खुलकर सीखें के इस ब्लॉगपोस्ट The Last Lesson Class 12 Hindi Explanation में हम Class 12 NCERT English Flamingo Prose Chapter 1 यानि The Last Lesson Class 12 का लाइन बाई लाइन करके Hindi Explanation करना सीखेंगे।
लेकिन सबसे पहले The Last Lesson Class 12 Hindi Explanation के अंतर्गत हम The Last Lesson Class 12 के About the Author और फिर About the Lesson के बारे में पढ़ेंगे और उसके बाद इस इस चैप्टर The Last Lesson Class 12 Summary को English और Hindi में देखेंगे। अंत में हम इस चैप्टर के एक-एक लाइन का हिंदी अनुवाद करना भी सीखेंगे।
The Last Lesson Class 12
‘The Last Lesson’ जिसका हिंदी अर्थ होगा – अंतिम पाठ। इस चैप्टर को एक फ्रांसीसी उपन्यासकार और लघु-कथा लेखक अल्फोंस डौडेट के द्वारा लिखा गया है। चलिए Alphonse Daudet के बारे में The Last Lesson Class 12 About the Author के माध्यम से थोड़ा विस्तार से जानते हैं।
The Last Lesson Class 12 About the Author
Alphonse Daudet was a French short-story writer and novelist. He was born on May 13, 1840, in Nîmes, France. He is mainly remembered as a writer of sentimental stories of provincial life in the south of France. Alphonse Daudet wrote his first novel at the age of fourteen. He died in Paris on December 16, 1897.
The Last Lesson About the Author in Hindi
अल्फोंस डौडेट एक फ्रांसीसी लघु-कथा लेखक और उपन्यासकार थे। इनका जन्म 13 मई, 1840 को नीम्स, फ्रांस में हुआ था। उन्हें मुख्य रूप से फ्रांस के दक्षिण में प्रांतीय जीवन की भावुक कहानियों के लेखक के रूप में याद किया जाता है। अल्फोंस डौडेट ने अपना पहला उपन्यास चौदह साल की उम्र में लिखा था। 16 दिसंबर, 1897 को पेरिस में उनका निधन हो गया।
The Last Lesson Class 12 About the Lesson
The story ‘The Last Lesson’ written by Alphonse Daudet tells about the year 1870 when the Prussian army led by Bismarck invaded and occupied France. The new Prussian rulers discontinued the teaching of the French language in schools in Alsace and Lorraine. French teachers who were teaching French were asked to leave the school. Let’s read the full story to know how it affected life at school.
The Last Lesson About the Lesson in Hindi
अल्फोंस डौडेट द्वारा लिखित कहानी ‘द लास्ट लेसन’ वर्ष 1870 के बारे में बताती है जब प्रशिया की सेना ने बिस्मार्क के नेतृत्व में फ्रांस पर हमला किया और उस पर कब्जा कर लिया। नए प्रशिया के शासकों ने एल्सेस और लोरेन के स्कूलों में फ्रेंच भाषा के शिक्षण को बंद कर दिया। फ्रांसीसी शिक्षक, जो फ्रेंच पढ़ा रहे थे उन्हें स्कूल छोड़ने के लिए कहा गया। स्कूल में जीवन पर इसका क्या प्रभाव पड़ा, यह जानने के लिए आईए पूरी कहानी पढ़ें।
The Last Lesson Class 12 Summary
The narrator of this story ‘The Last Lesson’ is a French boy named Franz who was a student in M. Hamel’s class. One morning Franz was late for school. That day his teacher M. Hamel was going to ask questions on the participle. Franz felt like bunking school that day. But he resisted his mind and went to school. On his way to school, he saw people gathering in front of a bulletin board, and, as usual, he assumed there was some bad news. This had been happening since Prussia captured Alsace from France.
Franz found the day unusual compared to other days, as there was no activity in the classroom. Everything was very quiet. Franz went inside the classroom fearfully. Instead of scolding him, M. Hamel asked him to go to his seat quickly. He noticed something strange about his teacher, M. Hamel. He was serious and humble and was not dressed in his usual clothes. Also another strange thing about the school that day was that most of the villagers, including the ex-mayor, ex-postmaster etc. were sitting on the back benches and they all looked sad.
