भौतिक एवं रासायनिक परिवर्तन, इसके प्रकार एवं जंग लगना Parivartan kya hai

खुलकर सीखें के इस ब्लॉगपोस्ट Parivartan kya hai में हम विज्ञान का एक टॉपिक परिवर्तन(Change) पर चर्चा करेंगे। इसमें हम समझेंगे की परिवर्तन क्या है? परिवर्तन किसे कहते हैं? परिवर्तन कितने प्रकार का होता है? भौतिक एवं रासायनिक परिवर्तन में क्या अंतर है? इत्यादि को हम उदाहरण के मदद से समझेंगे।

इसी के साथ हम जंग लगने(rusting) के बारे में भी समझेंगे जैसे; लोहे में जंग लगना कैसा परिवर्तन है? jang lagna kya hai? जंग का रासायनिक सूत्र क्या होता है? इसका रोकथाम कैसे किया जाए? जंग लगना कैसी अभिक्रिया है? इत्यादि।

इस पूरे लेख को पढ़ने के बाद आप भली-भाँति समझ जाएँगे की आखिर विज्ञान के दृष्टिकोण से भौतिक एवं रासायनिक परिवर्तन क्या ह? जंग लगना क्या होता है? और आपके मन में चल रहे परिवर्तन और जंग लगने से सम्बन्धित सभी डाउट भी समाप्त हो जाएंगे।

परिवर्तन(Change)

रोजमर्रा की जिंदगी में हमें अपने आस-पास बहुत से परिवर्तन दिखाई देते हैं। इन परिवर्तनों में एक या एक से अधिक पदार्थ सम्मिलित हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, आपकी माँ आपसे शीतल पेय बनाने के लिए पानी में शक्कर अर्थात चीनी घोलने के लिए कहती हैं। शक्कर का विलयन बनाना एक परिवर्तन है। इसी प्रकार दूध से दही जमाना एक अन्य परिवर्तन है। कभी-कभी दूध खट्टा हो जाता है। दूध का खट्टा होना भी एक परिवर्तन है। खींचा हुआ रबड़ बैंड भी एक तरह का परिवर्तन प्रदर्शित करता है।

परिवर्तन क्या है?(What is change?)

परिवर्तन का शाब्दिक अर्थ ‘बदलाव’ से है। जब कोई पदार्थ अपने प्रारम्भिक स्वरूप को छोड़कर किसी दूसरे स्वरूप में बदल जाता है तो इस घटना को परिवर्तन कहते हैं। परिवर्तन हमेशा समय के साथ होता है। सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड द्रव्य और ऊर्जा से मिलकर बना है तथा द्रव्य एवं ऊर्जा का परिवर्तन आपस में होता रहता है। ये परिवर्तन ही ब्रह्माण्ड के स्थायित्व का आधार है। द्रव्य का ऊर्जा में परिवर्तन आइंस्टीन के समीकरण E = mc2 के अनुसार होता है।

परिवर्तन के प्रकार(Types of Change)

व्यापक रूप से द्रव्य में होने वाले परिवर्तन दो प्रकार के होते हैं:

  1. भौतिक परिवर्तन
  2. रासायनिक परिवर्तन

आपने परिवर्तन की परिभाषा और उसके प्रकार को समझ लिया है। चलिए अब भौतिक एवं रासायनिक परिवर्तन को एक-एक करके समझते हैं।

भौतिक परिवर्तन(Physical Changes)

किसी पदार्थ के आकार, अवस्था, रंग, गंध, गलनांक, क्वथनांक, घनत्व, तनाव इत्यादि जैसे गुण उस पदार्थ के भौतिक गुण कहलाते हैं। और जब इन भौतिक गुणों में कोई परिवर्तन होता है तो हम सामान्य तौर पर इसको भौतिक परिवर्तन का नाम देते हैं।

इसको हम दूसरे शब्दों में कह सकते हैं की वह परिवर्तन, जिसमें किसी पदार्थ के भौतिक गुणों जैसे अवस्था, रंग, आकार, घनत्व इत्यादि में परिवर्तन हो जाता है, भौतिक परिवर्तन कहलाता है। भौतिक परिवर्तन सामान्यतः उत्क्रमणीय(reversible) होता है। ऐसे परिवर्तन में कोई नया पदार्थ नहीं बनता है और न ही इनके रासायनिक संघटन और द्रव्यमान में कोई परिवर्तन होता है।

भौतिक परिवर्तन के उदाहरण: जल का बर्फ में परिवर्तन, जल का वाष्प अथवा भाप में परिवर्तन, गलन(Melting), वाष्पन(Vaporisation), संघनन(Condensation), क्वथन(Boiling), हिमीकरण(Freezing), ऊर्ध्वपातन(Sublimation) इत्यादि क्रियायें भौतिक परिवर्तन हैं।

