The Address Class 11 Hindi Summary & Explanation

खुलकर सीखें के इस ब्लॉगपोस्ट The Address Class 11 Hindi Summary & Explanation में हम Class 11 NCERT English Snapshot Chapter 2 का लाइन बाई लाइन करके Hindi Explanation करना सीखेंगे।

लेकिन सबसे पहले The Address Class 11 Hindi Summary के अंतर्गत हम इस चैप्टर के About the Author और फिर About the Lesson के बारे में पढ़ेंगे और उसके बाद इस इस चैप्टर का Summary देखेंगे।

The Address Class 11

The Address जिसका हिंदी अर्थ होगा – पता। इस चैप्टर को एक एक डच लेखिका मार्गा मिन्को के द्वारा लिखा गया है। चलिए Marga Minco के बारे में The Address Class 11 About the Author के माध्यम से थोड़ा विस्तार से जानते हैं।

About the Author

Marga Minco was born on 31st March 1920 in Ginneken, Netherlands. Her real name was Sara Menco & Marga Meno was her pen name. She was a Dutch Journalist and writer. She was married to the poet Bert Voeten. During the Second World War, his whole family was deported. Her first book, Bitter Herbs – a little chronicle, was published in 1957. She was also awarded many times for her work. She died on 10th July 2023, at the age of 103. Minco’s writing is known for its simplicity and emotional depth.

About Author in Hindi

मार्गा मिन्को का जन्म 31 मार्च, 1920 को गिन्नकेन, नीदरलैंड्स में हुआ था। उनका असली नाम सारा मेनको था और मार्गा मेनो उनका उपनाम था। वह एक डच पत्रकार, लेखिका थीं। उनका विवाह कवि बर्ट वोएटेन से हुआ था। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान उनके पूरे परिवार को निर्वासित कर दिया गया था। उनकी पहली पुस्तक, बिटर हर्ब्स – ए लिटिल क्रॉनिकल, 1957 में प्रकाशित हुई थी। उन्हें उनके कार्यों के लिए कई बार सम्मानित भी किया गया। 10 जुलाई 2023 को 103 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया। मिन्को का लेखन अपनी सादगी और भावनात्मक गहराई के लिए जाना जाता है।

About the Lesson

“The Address” is a short story set in post-World War II Holland. It revolves around the narrator’s journey to recover her family belongings from Mrs. Dorling, a woman who had promised to safeguard them during the war. The lesson explores themes of memory, loss, and detachment, highlighting the emotional and psychological aftermath of war. It emphasizes that material possessions often lose their significance when they are separated from their emotional and familial contexts.

About the Lesson in Hindi

“द एड्रेस” द्वितीय विश्व युद्ध के बाद हॉलैंड में सेट की गई एक छोटी कहानी है। यह कथाकार की श्रीमती डोरलिंग,एक महिला जिसने युद्ध के दौरान उन्हें सुरक्षित रखने का वादा किया था, से अपने परिवार के सामान को वापस पाने की यात्रा के इर्द-गिर्द घूमती है। पाठ स्मृति, हानि और अलगाव के विषयों की खोज करता है, युद्ध के भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक परिणामों पर प्रकाश डालता है। यह इस बात पर जोर देता है कि भौतिक संपत्ति अक्सर अपना महत्व खो देती है जब वे अपने भावनात्मक और पारिवारिक संदर्भों से अलग हो जाती हैं।

The Address Class 11 Summary

The narrator visits Mrs. Dorling’s house to reclaim her late mother’s belongings, which Mrs. Dorling had taken during the war for safekeeping. When the narrator first arrives, Mrs. Dorling does not recognize her and denies her entry. On her second visit, Mrs. Dorling is absent, but her daughter lets the narrator in. The narrator feels alienated seeing her family’s possessions in an unfamiliar and unwelcoming environment.

The objects, once deeply cherished, now feel out of place and lose their emotional significance. The narrator realizes she cannot bring them back into her life, as they are tied to memories of her lost family and home. In the end, she decides to let go of the past and resolves to move forward, choosing to forget the address where the belongings were kept.