As the class began, the teacher, M. Hamel, announced that this was his last French language lesson for their students as the Prussians had declared that French would no longer be taught in schools. Franz was shocked to hear this and felt remorse. He realized what was the bad news on the bulletin board: French would no longer be taught in schools. Franz regrets bunking his classes and not caring about his lessons. Then he realized that all the villagers had come there to pay respect to M. Hamel’s forty years of service as a teacher. At the same time, it was also about showing respect to a country that was no longer theirs.
It was Franz’s turn to recite the participle, but he got confused on the first word. M. Hamel was patient. He didn’t scold Franz. They discussed the problem of Alsace. He told that we postpone learning for tomorrow and this is the biggest problem of Alsace. M. Hamel blamed himself and Franz’s parents for Franz’s poor academic performance. M. Hamel then talked about the beauty of his mother tongue, French. He advised the people to keep it safe among themselves and never forget it. He explained that when people are enslaved, the only key to their freedom is a common language in which they share their ideas. Then he opened a grammar book and read the lesson to them.
Franz felt that what his teacher was teaching was clear and easy to understand. He blamed himself for not listening to the lessons properly. Franz learned that M. Hamel was to leave the school where he had served for forty years. He realized how difficult it must have been for his teacher to leave that place. As the clock struck twelve and the Prussians blew their trumpets, the class ended, and M. Hamel bade his class goodbye by writing ‘Vive la France’ on the blackboard. He was so emotional that day that he bowed his head against the wall and without saying anything made a gesture with his hand – which meant that the school was over, you may go.
The Last Lesson Summary in Hindi
इस कहानी ‘The Last Lesson’ का सूत्रधार फ्रांज़ नामक एक फ्रांसीसी लड़का है जो एम हैमल की कक्षा का एक छात्र था। एक सुबह फ्रांज़ स्कूल के लिए लेट हो गया। उस दिन उसके शिक्षक एम हैमल कृदंत पर प्रश्न पूछने वाले थे। फ्रांज़ को उस दिन स्कूल बंक करने का मन हुआ। लेकिन उसने अपने मन का विरोध किया और स्कूल चला गया। स्कूल जाने के रास्ते में, उसने लोगों को बुलेटिन बोर्ड के सामने जमा होते देखा, और, हमेशा की तरह, उसने मान लिया कि कोई बुरी खबर है। यह तब से हो रहा था जब से प्रशिया ने फ़्रांस के अल्सास पर कब्जा कर लिया था।
फ्रांज़ को वह दिन अन्य दिनों की तुलना में असामान्य लगा, क्योंकि कक्षा में कोई हलचल नहीं थी। सब कुछ एकदम शांत था। फ्रांज़ डरते हुए कक्षा के अंदर गया। उसको डाँटने के बजाय एम हैमल ने जल्दी से अपनी सीट पर जाने के लिए कहा। उसने अपने शिक्षक एम हैमल के बारे में कुछ अजीब देखा। वह गंभीर तथा विनम्र थे तथा अपने सामान्य कपड़े नहीं पहने थे। इसके अलावा उस दिन स्कूल के बारे में एक और अजीब बात यह थी कि अधिकांश ग्रामीण, जिनमें भूतपूर्व मेयर, भूतपूर्व पोस्टमास्टर आदि शामिल थे, पीछे की बेंच पर बैठे थे और वे सभी उदास दिख रहे थे।
