खुलकर सीखें के इस ब्लॉगपोस्ट Deep Water Class 12 Hindi Summary & Explanation में हम Class 12 NCERT English Flamingo Prose Chapter 3 यानि Deep Water Class 12 का सारांश और लाइन बाई लाइन करके हिन्दी व्याख्या करना सीखेंगे।
सबसे पहले Deep Water Class 12 Hindi Summary के अंतर्गत आप Deep Water चैप्टर का About the Author फिर About the Lesson को पढ़ेंगे और फिर इस चैप्टर का Summary पढ़ने के बाद आप इस पाठ के एक-एक लाइन का हिंदी अनुवाद भी इसी पेज पर पढ़ सकेंगे।
Deep Water Class 12
Deep Water का हिंदी अर्थ होगा – गहरा जल। इस चैप्टर को एक कानून-विशेषज्ञ न्यायाधीश विलियम डगलस के द्वारा लिखा गया है। चलिए William Douglas के बारे में थोड़ा विस्तार से जानते हैं।
About the Author – William Douglas
William Douglas (1898–1980) was a legal expert and the longest-serving justice in the U.S. Supreme Court. He was a strong supporter of individual rights. His book, Of Men and Mountains, includes personal experiences, like the fear of drowning, which he overcame. This essay is taken from that book.
About the Author in Hindi
विलियम डगलस (1898-1980) एक कानून-विशेषज्ञ और यू.एस. सुप्रीम कोर्ट में सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले न्यायाधीश थे। वे व्यक्तिगत अधिकारों के प्रबल समर्थक थे। उनकी पुस्तक, ‘ऑफ मेन एंड माउंटेंस’ में डूबने के डर जैसे व्यक्तिगत अनुभव शामिल हैं, जिस पर उन्होंने काबू पाया। यह निबंध उसी पुस्तक से लिया गया है।
About the Lesson
The story “Deep Water” is about overcoming fear. Douglas shares a personal incident where he nearly drowned in a swimming pool as a child. The event left him terrified of water for years. However, he eventually overcame this fear through determination and persistence. The lesson highlights how fear can be conquered and how doing so can lead to freedom and confidence.
About the Lesson in Hindi
कहानी “डीप वॉटर” डर पर काबू पाने के बारे में है। डगलस एक व्यक्तिगत घटना साझा करते हैं, जब वे एक बच्चे के रूप में स्विमिंग पूल में लगभग डूब गए थे। इस घटना ने उन्हें सालों तक पानी से भयभीत कर दिया। हालाँकि, उन्होंने अंततः दृढ़ संकल्प और दृढ़ता के माध्यम से इस डर पर काबू पा लिया। यह पाठ इस बात पर प्रकाश डालता है कि कैसे डर पर विजय प्राप्त की जा सकती है और ऐसा करने से कैसे स्वतंत्रता और आत्मविश्वास प्राप्त होता है।
Deep Water Class 12 Summary
Douglas had a terrifying experience at the YMCA swimming pool when he was about 10 or 11 years old. A bigger boy pushed him into the deep end of the pool, and he struggled to survive. He experienced a sense of helplessness and came close to drowning. This incident left him with a deep fear of water.
Later, Douglas decided to face his fear. With the help of an instructor, he learned to swim step by step. Gradually, he overcame his terror through practice and willpower. Finally, he swam across lakes and fully conquered his fear of water.
The story teaches that fear is often more daunting than the actual danger and can be defeated with courage and effort.
