं ही इस बात का सुझाव दिया। उसने हठ किया। वह मेरी सभी अच्छी चीजों को सुरक्षित रखना चाहती थी। यदि हम ये चीजें यहीं छोड़ देते हैं तो सब कुछ खो देंगे, वह कहती थी।’
‘क्या तुम उसकी बात से सहमत हो गई थी कि वह हर चीज रख ले?’ मैंने पूछा।
‘क्या यह पूछने की कोई जरूरत थी,’ मेरी माँ चीख कर बोली। ‘ऐसा पूछना तो उसका अपमान करना होता। और सोचो तो वह कितना खतरा उठा रही है, हर बार जब वह दरवाजे से बाहर सूटकेस अथवा बैग लेकर निकलती है, वह खतरा उठाती है।’ मेरी माँ ने जैसे देख लिया था कि मैं उसकी बात से सहमत नहीं हुई थी। उसने मेरी ओर धिक्कारते हुए देखा तथा उसके पश्चात् इस बारे में उसने कोई बात नहीं की।
The Address Hindi Explanation – Para-4
Meanwhile………………………remember that’.
इस बीच मैं स्टेशन पहुँच गई थी, रास्ते में मैंने किसी भी चीज पर कोई ध्यान नहीं दिया। मैं युद्ध के छिड़ने के बाद उन परिचित स्थानों पर पहली बार चल रही थी, पर मैं आवश्यकता से अधिक दूरी तय करने के मूड में नहीं थी। मैं उन सड़कों तथा घरों को देखकर अपने को दुखी नहीं करना चाहती, इन स्थानों से मेरी यादें जुड़ी थीं।
वापस गाड़ी में मैंने मिसेज डोर्लिंग की वही शक्ल देखी जैसी मैंने पहली बार मिलने पर देखी थी। जिस दिन मेरी माँ ने उसके बारे में बताया था, उसके बाद का वह दिन था। मैं जरा देर से सोकर उठी थी तथा सीढ़ियों से नीचे आने पर, मैंने पाया कि माँ किसी महिला को छोड़ने बाहर गई हैं। वह महिला चौड़ी पीठ या कमर वाली थी।
‘वह रही मेरी बेटी,’ माँ ने बताया। उसने मुझे इशारे से बुलाया।
महिला ने सर हिलाया, सूटकेस कोट रैंक के नीचे उठाया। वह एक भूरे रंग का कोट तथा आकृतिहीन हैट पहने थी।
‘क्या वह बहुत दूर रहती है?’ मैंने पूछा, जब मैंने महिला को भारी केस के साथ कठिनाईपूर्वक घर से बाहर निकलते देखा।
‘मार्कोनी स्ट्रीट में’ मेरी माँ ने बताया। ‘नम्बर-46 यह याद रखना।’
The Address Hindi Explanation – Para-5
I had………………………for her’.
मैंने वह नम्बर याद रखा था। पर मैंने वहाँ जाने के लिए लम्बी प्रतीक्षा की। आजादी के बाद प्रारम्भिक दिनों में मेरी उन संग्रहीत चीजों में कोई रुचि नहीं थी, और स्वाभाविक रूप से मुझे उनसे डर भी लगता था। मुझे उन चीजों से सामना करने में डर लग रहा था जिनका सम्बन्ध उन लोगों से था जो अब दुनिया में नहीं थे, उन चीजो को अलमारियों में तथा डिब्बों में छिपा कर रख दिया गया था और वे व्यर्थ ही प्रतीक्षा कर रही थीं कि कोई उन्हें यथास्थान पुनः सजा देगा; और जो मात्र इस कारण ही ठीक-ठाक बनी रहीं क्योंकि वे निजींव वस्तुएँ थीं।
पर धीरे-धीरे सब कुछ पुनः सामान्य हो गया। डबल रोटी फिर से हल्के रंग की मिलने लगी, आप बिना किसी खतरे के बिस्तर पर सो सकते थे, एक कमरा जिसके बाहर आपको रोज देखने की आदत पड़ गई थी। और एक दिन मुझे लगा कि मेरा मन अपनी उन सभी वस्तुओं के लिए लालायित हो गया जिन्हें उस घर में होना चाहिए था। मैं उन्हें देखना चाहती थी, उन्हें छूना तथा याद करना चाहती थी।
मिसेज डोर्लिंग के घर पर मेरी पहली कोशिश तो निष्फल रही थी, उसके बाद मैंने दोबारा कोशिश करने का निर्णय किया। इस बार एक 15 वर्षीय लड़की ने दरवाजा खोला। मैंने पूछा क्या माँ घर पर है।
‘नहीं, वह बोली, ‘मेरी माँ तो किसी काम से गई हुई है।’
‘कोई बात नहीं,’ मैंने कहा, ‘मैं उनकी प्रतीक्षा कर लूँगी।’
The Address Hindi Explanation – Para-6
I followed………………………Thank you’.