This poignant story underscores how war disrupts lives and transforms relationships, leaving individuals to rebuild their identities amidst profound loss.

The Address Summary in Hindi

कथाकार श्रीमती डोरलिंग के घर उनकी दिवंगत माँ के सामान को वापस पाने के लिए जाती है, जिसे श्रीमती डोरलिंग ने युद्ध के दौरान सुरक्षित रखने के लिए ले लिया था। जब कथावाचक पहली बार आता है, तो श्रीमती डोरलिंग उसे पहचान नहीं पाती और उसे अंदर आने से मना कर देती है। अपनी दूसरी यात्रा पर, श्रीमती डोरलिंग अनुपस्थित रहती हैं, लेकिन उनकी बेटी कथावाचक को अंदर आने देती है। कथावाचक अपने परिवार की चीज़ों को अपरिचित और अप्रिय वातावरण में देखकर अलग-थलग महसूस करती है।

एक बार बहुत संजोई गई वस्तुएँ अब बेमेल लगती हैं और अपना भावनात्मक महत्व खो देती हैं। कथावाचक को एहसास होता है कि वह उन्हें अपने जीवन में वापस नहीं ला सकती, क्योंकि वे उसके खोए हुए परिवार और घर की यादों से जुड़ी हुई हैं। अंत में, वह अतीत को भूलने का फैसला करती है और आगे बढ़ने का संकल्प लेती है, वह उस पते को भूल जाती है जहाँ सामान रखा गया था।

यह मार्मिक कहानी इस बात को रेखांकित करती है कि युद्ध किस तरह से जीवन को बाधित करता है और रिश्तों को बदल देता है, जिससे व्यक्तियों को भारी नुकसान के बीच अपनी पहचान फिर से बनानी पड़ती है।

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तो स्टूडेंट्स ये था ‘द एड्रेस’ चैप्टर का सारांश, नीचे इस पाठ का व्याख्या दिया जा रहा है; आप चाहे तो The Address Class 11 Up Board Question Answer को भी पढ़ सकते हैं।

The Address Class 11 Explanation in Hindi

अब हम Class 11 NCERT English Snapshot Chapter 2 यानी The Address Class 11 line by line Hindi Explanation करना शुरू करते हैं।

The Address Hindi Explanation – Para-1

Do you………………………for you.

‘क्या आप मुझे अभी भी जानती हैं?’ मैंने पूछा।
महिला ने मेरी ओर ध्यानपूर्वक देखा। उसने दरवाजा थोड़ा-सा खोल रखा था। मैं और निकट चली गई तथा सीढ़ी पर खड़ी हो गई।
‘नहीं, मैं तो तुम्हें नहीं जानती।’
‘मैं मिसेज ‘स’ की बेटी हूँ।’
वह महिला दरवाजे को इस प्रकार पकड़े खड़ी थी मानो वह उसे और अधिक खुलने देना नहीं चाहती थी। उसके चेहरे पर मुझे पहचान पाने का कोई चिह्न नहीं दिखा। वह मूक खड़ी मेरी ओर एकटक देखती रही।

शायद मुझसे गलती हो गई थी। मैने सोचा कि शायद यह महिला कोई अन्य हो। मैंने उसे केवल एक बार ही देखा था, वह भी उड़ती नजर से, और वह भी अनेक वर्ष पूर्व। नितान्त सम्भव था कि मैंने गलत घर की घंटी दबा दी हो। महिला एक ओर हट गई तथा दरवाजा छोड़ दिया। उसने मेरी माँ का हरा बुना हुआ कार्डिगन पहन रखा था। लकड़ी के बटन धुल-धुल कर पीले पड़ गए थे। उसने देखा कि मैं कार्डिगन पर दृष्टि गड़ाए हूँ, वह दरवाजे के पीछे आधी छिप गई। पर अब मैं जान गई थी कि मैं सही पते पर आई थी।

‘आप मेरी माँ को जानती थीं?’ मैंने पूछा।
‘तो क्या तुम वापस आ गई? महिला ने पूछा। ‘मैं तो सोचती थी कि कोई भी वापस अब तक नहीं आया है।’
‘केवल मैं ही लौट आई हूँ।’
महिला के पीछे गलियारे में एक दरवाजा खुला तथा बंद भी हो गया। उसमें से सीलनयुक्त गंध निकली।
‘मुझे खेद है मैं आपकी कोई मदद नहीं कर सकती।’

The Address Hindi Explanation – Para-2

I’ve come………………………regularly.