जैसे ही कक्षा शुरू हुई, शिक्षक, एम हैमेल ने घोषणा की कि यह उनके छात्रों के लिए उनका आखिरी फ्रेंच भाषा का पाठ था क्योंकि प्रशियाई लोगों ने घोषणा की थी कि अब स्कूलों में फ्रेंच नहीं पढ़ाई जाएगी। यह सुनकर फ्रांज़ चौंक गया उसे पछतावे का अहसास हुआ। उन्होंने महसूस किया कि बुलेटिन बोर्ड पर बुरी खबर क्या थी: अब से स्कूलों में फ्रेंच नहीं पढ़ाई जाएगी। फ्रांज़ को अपनी कक्षाओं को बंक करने और अपने पाठों की परवाह न करने का अफ़सोस हुआ। फिर उसने महसूस किया कि एक शिक्षक के रूप में एम हैमेल की चालीस साल की सेवा के प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए सारे ग्रामीण वहाँ आए थे। साथ ही, यह अपने उस देश के प्रति सम्मान दिखाने के बारे में भी था, जो अब उनका नहीं था।
फ्रांज़ को कृदंत के बारे में सुनाने की बारी आई, लेकिन वह पहले ही शब्द पर उलझ गया। एम हैमेल धैर्यवान थे। उन्होंने फ्रांज को डाँटा नहीं। उन्होंने अल्सास की समस्या पर चर्चा की। उन्होंने बताया की हम सीखने को कल के लिए टाल देते हैं और यही अल्सास की सबसे बड़ी समस्या है। फ्रांज़ को पढ़ाई में कमजोर होने के लिए एम हैमेल ने खुद को और फ्रांज़ के माता-पिता को दोषी ठहराया। उसके बाद एम हैमेल ने उनकी मातृभाषा फ्रेंच की सुंदरता के बारे में बात की। उन्होंने लोगों को इसे अपने बीच सुरक्षित रखने और कभी न भूलने की सलाह दी। उन्होंने समझाया कि जब लोगों को गुलाम बनाया जाता है, तो उनकी स्वतंत्रता की एकमात्र कुंजी वह आम भाषा होती है जिसमें वे अपने विचारों को साझा करते हैं। फिर उन्होंने व्याकरण की एक किताब खोली और उनका पाठ पढ़कर उन्हें सुनाया।
फ्रांज़ ने महसूस किया कि उसके शिक्षक जो कुछ भी पढ़ा रहे थे वह स्पष्ट और समझने में आसान था। उसने पाठों को ठीक से न सुनने के लिए स्वयं को दोषी ठहराया। फ्रांज़ को ज्ञात हुआ कि एम हैमेल को उस स्कूल को छोड़ना है जहाँ वे चालीस वर्षों तक अपनी सेवा दी। उसने महसूस किया कि उसके शिक्षक के लिए उस स्थान को छोड़ना कितना कठिन रहा होगा। जैसे ही घड़ी ने बारह बजाए और प्रशियाई लोगों ने अपनी तुरहियाँ बजाईं, कक्षा समाप्त हो गई, और एम हैमेल ने ब्लैकबोर्ड पर ‘विवे ला फ्रांस’ लिखकर अपनी कक्षा को अलविदा कह दिया। उस दिन वह इतने भावुक थे की उन्होंने दीवार के सहारे अपना सिर झुकाया और बिना कुछ कहे अपने हाथ से एक इशारा किया – जिसका अर्थ था कि स्कूल की छुट्टी हो गई है, अब आप जा सकते हैं।
QnA: The Last Lesson Question Answer Up Board
The Last Lesson Class 12 Hindi Explanation
अब हम Class 12 NCERT English Flamingo Prose Chapter 1 यानी The Last Lesson Class 12 Paragraph wise Explanation करना शुरू करते हैं।
The Last Lesson Hindi Explanation – Para-1
I started………………………to school.
उस सुबह मैं स्कूल के लिए बहुत देरी से निकला और मुझे डाँट पड़ने का बहुत अधिक डर था, विशेष रूप से इसलिए क्योंकि एम. हैमल कह चुके थे कि वे हमसे Participles के विषय में प्रश्न पूछेंगे, तथा मुझे इनके बारे में प्रारंभिक ज्ञान भी नहीं था। एक क्षण के लिए मैंने भाग जाने और घर से बाहर दिन बिताने के बारे में सोचा। दिन बहुत गर्म एवं चमकीला था। जंगल के छोर पर पक्षी चहचहा रहे थे और आरा-मशीन के पीछे खुले खेतों में प्रशिया के सैनिक अभ्यास कर रहे थे। यह सब Participles के नियमों से कहीं ज्यादा मनमोहक था किन्तु मुझमें विरोध करने की शक्ति थी और में तेजी से स्कूल के लिए चल पड़ा।
The Last Lesson Hindi Explanation – Para-2
When I………………………of time!”