Deep Water Summary in Hindi
जब डगलस लगभग 10 या 11 साल के थे, तब उन्हें YMCA स्विमिंग पूल में एक भयानक अनुभव हुआ था। एक बड़े लड़के ने उन्हें पूल के गहरे छोर पर धकेल दिया, और वे बचने के लिए संघर्ष करते रहे। उन्हें असहायता का एहसास हुआ और वे डूबने के करीब पहुँच गए। इस घटना ने उन्हें पानी से गहरा डर दिया।
बाद में, डगलस ने अपने डर का सामना करने का फैसला किया। एक प्रशिक्षक की मदद से, उसने कदम दर कदम तैरना सीखा। धीरे-धीरे, उसने अभ्यास और इच्छाशक्ति के माध्यम से अपने डर पर काबू पा लिया। अंत में, उसने झीलों को तैरकर पार किया और पानी के अपने डर पर पूरी तरह से विजय प्राप्त की।
कहानी सिखाती है कि डर अक्सर वास्तविक खतरे से अधिक भयावह होता है और साहस और प्रयास से इसे हराया जा सकता है।
Deep Water Class 12 Explanation in Hindi
अब हम Class 12 NCERT English Flamingo Prose Chapter 3 यानी Deep Water Class 12 Paragraph wise Explanation करना शुरू करते हैं।
Deep Water Hindi Explanation – Para-1
It had………………………did it.
यह तब हुआ जब मैं कोई दस या ग्यारह वर्ष का था। मैंने तैरना सीखने की ठान ली थी। यकीमा में वाई.एम.सी.ए. के अंदर एक तालाब था जो ठीक ऐसा अवसर देता था। यकीमा की नदी खतरनाक थी। माँ सदा इसके खिलाफ चेतावनी देती रहती थी और वह डूबने का विस्तृत वर्णन मेरे दिमाग में ताजा बनाए रखती थी। परंतु वाई.एम.सी.ए. का ताल सुरक्षित था। उथले किनारे पर तो यह केवल दो या तीन फुट ही गहरा था और यद्यपि दूसरे किनारे पर यह नौ फुट गहरा था, गहराई धीरे-धीरे बढ़ती थी। मैंने जलपरों का एक जोड़ा उठाया और ताल की ओर चल पड़ा। उसके अंदर नंगे जाकर अपनी पतली-पतली टाँगें दिखाना मुझे कतई पसंद न वा। पर मैंने अपने अभिमान को दबाया और वह किया।
Deep Water Hindi Explanation – Para-2
From the………………………for others.
पर प्रारंभ से ही, पानी के अंदर होने पर मुझे पानी से घृष्णा होती थी। यह तब से प्रारंभ हुई जब मैं तीन या चार वर्ष का था और पिता मुझे केलीफोर्निया के समुद्रतट पर ले गए थे। वे और मैं टकराती लहरों के बीच खड़े थे। मैं उन्हें पकड़े हुए बा. फिर भी लहरों ने मुझे गिरा दिया और मेरे ऊपर से गुजर गयी। मैं पानी के अंदर दफन हो गया था। मेरी साँस रूक गई थी। मैं डरा हुआ था। पिता हँस रहे थे परन्तु लहरों को पराजित करने वाली शक्ति का आतंक मेरे दिल में था।
वाई.एम.सी.ए. के तरणताल के परिचय ने दुःखद यादों को पुनर्जीवित कर दिया और बचपन के डर को जगा दिया। पर कुछ देर में ही मुझमें आत्मविश्वास आ गया। अपने नए जल-परों को पहने मैंने हाथ-पैर मारना प्रारंभ किया और दूसरे लड़कों की नकल करके सीखने का प्रयत्न किया। अलग-अलग दिनों में मैंने तीन-चार बार ऐसा किया और अभी आत्मविश्वास आना प्रारंभ ही हुआ था कि तब एक दुर्घटना हो गई।
मैं ताल पर गया जब कोई और वहाँ नहीं था। जल शांत था और टाइल लगा हुआ तल स्नान के टब की भाँति सफेद और स्वच्छ था। अकेले अंदर प्रवेश करके मैं डर रहा था, अतः अन्यों की प्रतीक्षा करते हुए मैं तालाब के एक तरफ बैठ गया।
Deep Water Hindi Explanation – Para-3
I had………………….my mouth.
