Silk Road Class 11 Hindi Explanation & Summary

खुलकर सीखें के इस ब्लॉगपोस्ट Silk Road Class 11 Hindi Explanation में हम Class 11 NCERT English Hornbill Prose Chapter 8 यानि Silk Road Class 11 का लाइन बाई लाइन करके Hindi Explanation करना सीखेंगे।

लेकिन सबसे पहले Silk Road Class 11 Hindi Explanation के अंतर्गत हम Silk Road के About the Author और फिर About the Lesson के बारे में पढ़ेंगे और उसके बाद इस इस चैप्टर का Summary पढ़ेंगे।

Silk Road Class 11

Silk Road जिसका हिंदी अर्थ होगा – रेशम मार्ग। इस चैप्टर को एक महान भूगोलवेत्ता Nick Middleton के द्वारा लिखा गया है। चलिए निक मिडलटन के बारे में Silk Road Class 11 About the Author के माध्यम से थोड़ा विस्तार से जानते हैं।

Silk Road Class 11 About the Author

Nick Middleton is a geographer, writer and presenter of television documentaries. He teaches at Oxford University. He was born in London in 1960. Being a geographer he travelled to more than 50 countries. He is famous for his books on Geography.

Silk Road About the Author in Hindi

निक मिडलटन एक भूगोलवेत्ता, लेखक और टेलीविजन वृत्तचित्रों के प्रस्तुतकर्ता हैं। वह ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाते हैं। उनका जन्म 1960 में लंदन में हुआ था। एक भूगोलवेत्ता होने के नाते उन्होंने 50 से अधिक देशों की यात्रा की। वह भूगोल पर अपनी पुस्तकों के लिए प्रसिद्ध हैं।

Silk Road Class 11 About the Lesson

The lesson, Silk Road describes the author’s pilgrimage to Mount Kailash. Here, he describes the things that he saw—people, landscapes and animals. He also describes his experience with people whom he met during his journey.

Silk Road About the Lesson in Hindi

पाठ, सिल्क रोड, लेखक की कैलाश पर्वत की तीर्थयात्रा का वर्णन करता है। यहां, वह उन चीज़ों का वर्णन करता है जो उसने देखीं – लोग, परिदृश्य और जानवर। वह उन लोगों के साथ अपने अनुभव का भी वर्णन करता है जिनसे वह अपनी यात्रा के दौरान मिला था।

Silk Road Class 11 Summary

The story’s author, Nick Middleton, describes his visit to Mount Kailash in The Silk Road. To fulfill his wish he wants to travel to Mount Kailash. So, they hire Tsetan to find a companion to take them up the mountain. As he was passing through Lhamo, he found a long-sleeved sheepskin coat. He takes Daniel with him to Darchen to get companionship.

Upon starting his journey, Tsetan takes a shorter route to the south-west. He says that this is a direct route to Mount Kailash. But to reach their destination they have to cross high mountain passes. However, Tsetan assured the author that this would be easy to do due to the lack of ice. On their way, they pass small numbers of gazelles, herds of wild donkeys, and shepherds tending sheep and goats.

Upon reaching the hill, they see dark tents. They find that they are the home of nomads and see a Tibetan Mastiff guarding the tent. When they reached near the tent, dogs with large jaws ran after their car. Upon entering the valley, they see mountains and rivers covered with snow and ice.

The ride up the hill starts getting steep and bumpy. As they move upwards, the author feels pressure and finds that they are 5210 meters above sea level. After passing the first obstacle of snow-packed roads, they were on their way. Writers start feeling uncomfortable due to the height and pressure. At around 2 pm they stop for lunch.

Finally, they reach a small town ‘Hor’ in the late afternoon. The author took a rest at Hor and sat in the local café and sipped tea. During this time Tsetan got the car repaired and Daniel left for Lhasa. The author did not like Hor very much. On resuming the journey, they stay the night at a guest house in Darchen. We further read in the story how his nose gets blocked due to the change in altitude and cold weather and he goes to a Tibetan doctor and takes medicine for five days.

After that, they feel better and enjoy their stay in Darchen. Here he meets another pilgrim, Norbu. Since Darchen had no accompanying pilgrims, the author was relieved and decided to complete his pilgrimage with him. In the end, they rent a yak for their luggage and Norbu gives up, laughing, falling onto the table. Norbu says that this will not be possible for him as his stomach is also big.