जब मैं सभागार के पास से गुजरा तो सूचनापट्ट के सामने भीड़ थी। पिछले दो वर्ष से हमारे सारे बुरे समाचार यहीं से आए थे- हारे हुए युद्धों के समाचार, सेना में भर्ती के कानूनी आदेश संबंधी समाचार, सेना अधिकारी के आदेशों से संबंधी समाचार; और मैंने बिना रूके अपने मन ही मन में सोचा, “अब क्या बात हो सकती है?” फिर जैसे ही मैं अपनी पूरी तेजी के साथ चला, वाक्टर नामक लोहार, जो वहाँ अपने प्रशिक्षु के साथ समाचार पढ़ रहा था, ने पीछे से पुकार कर मुझसे कहा, “इतनी जल्दी मत कर लड़के, स्कूल पहुँचने के लिए तुम्हारे पास ढेर सारा समय है।”
The Last Lesson Hindi Explanation – Para-3
I thought……………………..I was.
मुझे लगा वह मेरा मजाक उड़ा रहा था और मैं बुरी तरह होता हुआ एम. हैमल के छोटे बगीचे में पहुँचा। आमतौर पर, जब स्कूल शुरू होता था, अफरा-तफरी या शोरगुल होता था जिसे बाहर गली में सुना जा सकता था, मेजों का खोला जाना और बन्द किया जाना, बेहतर समझने के लिए कानों पर हाथ रखकर समवेत स्वर में पाठों का जोर-जोर से दोहराना और अध्यापक के विशाल पैमाने का मेज से टकराना परंतु अब सब कुछ इतना शांत था। मुझे भरोसा था कि हो-हल्ला के बीच में बिना किसी को दिखाई पड़े अपनी मेज पर पहुँच जाऊँगा परन्तु उस दिन हर चीज को सचमुच रविवार की सुबह जितना ही शांत होना था। खिड़की में से मैंने अपने सहपाठियों को देखा, वे पहले ही अपना स्थान ग्रहण कर चुके थे और एम. हैमल अपने भयानक डण्डे को बगल में दबाए इधर से उधर घूम रहे थे। मुझे दरवाजा खोलना पड़ा और सबके सामने अन्दर जाना पड़ा। आप कल्पना कर सकते हैं कि मैं कितना शर्मिन्दा था और कितना डरा हुआ था।
The Last Lesson Hindi Explanation – Para-4
But nothing………………………the pages.
परंतु कुछ भी ऐसा नहीं हुआ, एम. हैमल ने मुझे देखा और बड़ी दयालुतापूर्वक कहा, “नन्हें फ्रेंज जल्दी से अपनी जगह पर जाओ। हम तुम्हारे बिना ही शुरू करने वाले थे।” मैं बेंच से कूद कर अपनी डेस्क पर बैठ गया। तब तक मैंने यह नहीं देखा हमारे अध्यापक ने सुंदर हरा कोट, अपनी झालरदार शर्ट और काली छोटी सिल्क की टोपी पहन रखी थी जिस पर कशीदाकारी की गई थी, और जिन्हें वे निरीक्षण तथा पुरस्कार-वितरण के दिनों के अलावा कभी नहीं पहनते थे, इसके अलावा पूरा विद्यालय बहुत ही विचित्र तथा गंभीर लग रहा था। किन्तु जिस चीज ने मुझे सर्वाधिक चकित किया वह यह भी कि सदा खाली रहने वाली पीछे की बेंचों पर गाँव के लोग हमारे तरह ही चुपचाप बैठे थे; अपना तिकोना टोप पहने बूढा, भूतपूर्व मेयर, भूतपूर्व पोस्टमास्टर और इनके अलावा कई अन्य। सभी दुःखी दिखाई दे रहे थे और बूढा व्यक्ति एक पुरानी बालपोथी लाया था जिसके किनारे अंगूठों से पेज उलटने के कारण गन्दे हो रखे थे और उसने इसे अपने घुटनों तक खुला रखा था और उसका बड़ा चश्मा पृष्ठों पर पड़ा था।
The Last Lesson Hindi Explanation – Para-5
While I………………………cranky he was.