मैं लड़की के पीछे-पीछे गलियारे में चल दी। एक पुराने ढंग का शमादान दर्पण के बगल में लटका था। हमने इसे कभी इस्तेमाल नहीं किया था क्योंकि वह एकल शमादान से कहीं अधिक भारी-भरकम था।
‘क्या आप बैठेंगी नहीं?’ लड़की ने पूछा। उसने बैठक का दरवाजा खोल दिया और मैं अन्दर उससे आगे बढ़ गई। मैं ठहर गई, भयभीत हो गई। मैं ऐसे कमरे में थी जिससे मैं परिचित थी तथा जिसकी जानकारी मुझे न थी। मैंने स्वयं को उन वस्तुओं के बीच पाया जिन्हें मैं दोबारा देखना चाहती थी पर इस विचित्र माहौल में उन्हें देखकर मैं व्यथित हो गई अथवा मैं इस बात से दुखी हुई कि वे अव्यवस्थित तरीके से रखी थीं, फर्नीचर गंदा था, कमरे में उमसदार गंध आ रही थी। मैं ठीक से तो नहीं जानती, पर मेरा साहस नहीं हो रहा था कि कमरे के चारों ओर दृष्टि दौड़ाऊँ। उस लड़की ने एक कुर्सी खिसकाई। मैं बैठ गई और मैंने ऊनी मेजपोश पर दृष्टि डाली। मैंने उसे रगड़ा, मेरी अंगुलियाँ उसे रगड़ने के कारण गर्म हो गई। मैंने उस पर बने नमूने की लकीरों पर नजर दौड़ाई। उसके किनारे पर कहीं जलने का एक छेद या दाग होना चाहिए जिसे कभी भी भरा नहीं गया था।
‘मेरी माँ शीघ्र ही आ जाएगी,’ लड़की बोली। ‘मैंने उनके लिए चाय बना दी है। आप चाय लेंगी न? ‘धन्यवाद।’
The Address Hindi Explanation – Para-7
I looked………………………for example.
मैंने दृष्टि ऊपर उठाई। लड़की ने चाय के प्याले मेज पर रख दिए थे। उसकी पीठ भी चौड़ी थी, जैसी उसकी माँ की थी। उसने चाय एक सफेद केतली से प्यालों में उड़ेली। उसने एक डिब्बा खोला तथा कुछ चम्मच बाहर निकाले।
‘यह डिब्बा तो बहुत अच्छा है।’ मैंने स्वयं अपनी आवाज सुनी। आवाज विचित्र थी, मानो इस कमरे में हर आवाज भिन्न थी।
‘ओह, तो आपको इनके बारे में जानकारी है?’ वह मुड़कर मेरी चाय ले आई वह हँस दी। ‘मेरी माँ कहती है ये प्राचीन कला वस्तुएँ हैं। हमारे पास ऐसी तमाम वस्तुएँ हैं।’ उसने कमरे में चारों ओर इशारा किया। ‘स्वयं देख लीजिए।’
मुझे उसके हाथ के इशारों का अनुसरण करने की जरूरत नहीं थी। जिन चीजों को वह दिखाना चाहती थी मैं उन्हें जानती थी। मैंने चाय की मेज के ऊपर टँगे चित्र को देखा। जब मैं बच्ची थी, तो सदा ही जस्ते की प्लेट पर रखे सेब को खाने की कल्पना किया करती थी।
‘हम इसका उपयोग हर चीज रखने के लिए करते हैं,’ उसने बताया। ‘एक बार तो हमने दीवार पर लटकी प्लेटों पर खाना भी खाया था। मुझे इसकी उत्कृष्ट इच्छा थी। पर मुझे तो कोई विशेषता नहीं दिखी।’
मैंने मेजपोश पर बना जलने का चिह्न खोज लिया था। लड़की ने मेरी ओर खोजक दृष्टि से देखा।
मैंने कहा, ‘हाँ, ‘घर की इन सभी प्यारी वस्तुओं को तुम इतनी छूती रहती हो कि तुम उन्हें शायद ही और अधिक देख पाओगी। तुम केवल तभी ध्यान देती हो, जब कोई वस्तु खो जाती है, जैसे कि इसके कारण हैं- इसे मरम्मत करवानी है या तुमने उसे उधार दिया है।’
The Address Hindi Explanation – Para-8
Again I………………………my train’.