‘मैं यहाँ विशेष रूप से ट्रेन से आई हूँ। मैं आपसे एक मिनट बात करना चाहती थी।’
‘इस समय तो मेरे लिए सुविधाजनक नहीं है,’ महिला बोली। ‘मैं तुमसे बात नहीं कर सकती। फिर किसी दिन आना।’

उसने सिर हिलाया तथा सावधानीपूर्वक दरवाजा बंद कर लिया, मानो घर के किसी भी अन्य व्यक्ति को विघ्न न पड़े। मैं खड़ी रही सीढ़ी पर। खिड़की के सामने टँगा पर्दा हिला। किसी ने मुझे देखा तथा फिर वह पूछ सकती थी कि आप क्या चाहती है। ‘ओह, कुछ भी नहीं’, महिला ने उत्तर दे दिया होता। ‘कोई बात नहीं।’

मैंने पुनः नाम पट्टिका देखी। ‘डोरलिंग’ सफेद पट्टिका पर काले अक्षरों में लिखा था और दरवाजे के बाजू या पाखा पर कुछ ऊंचाई पर नम्बर लिखा था-46

जब मैं मंद कदमों से स्टेशन को लौटी, मुझे अपनी माँ की याद आई जिसने मुझे वर्षों पूर्व वह पता दिया था। यह बात है युद्ध के पूर्वार्द्ध की। मैं कुछ दिनो के लिए घर लौटी थी और मुझे तुरन्त लगा कि कई चीजें गायब हैं। मेरी माँ को आश्चर्य हुआ कि मैंने इतनी जल्दी यह बात नोट कर ली। फिर उसने मुझे मिसेज डोरलिंग के बारे में बताया। मैंने पहले उसके बारे में कभी नहीं सुना था, स्पष्ट था कि मेरी माँ की कोई पुरानी परिचित थी जिससे वह भी अनेक वर्षों से नहीं मिली थी। वह अचानक ही आ गई थी तथा उसने पुराने सम्पर्क को नया कर लिया। उसके बाद से वह नियमित रूप से आती रही थी।

The Address Hindi Explanation – Para-3

‘Every time………………………about it.

‘वह जब भी आती है, हर बार अपने साथ कोई न कोई चीजे ले जाती है’, मेरी माँ ने बताया। ‘वह एक बार में मेज के चाँदी के बर्तन, छुरी, काँटे आदि ले गई। और फिर वो प्राचीन काल की प्लेटें ले गई जो यहाँ टँगी थीं। उसे बड़े-बड़े फूलदानों को ले जाने में बहुत कठिनाई आई, और मुझे चिन्ता सता रही थी कि क्रॉकरी को ढोते-ढोते उसकी कमर में ऐंठन या अकड़न आ गई होगी।’ मेरी माँ ने सहानुभूतिपूर्वक अपना सर हिलाया। ‘मैं तो उसे ऐसा कहने की हिम्मत कभी न जुटा पाती। उसने स्वयं ही इस बात का सुझाव दिया। उसने हठ किया। वह मेरी सभी अच्छी चीजों को सुरक्षित रखना चाहती थी। यदि हम ये चीजें यहीं छोड़ देते हैं तो सब कुछ खो देंगे, वह कहती थी।’

‘क्या तुम उसकी बात से सहमत हो गई थी कि वह हर चीज रख ले?’ मैंने पूछा।
‘क्या यह पूछने की कोई जरूरत थी,’ मेरी माँ चीख कर बोली। ‘ऐसा पूछना तो उसका अपमान करना होता। और सोचो तो वह कितना खतरा उठा रही है, हर बार जब वह दरवाजे से बाहर सूटकेस अथवा बैग लेकर निकलती है, वह खतरा उठाती है।’ मेरी माँ ने जैसे देख लिया था कि मैं उसकी बात से सहमत नहीं हुई थी। उसने मेरी ओर धिक्कारते हुए देखा तथा उसके पश्चात् इस बारे में उसने कोई बात नहीं की।

The Address Hindi Explanation – Para-4

Meanwhile………………………remember that’.