To summarize The Silk Road Summary, we learn about the author’s journey through the Silk Road the determination of the pilgrims and the difficulties they faced.

Silk Road Summary in Hindi

कहानी के लेखक, निक मिडलटन, सिल्क रोड में कैलाश पर्वत की अपनी यात्रा का वर्णन करते हैं। अपना कोरा पूरा करने के लिए वह कैलाश पर्वत की यात्रा करना चाहते हैं। इसलिए, वह त्सेतान को काम पर रखते हैं ताकि उनको पहाड़ तक ले जाने के लिए कोई साथी मिल जाए। जब वह ल्हामो से गुजर रहे थे, तो उन्हें एक लंबी बाजू वाला भेड़ की खाल का कोट मिला। साथ पाने के लिए वह डेनियल को दारचेन तक अपने साथ ले जाते हैं।

अपनी यात्रा शुरू करने पर, त्सेतन दक्षिण-पश्चिम के लिए एक छोटा रास्ता अपनाता है। उस्का कहना है कि यह कैलाश पर्वत के लिए एकदम सीधा रास्ता है। लेकिन अपने गंतव्य तक पहुँचने के लिए उन्हें ऊँचे पहाड़ी दर्रों को पार करना होगा। हालाँकि, त्सेतन ने लेखक को आश्वासन दिया कि बर्फ की कमी के कारण ऐसा करना आसान होगा। अपने रास्ते में, वे छोटी संख्या में चिकारे, जंगली गधों के झुंड और भेड़-बकरियों की देखभाल करने वाले चरवाहों से होकर गुजरते हैं।

पहाड़ी पर पहुंचने पर, उन्हें अंधेरे तंबू दिखाई देते हैं। उन्हें पता चलता है कि वे खानाबदोशों के घर हैं और उन्होंने एक तिब्बती मास्टिफ़ को तंबू की रखवाली करते देखा। जब वे टेंट के पास पहुंचे तो बड़े जबड़े वाले कुत्ते उनकी कार के पीछे भागे। घाटी में प्रवेश करने पर, वे बर्फ और बर्फ से ढके पहाड़ों और नदियों को देखते हैं।

पहाड़ी पर सवारी तीव्र और ऊबड़-खाबड़ होने लगती है। जैसे-जैसे वे ऊपर की ओर जाते हैं, लेखक को दबाव महसूस होता है और वे पाते है कि वे समुद्र तल से 5210 मीटर ऊपर हैं। बर्फ से भरी सड़कों की पहली बाधा को पार करने के बाद, वे आगे बढ़ रहे थे। लेखक ऊंचाई और दबाव के कारण असहज महसूस करने लगते हैं। दोपहर के करीब 2 बजे वे दोपहर के भोजन के लिए रुकते हैं।

अंत में, वे देर दोपहर में एक छोटे से शहर ‘होर’ पहुँचते हैं। लेखक ने होर में विश्राम किया और वहाँ के स्थानीय कैफे में बैठकर चाय की चुस्की ली। इस दौरान त्सेतान ने कार ठीक करवाई और डेनियल ल्हासा के लिए रवाना हो गए। लेखक को होर बहुत अधिक पसंद नहीं आया। यात्रा फिर से शुरू करने पर, वे दारचेन के एक गेस्ट हाउस में रात रुकते हैं। कहानी में हम आगे पढ़ते हैं कि ऊंचाई में बदलाव और सर्द मौसम के कारण किस तरह उनकी नाक बंद हो जाती है और वह एक तिब्बती डॉक्टर के पास जाते हैं और पांच दिन का दवा लेते हैं।

उसके बाद, वे बेहतर महसूस करते हैं और दारचेन में अपने प्रवास का आनंद लेते हैं। यहाँ उनकी मुलाकात एक अन्य तीर्थयात्री नोरबू से होती है। चूँकि दारचेन के पास कोई तीर्थयात्री नहीं था, लेखक को राहत मिली और उन्होंने उसके साथ अपनी तीर्थयात्रा पूरी करने का फैसला किया। अंत में, वे अपने सामान के लिए याक किराए पर लेते हैं और नोरबू मेज पर गिरकर हंसते हुए हार मान लेता है। नोरबू का कहना है कि यह उसके लिए संभव नहीं होगा क्योंकि उसका पेट भी बड़ा है।

सिल्क रोड सारांश को सारांशित करने के लिए, हम सिल्क रोड के माध्यम से लेखक की यात्रा और तीर्थयात्रियों के दृढ़ संकल्प और उनके सामने आने वाली कठिनाइयों के बारे में सीखते हैं।

QnA: Silk Road Question Answer Up Board

Silk Road Class 11 Hindi Explanation

अब हम Class 11 NCERT English Hornbill Prose Chapter 8 यानी Silk Road Class 11 Paragraph Explanation करना शुरू करते हैं।

Silk Road Hindi Explanation – Para-1

A FLALESS………………………clean air.