भौतिक परिवर्तन के गुण:
  1. भौतिक परिवर्तन अस्थायी(temporary) परिवर्तन है तथा इसे आसानी से पुनः(reverse) प्राप्त किया जा सकता है।
  2. इसमें केवल पदार्थ के भौतिक गुणों जैसे रंग, गंध, आकार इत्यादि में परिवर्तन होता है।
  3. भौतिक परिवर्तन में नए पदार्थ का निर्माण नहीं होता है।

रासायनिक परिवर्तन(Chemical Changes)

किसी पदार्थ के अम्लता, क्षारकता, विषाक्तता, ज्वलनशीलता और दहनशीलता इत्यादि जैसे गुण उस पदार्थ के रासायनिक गुण कहलाते हैं। और जब इन रासायनिक गुणों में कोई परिवर्तन होता है तो सामान्यतया हम इसको रासायनिक परिवर्तन का नाम देते हैं। रासायनिक परिवर्तन जब भी होता है तो एक या एक से अधिक नए पदार्थ बनते हैं।

अतः हम कह सकते हैं की वह परिवर्तन, जिसमें एक अथवा एक-से अधिक नए पदार्थ बनते हैं, रासायनिक परिवर्तन कहलाता है। रासायनिक परिवर्तन सामान्यतः अनुत्क्रमणीय(irreversible) होता है। ऐसे परिवर्तन में पदार्थ के अणुओ के रासायनिक संघटन और द्रव्यमान बदल जाते हैं और एक नए पदार्थ का निर्माण होता है। इसीलिए, रासायनिक परिवर्तन को रासायनिक अभिक्रिया भी कहते हैं।

रासायनिक परिवर्तन के उदाहरण: दहन(Combustion), जंग लगना(Rusting), रासायनिक आभिक्रियाएँ(Substitution Reacations), अपघटन अभिक्रियाएँ(Decomposition Reactions) इत्यादि क्रियायें रासायनिक परिवर्तन के उदाहरण हैं।

रासायनिक परिवर्तन के गुण:
  1. रासायनिक परिवर्तन स्थायी(permanent) परिवर्तन हैं।
  2. रासायनिक परिवर्तन के फलस्वरूप पदार्थों के रासायनिक गुण परिवर्तित हो जाते हैं तथा नये बने पदार्थ के गुण, मूल पदार्थ से भिन्न होते हैं।
  3. रासायनिक परिवर्तन को पुनः आसानी से प्राप्त किया नहीं जा सकता है।
  4. रासायनिक परिवर्तन में नया परमाणु नहीं बनता है। एक तत्व दूसरे तत्व में परिवर्तित नहीं होता है। रासायनिक अभिक्रिया में केवल परमाणु पुर्नव्यवस्थित होते हैं।

रासायनिक परिवर्तन हमारे जीवन में अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। सभी नए पदार्थ रासायनिक परिवर्तनों के परिणामस्वरूप ही बनते हैं। उदाहरण के लिए; भोजन का पाचन, फलों का पकना, अंगूरों का किण्वन आदि विभिन्‍न रासायनिक परिवर्तनों के कारण होता है। औषधि भी रासायनिक अभिक्रियाओं की श्रृंखला का अन्त्योउत्पाद होती है। उपयोगी नए पदार्थ जैसे, प्लास्टिक और अपमार्जकों(Detergents) को रासायनिक अभिक्रियाओं द्वारा ही बनाया जाता है। वास्तव में, प्रत्येक नए पदार्थ की खोज रासायनिक परिवर्तनों का अध्ययन करके की गई है।

रासायनिक परिवर्तन में एक या एक-से अधिक नए पदार्थ निर्मित होते हैं। नए उत्पादों या पदार्थों के अतिरिक्त, रासायनिक परिवर्तन में निम्न घटनाएँ भी हो सकती हैं:

  • ऊष्मा, प्रकाश अथवा किसी अन्य प्रकार के विकिरण (उदाहरण के लिए, पराबैंगनी ) का निर्मुक्त (बाहर निकलना) अथवा उनका अवशोषित होना।
  • ध्वनि का उत्पन्न होना।
  • गंध में परिवर्तन होना अथवा किसी नई गंध का बनना।
  • रंग में परिवर्तन होना।
  • किसी गैस का बनना।
लोहे में जंग लगना

लोहे में जंग लगना एक ऐसा परिवर्तन है, जिससे आप भली-भाँति परिचित हैं। यदि आप लोहे के एक टुकड़े को कुछ दिनों के लिए खुले में छोड़ दें, तो इस पर भूरे रंग के पदार्थ की परत जम जाती है। यह पदार्थ जंग कहलाता है और यह प्रक्रम जंग लगना कहलाता है।