इस बीच मैं स्टेशन पहुँच गई थी, रास्ते में मैंने किसी भी चीज पर कोई ध्यान नहीं दिया। मैं युद्ध के छिड़ने के बाद उन परिचित स्थानों पर पहली बार चल रही थी, पर मैं आवश्यकता से अधिक दूरी तय करने के मूड में नहीं थी। मैं उन सड़कों तथा घरों को देखकर अपने को दुखी नहीं करना चाहती, इन स्थानों से मेरी यादें जुड़ी थीं।

वापस गाड़ी में मैंने मिसेज डोर्लिंग की वही शक्ल देखी जैसी मैंने पहली बार मिलने पर देखी थी। जिस दिन मेरी माँ ने उसके बारे में बताया था, उसके बाद का वह दिन था। मैं जरा देर से सोकर उठी थी तथा सीढ़ियों से नीचे आने पर, मैंने पाया कि माँ किसी महिला को छोड़ने बाहर गई हैं। वह महिला चौड़ी पीठ या कमर वाली थी।

‘वह रही मेरी बेटी,’ माँ ने बताया। उसने मुझे इशारे से बुलाया।
महिला ने सर हिलाया, सूटकेस कोट रैंक के नीचे उठाया। वह एक भूरे रंग का कोट तथा आकृतिहीन हैट पहने थी।
‘क्या वह बहुत दूर रहती है?’ मैंने पूछा, जब मैंने महिला को भारी केस के साथ कठिनाईपूर्वक घर से बाहर निकलते देखा।
‘मार्कोनी स्ट्रीट में’ मेरी माँ ने बताया। ‘नम्बर-46 यह याद रखना।’

The Address Hindi Explanation – Para-5

I had………………………for her’.

मैंने वह नम्बर याद रखा था। पर मैंने वहाँ जाने के लिए लम्बी प्रतीक्षा की। आजादी के बाद प्रारम्भिक दिनों में मेरी उन संग्रहीत चीजों में कोई रुचि नहीं थी, और स्वाभाविक रूप से मुझे उनसे डर भी लगता था। मुझे उन चीजों से सामना करने में डर लग रहा था जिनका सम्बन्ध उन लोगों से था जो अब दुनिया में नहीं थे, उन चीजो को अलमारियों में तथा डिब्बों में छिपा कर रख दिया गया था और वे व्यर्थ ही प्रतीक्षा कर रही थीं कि कोई उन्हें यथास्थान पुनः सजा देगा; और जो मात्र इस कारण ही ठीक-ठाक बनी रहीं क्योंकि वे निजींव वस्तुएँ थीं।

पर धीरे-धीरे सब कुछ पुनः सामान्य हो गया। डबल रोटी फिर से हल्के रंग की मिलने लगी, आप बिना किसी खतरे के बिस्तर पर सो सकते थे, एक कमरा जिसके बाहर आपको रोज देखने की आदत पड़ गई थी। और एक दिन मुझे लगा कि मेरा मन अपनी उन सभी वस्तुओं के लिए लालायित हो गया जिन्हें उस घर में होना चाहिए था। मैं उन्हें देखना चाहती थी, उन्हें छूना तथा याद करना चाहती थी।

मिसेज डोर्लिंग के घर पर मेरी पहली कोशिश तो निष्फल रही थी, उसके बाद मैंने दोबारा कोशिश करने का निर्णय किया। इस बार एक 15 वर्षीय लड़की ने दरवाजा खोला। मैंने पूछा क्या माँ घर पर है।
‘नहीं, वह बोली, ‘मेरी माँ तो किसी काम से गई हुई है।’
‘कोई बात नहीं,’ मैंने कहा, ‘मैं उनकी प्रतीक्षा कर लूँगी।’

The Address Hindi Explanation – Para-6

I followed………………………Thank you’.