पुनः मुझे अपनी ही आवाज का अस्वाभाविक स्वर सुनाई दिया और मैं बोली, ‘मुझे याद है जब मेरी माँ ने मुझे एक बार बोला था कि क्या मैं चाँदी के बर्तनों को पॉलिश करने में मदद करूँगी। यह बात बहुत पुराने समय की है और मैं शायद उस दिन घर पर बैठी बोर हो रही थी अथवा शायद अस्वस्थ होने के कारण मुझे घर पर रुकना पड़ा था, चूंकि उसने मुझे पहले कभी ऐसे काम करने को नहीं कहा था। मैंने उससे पूछा कि चाँदी से आपका क्या तात्पर्य है, और उसने उत्तर दिया था, आश्चर्यपूर्वक, चम्मच, काँटे, चाकू आदि। और यह मेरे लिए नयी बात थी। मैं नहीं जानती थी कि चाकू, चम्मच आदि जिनसे हम प्रतिदिन अपना भोजन करते थे वे चाँदी के थे।
लड़की पुनः हँस दी थी।
‘मैं शर्त लगा सकती हूँ कि आपको इन चीजों के बारे में नहीं पता होगा।’ मैंने उसकी ओर गौर से देखा।
‘हम किन चीजों का इस्तेमाल डिनर मेज पर करते है?’ उसने पूछा।
‘तो क्या तुम जानती हो?’
वह संकोच में पड़ गई। वह बगल की अलमारी तक गई तथा एक दराज खोलने की कोशिश की। ‘मैं देखती हूँ- वह यहाँ है।’
मैं उछलकर खड़ी हो गई। ‘मैं गाड़ी के समय को भूल गई थी। मुझे तो गाड़ी पकड़नी जरूरी थी।’
The Address Hindi Explanation – Para-9
She had………………………easiest.
उसका हाथ दराज पर था। ‘क्या आप मेरी माँ से मिलने के लिए प्रतीक्षा नहीं करेंगी?’
‘नहीं, मुझे जाना जरूरी है।’ मैं दरवाजे की ओर चल दी। लड़की ने दराज खोल ली थी।
‘मैं अपना रास्ता स्वयं खोज लूँगी।’ जैसे मैं गलियारे में चली, मुझे चम्मचों तथा काँटों की खनखनाहट सुनाई दी।
सड़क के कोने पर मैंने वहाँ लगी नाम पट्टिका देखी। उस पर लिखा था ‘माकोंनी स्ट्रीट’। मैं 46 नं. वाले घर में थी। पता सही था। पर अब मैं उस पते को याद नहीं रखना चाहती थी। मैं वहाँ अब वापस कभी नहीं जाऊँगी क्योंकि जो चीजें आपके पूर्व काल के परिचित जीवन से जुड़ी हों, वे बेमानी हो जाती हैं जब आप उनसे कट गए हों और पुनः उन्हें अजनबी माहौल में देखें। और मैं उन चीजों का करूंगी भी क्या जबकि मेरा एक छोटा-सा किराए का कमरा है जहाँ ब्लैकआउट समय के काले कागजों के टुकड़े अभी भी खिड़की पर लटके थे तथा मुट्ठी भर छुरे, काँटे आदि पतली मेज की दराज में रखे थे?
मैंने उस पते को भूल जाने का दृढ़ निश्चय कर लिया। जिन तमाम चीजों को भूलना मेरे लिए मजबूरी थी, उनमें इस पते को भुला देना सर्वाधिक आसान था।