यह एक ऐसा परिवर्तन है, जो लोहे की वस्तुओं को प्रभावित करता है और धीरे-धीरे उन्हें नष्ट कर देता है। चूँकि लोहे का उपयोग सेतु (पुल), जहाज, कार, ट्रक आदि का ढाँचा बनाने और अन्य कई वस्तुओं को बनाने के लिए किया जाता है, अत: जंग लगने के कारण होने वाली आर्थिक हानि बहुत अधिक होती है।

जंग लगने की प्रक्रिया को निम्नलिखित समीकरण द्वारा व्यक्त किया जा सकता है:
लोहा (Fe) + ऑक्सीजन (O2, वायु से) + जल (H2O) → जंग (आयरन ऑक्साइड, Fe2O3)

जंग लगने के लिए ऑक्सीजन और जल (अथवा जलवाष्प) दोनों की उपस्थिति अनिवार्य है। इसकी पुष्टि आप अपने आस-पास निरीक्षण करके कर सकते हैं। पार्क अथवा लॉन के लोहे के दरवाज़े अथवा बगीचों या पार्क में रखी लोहे की बैंच और लोहे की लगभग कोई भी वस्तु, जो खुले में रखी रहती हैं, में जंग लग जाती है।

आपने देखा होगा कि घर में रखी कुल्हाड़ी, हथौड़ा आदि को वायु में कुछ दिनों तक खुला रख देने पर उनमें जंग लग जाती है। रसोई में लोहे का गीला तवा कुछ समय तक खुला छोड़ देने पर उसमें जंग लग जाती है। ऐसे इसीलिए होता है क्योंकि वायुमण्डल में ऑक्सीजन और नमी उपस्थित होता है जोकि लोहे की किसी भी वस्तु पर जंग को अंजाम देता है। ये बात विशेष रूप से याद रखें की जंग लोहा नहीं है। जंग उस पदार्थ (लौह) से बिल्कुल अलग होती है, जिस पर यह लगती है।

जंग लगने से रोकथाम

लोहे की वस्तुओं को ऑक्सीजन और जल अथवा दोनों के संपर्क में आने से बचाकर ही ऐसा किया जा सकता है। इसका एक सरल उपाय उन पर पेंट अथवा ग्रीज़ की एक परत चढ़ाना है। वास्तव में, लोहे की सभी वस्तुओं पर नियमित रूप से पेंट अथवा ग्रीज़ की परत चढ़ाते रहना चाहिए, जिससे उनमें जंग लगने को रोका जा सके। एक अन्य उपाय लोहे के ऊपर क्रोमियम अथवा जस्ता(Zinc) जैसी किसी धातु की परत चढ़ाना है। लोहे पर जिंक की परत चढ़ाने का प्रक्रम यशद्‌-लेपन (Galvanization) कहलाता है। अपने घरों में पानी की आपूर्ति के लिए उपयोग होने वाले लोहे के पाइप यशद्‌-लेपित होते हैं, जिससे उनमें जंग नहीं लगता।

स्टेनलेस स्टील लोहे में कार्बन और क्रोमियम, निकैल तथा मैंगनीज जैसी धातुओं को मिलाकर बनाया जाता है। इसीलिए इसमें जंग नहीं लगती है।

भौतिक एवं रासायनिक परिवर्तन में अंतर

FAQs

परिवर्तन क्या है?

जब कोई पदार्थ समय के साथ अपने प्रारम्भिक अवस्था को छोड़कर किसी दूसरे अवस्था में बदल जाता है तो इस घटना को परिवर्तन कहते हैं। परिवर्तन हमेशा समय के साथ होता है।

जंग लगना क्या है?

जब किसी लोहे की वस्तु को खुले में छोड़ दिया जाता है तो उस पर भूरे रंग के पदार्थ की एक परत जम जाती है, इसी पदार्थ को जंग कहते हैं और ये प्रक्रम जंग लगना कहलाता है।

आज आपने क्या सीख?

इस ब्लॉगपोस्ट में आपने सीखा की parivartan kise kahate hain, bhautik parivartan kya hai, rasayanik parivartan kise kahate hain, भौतिक एवं रासायनिक परिवर्तन के गुण और उदाहरण क्या हैं? bhautik parivartan rasayanik parivartan mein antar क्या होता है? इत्यादि।

इसी के साथ हमने ये भी सीखा की लोहे में jang lagna kya hai, इसका रोकथाम कैसे किया जाए? jang lagne ka formula अर्थात jang lagne ka rasayanik sutra क्या होता है? इत्यादि के बारे में विस्तार से समझा।

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Jalandhar Paswan is pursuing Master's in Computer Applications at MMMUT Campus. He is Blogger & YouTuber by the choice and a tech-savvy by the habit.

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