मैं लड़की के पीछे-पीछे गलियारे में चल दी। एक पुराने ढंग का शमादान दर्पण के बगल में लटका था। हमने इसे कभी इस्तेमाल नहीं किया था क्योंकि वह एकल शमादान से कहीं अधिक भारी-भरकम था।

‘क्या आप बैठेंगी नहीं?’ लड़की ने पूछा। उसने बैठक का दरवाजा खोल दिया और मैं अन्दर उससे आगे बढ़ गई। मैं ठहर गई, भयभीत हो गई। मैं ऐसे कमरे में थी जिससे मैं परिचित थी तथा जिसकी जानकारी मुझे न थी। मैंने स्वयं को उन वस्तुओं के बीच पाया जिन्हें मैं दोबारा देखना चाहती थी पर इस विचित्र माहौल में उन्हें देखकर मैं व्यथित हो गई अथवा मैं इस बात से दुखी हुई कि वे अव्यवस्थित तरीके से रखी थीं, फर्नीचर गंदा था, कमरे में उमसदार गंध आ रही थी। मैं ठीक से तो नहीं जानती, पर मेरा साहस नहीं हो रहा था कि कमरे के चारों ओर दृष्टि दौड़ाऊँ। उस लड़की ने एक कुर्सी खिसकाई। मैं बैठ गई और मैंने ऊनी मेजपोश पर दृष्टि डाली। मैंने उसे रगड़ा, मेरी अंगुलियाँ उसे रगड़ने के कारण गर्म हो गई। मैंने उस पर बने नमूने की लकीरों पर नजर दौड़ाई। उसके किनारे पर कहीं जलने का एक छेद या दाग होना चाहिए जिसे कभी भी भरा नहीं गया था।

‘मेरी माँ शीघ्र ही आ जाएगी,’ लड़की बोली। ‘मैंने उनके लिए चाय बना दी है। आप चाय लेंगी न? ‘धन्यवाद।’

The Address Hindi Explanation – Para-7

I looked………………………for example.

मैंने दृष्टि ऊपर उठाई। लड़की ने चाय के प्याले मेज पर रख दिए थे। उसकी पीठ भी चौड़ी थी, जैसी उसकी माँ की थी। उसने चाय एक सफेद केतली से प्यालों में उड़ेली। उसने एक डिब्बा खोला तथा कुछ चम्मच बाहर निकाले।
‘यह डिब्बा तो बहुत अच्छा है।’ मैंने स्वयं अपनी आवाज सुनी। आवाज विचित्र थी, मानो इस कमरे में हर आवाज भिन्न थी।

‘ओह, तो आपको इनके बारे में जानकारी है?’ वह मुड़कर मेरी चाय ले आई वह हँस दी। ‘मेरी माँ कहती है ये प्राचीन कला वस्तुएँ हैं। हमारे पास ऐसी तमाम वस्तुएँ हैं।’ उसने कमरे में चारों ओर इशारा किया। ‘स्वयं देख लीजिए।’

मुझे उसके हाथ के इशारों का अनुसरण करने की जरूरत नहीं थी। जिन चीजों को वह दिखाना चाहती थी मैं उन्हें जानती थी। मैंने चाय की मेज के ऊपर टँगे चित्र को देखा। जब मैं बच्ची थी, तो सदा ही जस्ते की प्लेट पर रखे सेब को खाने की कल्पना किया करती थी।

‘हम इसका उपयोग हर चीज रखने के लिए करते हैं,’ उसने बताया। ‘एक बार तो हमने दीवार पर लटकी प्लेटों पर खाना भी खाया था। मुझे इसकी उत्कृष्ट इच्छा थी। पर मुझे तो कोई विशेषता नहीं दिखी।’

मैंने मेजपोश पर बना जलने का चिह्न खोज लिया था। लड़की ने मेरी ओर खोजक दृष्टि से देखा।
मैंने कहा, ‘हाँ, ‘घर की इन सभी प्यारी वस्तुओं को तुम इतनी छूती रहती हो कि तुम उन्हें शायद ही और अधिक देख पाओगी। तुम केवल तभी ध्यान देती हो, जब कोई वस्तु खो जाती है, जैसे कि इसके कारण हैं- इसे मरम्मत करवानी है या तुमने उसे उधार दिया है।’

The Address Hindi Explanation – Para-8

Again I………………………my train’.