मुझे अभी वहाँ अधिक देर नहीं हुई थी कि एक शक्तिशाली आदमी जैसा लड़का वहाँ आया, कोई अठारह वर्ष का होगा। उसकी छाती पर घने काले बाल थे। वह सुंदर स्वास्थ्य का नमूना था, उसकी टांग और बाजू की मांसपेशियों लहरा रही थी। वह चीखा, ‘ओ पलतू! तुम्हें डूबना कैसा लगेगा?’ इसके साथ ही उसने मुझे उठा लिया और मुझे पानी में फेंक दिया। मैं बैठी हुई स्थिति में आकर गिरा, पानी निगला और तुरंत ही तल पर पहुँच गया। मैं डर गया पर अभी इतना नहीं कि होश-हवाश खो दूँ। नीचे गिरते हुए मैंने योजना बनाई। जब मेरे पैर जमीन पर पड़ेंगे मैं, बड़ी छलांग लगाऊँगा, सतह पर आ जाऊँगा, और उस पर सीधा लेट जाऊँगा फिर तैर कर ताल के किनारे पर पहुँच जाऊँगा।
नीचे का रास्ता बड़ा लम्बा लग रहा था। वो नौ फुट, नब्बे फुट की तरह लग रहे थे और इससे पहले ही मैं जमीन छु लूँ इससे पहले ही मेरे फेफड़े फटने लगे थे। पर जब मेरे पैर जमीन पर लगे, मैंने अपनी पूरी ताकत जुटाई और अपने ख्याल से मैंने ऊपर की ओर एक बड़ी-छलांग लगायी। मैंने सोचा कि में कार्क की तरह उछल कर सतह पर आऊँगा, इसके बजाय मैं धीरे-धीरे ऊपर आया। मैंने आँखें खोलीं तो पानी के अतिरिक्त कुछ न था- ऐसा पानी जो कुछ मैले पीले रंग का था। मैं घबराते हुए आगे बढ़ा और ऊपर आया, जैसे कि किसी रस्सी को पकड़ना चाहता हूँ मेरे हाथ सिर्फ पानी ही लगा। मेरा दम घुट रह था। मैंने चीखने की कोशिश की पर कोई आवाज बाहर नहीं आयी। फिर मेरी आँखें और नाक पानी के बाहर आया पर मेरा मुँह नहीं।
Deep Water Hindi Explanation – Para-4
I failed………………………alive.
मैं हाथ-पैर मारता सतह तक आया, पानी निगला और गला रूंध गया। मैंने अपनी टाँगों को ऊपर लाने की कोशिश की पर वे निर्जीव बोझ बनी लटकी रहीं, बिल्कुल संज्ञाहीन और जड़वत। एक बड़ी शक्ति मुझे नीचे खींच रही थी। मैं चीखा पर मेरी आवाज सिर्फ पानी ने सुनी। ताल के तल की ओर की लंबी यात्रा मैंने पुनः प्रारंभ कर दी थी।
नीचे जाते हुए पानी पर जोर आजमाया, मैं अपनी शक्ति उस तरह व्यय कर रहा था जैसे भयानक स्वप्न के अंदर कोई किसी अपराजेय शक्ति से लड़ रहा हो। मेरी साँस फूल गई थी। मेरे फेफड़ों में दर्द हो रहा था, मेरा सिर धक-धक रहा था, मुझे चक्कर आ रहा था। पर मुझे योजना का पता था मैं ताल के तल से छलांग लगाऊँगा और कार्क की तरह सतह पर आऊँगा। मैं पानी के ऊपर सीधा लेट जाऊँगा, अपने बाजू से पानी काटूंगा और टाँगे मारूंगा। इस प्रकार मैं ताल के ऊपर आ जाऊँगा और सुरक्षित हो जाऊँगा।
मैं नीचे, नीचे अनंत रूप से चलता गया। मैंने अपनी आँखें खोली। पीले पानी के अतिरिक्त कुछ भी न था। अँधेरा सा पानी जिसके पार कुछ नजर न आता था और तब पूर्ण रूप से भय ने मुझे काबू कर लिया, वह भय जहाँ समझ काम नहीं करती है, वह भय जो काबू के बाहर हो जाता है, वह भय जो वही जान सकता है जिसने उसे अनुभव किया हो। मैं पानी के नीचे चीख रहा था। मैं पानी के नीचे संज्ञाशून्य हो गया था। डर से कठोर और जड़वत। मेरे गले से निकलने वाली चीखें भी जम गई थी। केवल मेरा दिल और मेरे सिर की धड़कन कह रही थी मैं कि अभी मैं जीवित हूँ।
Deep Water Hindi Explanation – Para-5
And then………………………life fell.