जबकि में इस सब पर विचार कर ही रहा था, एम. हैमल अपनी कुर्सी पर बैठ गए और उसी गंभीर और विनम्र अंदाज में जिसका प्रयोग उन्होंने मेरे लिए किया था, बोले, “मेरे बच्चों, यह अंतिम पाठ है जो मैं तुम्हें पढ़ाऊँगा। अल्सास और लॉरिन के स्कूलों में केवल जर्मन पढ़ाए जाने का आदेश बर्लिन से आ गया है। नए अध्यापक कल आ जाएँगे। यह आपका फ्रेंच भाषा का अंतिम पाठ है। मैं चाहता हूँ आप बहुत एकाग्र रहे।”
ये शब्द मेरे लिए बिजली की कड़कड़ाहट की तरह थे!
हाय! अभागे लोग, सभागार पर उन्होंने यही लगा दिया था!
फ्रेंच भाषा का मेरा अंतिम पाठ! अरे! मैं मुश्किल से ही लिखना जान पाया था, अब मैं आगे कभी नहीं सीख पाऊँगा। वहीं और उसी समय मुझे रुक जाना होगा! हाय! मैं अपने पाठ याद ना करने, पक्षियों के अण्डे ढूँढने और सार पर फिसलने पर कितना दुःखी हो रहा था। मेरी पुस्तकें जो थोड़ी देर पहले ले जाने में भारी और बड़ी समस्या लग रही थी, मेरी व्याकरण और संतों का इतिहास अब पुराने मित्र जैसी लग रही थी जिन्हें मैं त्याग नहीं सकता था और एम. हैमल के बारे में भी इस विचार ने कि वे जा रहे थे, कि मैं अब उनसे फिर कभी नहीं मिल सकूँगा, मुझे उनके डण्डे के बारे में और वे कितने बदमिजाज थे, इस बारे में सब कुछ भुला दिया।
The Last Lesson Hindi Explanation – Para-6
Poor man!………………………no more.
बेचारा आदमी (यहाँ बेचारे गुरुजी) इसी अन्तिम पाठ के सम्मान में उन्होंने रविवारीय सुन्दर कपड़े पहने थे और अब मैं समझ गया कि गाँव के बुजुर्ग लोग कमरे में पीछे क्यों बैठे थे। इसलिए कि उन्हें भी दुःख था कि वे और ज्यादा स्कूल नहीं गये थे। हमारे अध्यापक की चालीस वर्ष की निष्ठापूर्ण सेवा के लिए धन्यवाद देने और जो देश अब उनका नहीं था उस देश को सम्मान प्रदर्शित करने का यह उनका अपना तरीका था।
The Last Lesson Hindi Explanation – Para-7
While I………………………to look up.
जब मैं इन्हीं सब बातों के बारे में सोच रहा था तब मैंने अपने नाम को पुकारा जाते हुए सुना। अब बोलने की मेरी बारी थी। बिना किसी गलती के Participle के भयानक नियम को पूरा-पूरा जोर-जोर से और स्पष्ट सुनाने में समर्थ होने के लिए मैं क्या कुछ नहीं करने को तैयार था? (अर्थात् मैं Participle के कठिन नियमों को जोर से और स्पष्ट रूप से बिना किसी त्रुटि के पढ़ने को बहुत इच्छुक था।) किन्तु मैं पहले शब्दों पर ही उलझ गया और मेज पकड़कर खड़ा रह गया, मेरा दिल धड़क रहा था और मुझमें ऊपर की ओर देखने की हिम्मत नहीं थी।
The Last Lesson Hindi Explanation – Para-8
I heard………………………a holiday?”