पुनः मुझे अपनी ही आवाज का अस्वाभाविक स्वर सुनाई दिया और मैं बोली, ‘मुझे याद है जब मेरी माँ ने मुझे एक बार बोला था कि क्या मैं चाँदी के बर्तनों को पॉलिश करने में मदद करूँगी। यह बात बहुत पुराने समय की है और मैं शायद उस दिन घर पर बैठी बोर हो रही थी अथवा शायद अस्वस्थ होने के कारण मुझे घर पर रुकना पड़ा था, चूंकि उसने मुझे पहले कभी ऐसे काम करने को नहीं कहा था। मैंने उससे पूछा कि चाँदी से आपका क्या तात्पर्य है, और उसने उत्तर दिया था, आश्चर्यपूर्वक, चम्मच, काँटे, चाकू आदि। और यह मेरे लिए नयी बात थी। मैं नहीं जानती थी कि चाकू, चम्मच आदि जिनसे हम प्रतिदिन अपना भोजन करते थे वे चाँदी के थे।

लड़की पुनः हँस दी थी।
‘मैं शर्त लगा सकती हूँ कि आपको इन चीजों के बारे में नहीं पता होगा।’ मैंने उसकी ओर गौर से देखा।
‘हम किन चीजों का इस्तेमाल डिनर मेज पर करते है?’ उसने पूछा।
‘तो क्या तुम जानती हो?’

वह संकोच में पड़ गई। वह बगल की अलमारी तक गई तथा एक दराज खोलने की कोशिश की। ‘मैं देखती हूँ- वह यहाँ है।’
मैं उछलकर खड़ी हो गई। ‘मैं गाड़ी के समय को भूल गई थी। मुझे तो गाड़ी पकड़नी जरूरी थी।’

The Address Hindi Explanation – Para-9

She had………………………easiest.

उसका हाथ दराज पर था। ‘क्या आप मेरी माँ से मिलने के लिए प्रतीक्षा नहीं करेंगी?’
‘नहीं, मुझे जाना जरूरी है।’ मैं दरवाजे की ओर चल दी। लड़की ने दराज खोल ली थी।
‘मैं अपना रास्ता स्वयं खोज लूँगी।’ जैसे मैं गलियारे में चली, मुझे चम्मचों तथा काँटों की खनखनाहट सुनाई दी।

सड़क के कोने पर मैंने वहाँ लगी नाम पट्टिका देखी। उस पर लिखा था ‘माकोंनी स्ट्रीट’। मैं 46 नं. वाले घर में थी। पता सही था। पर अब मैं उस पते को याद नहीं रखना चाहती थी। मैं वहाँ अब वापस कभी नहीं जाऊँगी क्योंकि जो चीजें आपके पूर्व काल के परिचित जीवन से जुड़ी हों, वे बेमानी हो जाती हैं जब आप उनसे कट गए हों और पुनः उन्हें अजनबी माहौल में देखें। और मैं उन चीजों का करूंगी भी क्या जबकि मेरा एक छोटा-सा किराए का कमरा है जहाँ ब्लैकआउट समय के काले कागजों के टुकड़े अभी भी खिड़की पर लटके थे तथा मुट्ठी भर छुरे, काँटे आदि पतली मेज की दराज में रखे थे?

मैंने उस पते को भूल जाने का दृढ़ निश्चय कर लिया। जिन तमाम चीजों को भूलना मेरे लिए मजबूरी थी, उनमें इस पते को भुला देना सर्वाधिक आसान था।

Jalandhar Paswan is pursuing Master's in Computer Applications at MMMUT Campus. He is Blogger & YouTuber by the choice and a tech-savvy by the habit.

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