और तब आतंक के बीच कुछ समझ की बात याद आई। जब मैं तल पर पहुँचू तब मुझे छलांग लगाने की बात याद रहे। अंततः मैंने अपने नीचे फर्श की टाइलों का अहसास किया। मानों उन्हें पकड़ने के लिए, मेरे पाँव आगे बढ़े। अपनी पूरी ताकत से मैं कूदा। परंतु मेरी छलांग से कोई अन्तर नहीं पड़ा। पानी अब भी मेरे चारों ओर था। मैंने रस्सियाँ, सीढ़ियाँ, जल परों को तलाशा। पानी और केवल पानी। पीले पानी की एक बड़ी मात्रा ने मुझे घेर रखा था। शुद्ध भय ने एक बार फिर मुझे जकड़ लिया था, मानो बिजली का कोई बड़ा चार्ज हो। डर से मैं हिल और काँप रहा था। मेरे बाजू हिल नहीं रहे थे। मेरी टाँगें हिल नहीं पा रही थीं। मैंने सहायता के लिए आवाज लगाने का प्रयत्न किया, अपनी माँ को आवाज देनी चाही। कुछ नहीं हुआ।
मैं और तब, विचित्र बात थी, प्रकाश हो गया। मैं डरावने पीले पानी से बाहर आ रहा था। कम से कम मेरी आँखें आ रही थीं। मेरी नाक भी लगभग बाहर थी फिर मैं तीसरी बार नीचे की ओर चल पड़ा मैंन हवा खींचनी चाही पर पानी अंदर गया। पीली रोशनी बुझने लगी थी। तब सारे प्रयत्न थम गए। मुझे चैन आ गया। मेरी टाँगें भी शक्तिहीन अनुभव कर रही थीं, और मेरे दिमाग पर अँधेरा-सा छा गया था। इसने डर से छुटकारा दिलाया, इसने आतंक को मिटा दिया, अब कोई घबराहट न थी। सब कुछ निःशब्द और शांत था। डरने के लिए कुछ न था। यह अच्छा था… उनींदा होना… सो जाना… अब छलांग लगाने की जरूरत न थी… इतना थक चुका था कि छलांग भी न लगा सकता था… अच्छा है आराम से कोई उठाकर ले जा रहा था… मुक्त आकाश में बढ़ने के लिए… मैं किसी नाजुक हाथों में था… माँ के जैसे नाजुक हाथों में… अब मुझे सोना ही होगा…। मैं बेहोशी के संसार में पहुँच गया और जीवन का पर्दा गिर गया।
Deep Water Hindi Explanation – Para-6
The next………………..and swimming.