मैंने एम. हैमल को मुझसे कहते हुए सुना- मैं तुम्हें डटूँगा नहीं, फ्रेंज, तुम्हें अवश्य ही काफी बुरा महसूस हो रहा होगा।” देखो ऐसा है। प्रतिदिन हमने स्वयं से कहा है, “अरे! मेरे पास काफी समय है। मैं इसे कल सीख लूंगा और अब तुम देख रहे हो कि हम कहाँ आ गए हैं। हाय अल्सास के साथ यही बड़ी परेशानी है, वह सीखने को कल के लिए टाल देती है।” अब बाहर के लोगों के पास आपसे कहने का अधिकार होगा, “ऐसा कैसे है, तुम फ्रांसीसी होने का नाटक भी करते हो और फिर भी तुम न तो अपनी भाषा लिख सकते और न ही बोल सकते हो?” किंतु नन्हें फ्रेंज, तुम्हीं सबसे बुरे नहीं हो। हम सब के पास स्वयं को दोष देने के पर्याप्त कारण हैं।
“तुम्हारे माता-पिता तुम्हें शिक्षा दिलवाने के प्रति पर्याप्त उत्सुक नहीं थे। वे तुम्हें किसी फार्म या आरा मशीन पर काम पर लगाना ज्यादा पसंद करते थे ताकि थोड़ा-सा अधिक धन मिल सके, और मैं? मैं भी दोषी हूँ। क्या मैंने तुम्हें पाठ सिखाने के बजाय अक्सर अपने फूलों में पानी देने के लिए नहीं भेजा है और जब मैं मछली पकड़ने जाना चाहता था तो क्या मैंने तुम्हारी छुट्टी नहीं की?”
The Last Lesson Hindi Explanation – Para-9
Then, from………………………one stroke.
फिर एक के बाद दूसरी बात करते हुए एम. हैमल फ्रांसीसी भाषा के बारे में बात करते रहे, यह कहते हुए कि यह संसार की सबसे सुंदर भाषा है— सर्वाधिक स्पष्ट, सर्वाधिक तर्कसंगत और यह कि इसे हमें अपने बीच सुरक्षित रखना है और उसे कभी भी नहीं भूलना है क्योंकि जब किसी देश के लोग गुलाम होते हैं तो जब तक वे अपनी भाषा से मजबूती से बंधे रहते हैं तो यह ऐसा ही है मानो उनकी जेल की चाबी उनके पास है। फिर उन्होंने व्याकरण की एक किताब खोली और हमारा पाठ हमें पढ़कर सुनाया। मैं यह देखकर चकित था कि मुझे यह कितनी अच्छी तरह समझ आ रहा था। उन्होंने जो कुछ कहा वह बहुत-बहुत सरल लगा! मैं यह भी सोचता हूँ कि मैंने कभी इतने ध्यान से नहीं सुना था, और उन्होंने हर चीज को धैर्यपूर्वक कभी इतना अधिक स्पष्ट नहीं किया था। ऐसा लग रहा था कि बेचारा जाने से पहले वह जो कुछ जानता था उस सबको हमे दे देना चाहता था और इस सारी जानकारी को एक ही बार में हमारी दिमाग में डाल देना चाहता था।
The Last Lesson Hindi Explanation – Para-10
After the………………………pigeons?”
व्याकरण के बाद हमारा लेखन का पाठ हुआ। उस दिन एम. हैमल के पास हमारे लिए नई कापियाँ थी जिन पर सुंदर वक्राकार शैली के हस्तलेख में लिखा गया था फ्रांस, अल्सास, फ्रांस, अल्सास। वे ऐसी लग रही थीं जैसे कि विद्यालय के उस कक्ष में सब ओर छोटे-छोटे झण्डे लहरा रहे हों जो हमारी मेजों के ऊपर छड़ों से लटका दिए हों। काश! आप सभी देखते कि सभी किस तरह अपने काम में जुट गए, और सब कुछ कितना शांत था! एकमात्र ध्वनि कागज पर पेनों की रगड़ की आ रही थी। एक बार कुछ भृंग (भँवरा) उड़कर अंदर आ गए परंतु किसी ने उन पर ध्यान भी नहीं दिया, सबसे छोटे बच्चों ने भी ध्यान नहीं दिया जो पूरे समय मछली पकड़ने के काँटों का चित्र बनाने में लीन थे, मानों वह भी फ्रांसीसी भाषा थी। छत पर कबूतर बहुत धीरे-धीरे गुटरगूँ कर रहे थे और मैंने मन में सोचा, “क्या वे इन्हें भी जर्मन भाषा में गाने के लिए मजबूर करेंगे, “कबूतरों को भी?”