अगली बात जो मुझे याद है वह यह कि मैं ताल के किनारे पेट के बल लेटा हुआ उलटियाँ कर रहा था। मुझे अंदर फेंकने वाला व्यक्ति कह रहा था, “पर मैं तो सिर्फ मजाक कर रहा था।’ कोई बोला, ‘बच्चा लगभग मर ही गया था। अब शांत, शांत हो जाओ चलो इसे लेकर रूम में चलें। कई घंटे बाद मैं चलकर घर गया। मैं कमजोर था और काँप रहा था। बिस्तर पर लेटा तो मैं हिल और रो रहा था। उस रात मैं भोजन न कर सका। कई दिनों तक मेरे दिल में एक भय बना रहा। थोड़ा-सा जोर लगाने पर ही मैं बेहाल हो जाता था, मेरे घुटने अस्थिर हो जाते और मेरे पेट में दर्द हो जाता। मैं उस ताल पर कभी वापस नहीं गया। मैं पानी से डरता था। जहाँ भी हो सकता, मैं उससे बचने का प्रयत्न करता। कुछ वर्षों बाद मैंने झरनों के पानी को देखा। तब मैं उसमें जाना चाहता था और जब भी. मैंने ऐसा किया चाहे वह टीटन या बंपिंग नदी को चलकर पार करना हो या गोट रॉक्स की गर्म झील में नहाना हो वह आतंक जो ताल में मुझे वशीभूत कर चुका था। वापस मेरे पास लौट आता था। मैं पूरी तरह इसके वश में हो जाता था। मेरी टांगें संज्ञाशून्य हो जाती थीं। एक बर्फीला भय मेरे दिल को जकड़ लेता था।
साल दर साल बीतते गए और यह असमर्थता मेरे अंदर बनी रही। मेन की झीलों में नौकाओं में बैठ जमीन से घिरी सेलमन मछली को पकड़ना, न्यू हैंपशायर में वेंस मछली का शिकार और आरेगन के मेट्रोलियस, डेस्यूट्स में ट्राउट मछली को पकड़ना, कोलंबिया और बंपिंग लेक के झरनों में सेलमन को पकड़ना-जहाँ भी जाता, जल का आतंकित करने वाला हर मेरा पीछा करता रहता। यह मेरे मछली पकड़ने के ट्रिप को तबाह कर देता, मुझे छोटी नाव, बड़ी नाव चलाने और तैरने के आनंद से वंचित कर देता।
Deep Water Hindi Explanation – Para-7
I used……………………… underwater.
मैंने अपनी जानकारी में हर तरीका इस भय पर विजय पाने के लिए अपनाया पर इसने मुझे कसकर पकड़े रखा। अंततः एक अक्टूबर मास में मैंने तैरना सीखने के लिए एक शिक्षक नियुक्त करने का निर्णय किया। मैं एक ताल पर जाकर एक सप्ताह में पाँच दिन, प्रतिदिन एक घंटे तक अभ्यास करता। शिक्षक मेरे चारों ओर एक पेटी बाँध देता। बेल्ट से एक रस्सी बंधी होती जो एक पुली से होकर जाती जो सिर के ऊपर एक तार की रस्सी पर दौड़ती। वह रस्सी के किनारे को पकड़े रहता और हम आगे-पीछे जाते रहते। घंटे के बाद घंटा, दिन के बाद दिन, हफ्ते के बाद हफ्ता हम ताल में एक तरफ से दूसरी तरफ आगे- पीछे जाते रहे। ताल के आर-पार की हर यात्रा में कुछ भय मेरे मन में बना रहता। हर बार जब शिक्षक रस्सी पर अपनी पकड़ ढीली करता और मैं पानी के अंदर चला जाता, पुराने आतंक का कुछ अंश लौट आता और मेरी टांगें जम जाती। मेरा तनाव कम होने में तीन महीने लग गए। तब उसने मुझे पानी के अंदर मुँह डालकर साँस छोड़ना सिखाया और नाक उठाकर साँस लेना। मैंने यह व्यायाम सैंकड़ों बार किया। धीरे-धीरे करके, उस घबराहट का एक भाग जाता रहा जो मुझे पानी के अंदर सिर डालने पर होती थी।
इसके बाद ताल के किनारे पर वह मुझे पकड़े रहा और मैं पानी में टाँगें मारता रहा। हफ्तों तक में यही करता रहा। पहले पहल तो मेरी टांगों ने जवाब ही दे दिया पर धीरे-धीरे वे तनाव-हीन होने लगी और अंततः में उन्हें आशा दे सका। इस प्रकार टुकड़े-टुकड़े करके उसने एक तैराक बनाया और जब उसने हर टुकड़े को त्रुटिहीन कर लिया, उसने उन सबको जोड़कर एक पूर्ण वस्तु बना ली। अप्रैल में वह बोला, ‘अब तुम तैर सकते हो। गोता लगाओ और ताल की पूरी लंबाई तैर कर पूरी कर लो, धीरे-धीरे जाओ चाहे तेजी से।’ मैंने यह किया। शिक्षक का कार्य पूरा रा हो चुका था। परंतु मेरा कार्य पूरा न हुआ था। मैं अब भी डरता था कि कहीं ताल के अंदर अकेला होने पर मैं भयाक्रांत तो नहीं हो जाऊँगा। मैंने ऐसा करके देखा। मैं ताल के एक किनारे से दूसरे और फिर वापस उसी किनारे पर तैर कर गया। पुराने आतंक के अवशेष लौटा करते थे। पर अब मैं क्रोधित होकर उस भय से कह सकता था, ‘अच्छा, तू मुझे डराना चाहता है? ठीक है, यह तुम्हारे नाम पर! देख ! और मैं पुनः ताल की लंबाई को एक बार और पार कर देता।’
Deep Water Hindi Explanation – Para-8
This went………………………fear.
जुलाई तक यही चलता रहा। पर मैं अभी तक संतुष्ट नहीं हुआ। मुझे विश्वास नहीं था कि सारा भय समाप्त हो गया था। अतः मैं न्यू हैंपशायर की लेक वैन्टबर्थ गया, ट्रग्स आयलैंड में डॉक से कूदा, और दो मील झील में तैरकर स्टैंप ऐक्ट आयलैंड पहुंचा। मैंने क्राल, ब्रेस्ट स्ट्रोक, साइड स्ट्रोक और बैंक स्ट्रोक को तैरने में प्रयोग किया। केवल एक बार आतंक लौटा। जब मैं झील के बीच में था तब मैंने जल में सिर डाला और मुझे अतल जल के अतिरिक्त कुछ न दिखा। पुरानी भावना छोटे रूप में लौट आयी। मैं हँसा और बोला, “अच्छा, आतंक साहब, आपके ख्याल में आप मेरा क्या बिगाड़ सकते हैं?” वह भाग गया और मैं तैरता हुआ आगे चला गया।
फिर भी मेरे मन में शक बाकी था। पहला अवसर मिलते ही मैं पश्चिम की ओर तेजी से चला, टीटन से ऊपर कोनार्ड मीडोज तक गया, कोनार्ड ग्रीक ट्रेल से भीडे ग्लेशियर तक और वार्म लेक के किनारे हाई मीडोज में कैप डाला। अगले दिन प्रातः मैंने कपड़े उतारे, झील में गोता लगाया और तैरकर दूसरे किनारे तक पहुंचा और फिर तैरकर ही वापस आया बिल्कुल वैसे डाक कार्पन किया करता था। मैं खुशी से चीख पड़ा और गिलवर्ट चोटी ने गूंजकर चीख दोहराई। मैं जल के भय पर विजय पा चुका था।
इस अनुभव का मेरे लिए गहरा अर्थ था जिसे सिर्फ वे लोग ही समझ सकते हैं जिन्होंने शुद्ध भय को जाना है और इस पर विजय पाई है। मृत्यु में एक शांति होती है। आतंक तो केवल मृत्यु के भय में होता है जैसे कि रूजवैल्ट जानता था जब उसने कहा, “हमें जिस वस्तु से डरना है वह डर ही है।” क्योंकि मैंने मरने का और मरने के भय के कारण पैदा होने वाला आतंक, दोनों का ही अनुभव किया था, जीवित रहने की इच्छा कुछ अधिक ही तेज हो गई थी। अंततः मुझे मुक्ति (भय से) का अनुभव हुआ – मैं आजाद था पगडंडियों पर चलने के लिए और पहाड़ की चोटियों पर चढ़ने के लिए तथा भय को तरफ छोड़ देने के एक लिए।