The Last Lesson Hindi Explanation – Para-11
Whenever I………………………next day.
जब कभी मैंने लिखते हुए ऊपर देखा तो मैंने एम. हैमल को अपनी कुर्सी पर स्थिर बैठे हुए देखा, वे कभी किसी चीज को तो कभी किसी और चीज को घूर रहे थे, मानो वे अपने मस्तिष्क में उस छोटे से स्कूल-कक्ष की प्रत्येक वस्तु को ठीक उसी तरह अंकित कर लेना चाहते थे जैसा कि वे दिख रहीं थीं। जरा सोचो! चालीस वर्ष से वे इसी स्थान पर थे, उनका बगीचा, उनकी खिड़की के बाहर था और उनकी कक्षा उनके सामने, बिल्कुल ऐसे ही! केवल मेज और कुर्सियाँ घिस-घिस कर चिकनी हो गयी थीं; बगीचे में अखरोट के पेड़ अपेक्षाकृत लम्बे हो गये थे तथा वह होपवाइन (एक प्रकार की बेल) जिसे उन्होंने स्वयं अपने हाथों से लगाया था, वह खिड़की से लिपटते हुए छत तक पहुँच गई थी। इन सबको छोड़ने से और ऊपर छत पर समान को अपने संदूकों में पैकिंग करते हुए अपनी बहन के चलने की आवाज सुनकर इस बेचारे (अध्यापक) का दिल किस तरह टूट रहा होगा! क्योंकि अगले दिन ही उन्हें देश छोड़कर जाना था।
The Last Lesson Hindi Explanation – Para-12
But he………………………you may go.”
किन्तु उनमें हर पाठ को बिल्कुल अन्त तक सुनने का साहस था। लेखन के पश्चात, हमारा इतिहास का पाठ हुआ और फिर छोटे बच्चों ने जोर-जोर से अपने बा, बे, बी, बो, बू बोले। कमरे के पिछले छोर पर बूढ़े Hauser ने अपना चश्मा पहन लिया था, अपनी पुस्तक को दोनों हाथों में पकड़कर वह उनके साथ बा, बे, बी आदि बोल रहा था। आप देख सकते थे कि वह भी रो रहा था, भावुकतावश उसकी आवाज काँप रही थी और उसे सुनना इतना हास्यास्पद था कि हम सब हँसना और रोना चाहते थे। ओह, यह अन्तिम पाठ मुझे कितनी अच्छी तरह याद है।
अचानक चर्च की घड़ी ने बारह बजाये और फिर Angelus नामक प्रार्थना की घण्टी बजी। उसी समय ड्रिल से लौटकर आते हुए प्रशिया के सैनिकों की तुरहियाँ हमारी खिड़कियाँ के नीचे बजती सुनाई दी। एम. हैमल अपनी कुर्सी से खड़े हुए, बहुत पीले पड़े हुए थे। मैंने उन्हें कभी इतना आत्मविश्वासी नहीं देखा था।
“मित्रों” उन्होंने कहा “मैं-मैं” किसी बात ने उनका गला अवरुद्ध कर दिया। वे अपनी बात जारी न रख सके।
फिर वे ब्लैकबोर्ड अर्थात श्यामपट्ट की ओर मुड़े, चॉक का एक टुकड़ा उठाया और अपनी पूरी ताकत से उन्होंने जितने बड़े अक्षरों में वे लिख सकते थे लिखा- “फ्रान्स जिन्दाबाद।”
फिर वे रूक गये और अपना सिर दीवार के सहारे झुका लिया और बिना कोई शब्द बोले उन्होंने अपने हाथ से हमारी तरफ इशारा किया—
“स्कूल की छुट्टी हो गई—आप जा सकते हैं।”
FAQs
What is the moral of The Last Lesson?
The moral of “The Last Lesson” is the importance of valuing and preserving one’s own language and culture. The story shows how easy it is to take things for granted until they are taken away. It also highlights the importance of education and the role it plays in preserving one’s identity and freedom.
Alphonse Daudet is the author of The Last Lesson.
Thank You so much Sir! Class 12 English का शुरुआत करने के लिए। ऐसे ही पूरा चैप्टर भेज दीजिए Please🙏