जिस दिन सुबह हमने विदा ली बेदाग अर्द्धचन्द्रमा सुन्दर नीले आकाश में तैर रहा था। जब सूर्य सुदूर पहाड़ियों की चोटियों पर गुलाबी लालिमा छिड़कने के लिए निकला, लम्बे फ्रंच डबल रोटियों की तरह फैले हुए बादलों के किनारे गुलाबी चमक रहे थे। जब हम रावू से चले तो लाहमो ने कहा कि वह मुझे विदाई का उपहार देना चाहती है। एक दिन सायंकाल मैंने उसे डेनिअल के माध्यम से बताया था कि मैं कोरा पूरा करने कैलाश पर्वत की ओर जा रहा हूँ, तब उसने कहा कि आपको गर्म कपड़े ले लेने चाहिए। तब वह झुककर टेंट में गई और एक लम्बी बाँहों वाला भेड़ की खाल का कोट लायी जो सभी पुरुष पहनते हैं। और जब हम कार में चढ़ रहे थे तो त्सेतन ने मुझे ऊपर से नीचे तक देखा और कहा, “ओ हाँ, ड्रोक्बा, सर।’”

चांगतांग को पार करने के लिए हमने एक छोटा रास्ता लिया। त्सेतन को एक ऐसे रास्ते का पता था जो हमें दक्षिण पश्चिम की ओर सीधे कैलाश पर्वत की ओर ले जाएगा। उसमें कई ऊँचे पर्वत पार करने होंगे, वह बोला। परन्तु उसने हमें आश्वस्त किया कि “यदि बर्फ न हुई तो कोई समस्या नहीं होगी?” उसकी कितनी सम्भावना है मैंने पूछा। “कुछ नहीं पता, सर, जब तक हम वहाँ पहुँच नहीं जाते।”

रावू में धीरे-धीरे घूमते हुए पहाड़ियों से हमने छोटे मार्ग से विशाल खुला मैदान पार किया जिसमें केवल कुछ हिरन थे जो अपनी सूखी चरागाह में घास चरना छोड़कर हमें घूरते और फिर छलांग लगाकर शून्य में चले जाते। आगे जहाँ मैदान पथरीला अधिक और घास कम थी, जंगली गधे दिखाई दिए। उनके दिखाई देने से पहले ही हमें बता दिया गया था कि हम उनके समीप पहुँच रहे है। “क्यांग”, उसने सुदूर धूल के एक आवरण की ओर संकेत करके कहा। जब हम उनके निकट पहुँचे तो मैंने देखा कि वे इकट्ठे चौकड़िया भर रहे थे। एक दूसरे के साथ सिमट कर ऐसे घूम और मुड़ रहे थे जैसे किसी पूर्व निर्धारित रास्ते पर युद्धाभ्यास कर रहे हों। स्फूर्तिदायक, स्वच्छ वायु में धूल के पीछे लहरा रहे थे।

Silk Road Hindi Explanation – Para-2

As hills………………………from Tibet.

जब पहाड़ पथरीली वीरान भूमि से ऊँचे उठने शुरू हो गए, तो हम भेड़ें चराते हुए एकाकी ड्रोक्बा (गड़रियों) के पास से गुजरे। कभी कोई पुरुष, कभी कोई स्त्री, ये ठीक प्रकार कपड़ों में लिपटे लोग रुक कर हमारी कार की ओर देखते, और कभी-कभी हमारी ओर हाथ भी हिला देते थे। जब हमारा रास्ता उनके पशुओं के पास से गुजरता था, तो भेड़ें हमारे तेज वाहन से बचने के लिए रास्ते से हटकर दूसरी ओर हो जाती थीं।

हम बंजारों के काले तम्बुओं के पास से गुजरे जो शान के साथ अलग-थलग गड़े हुए थे और जिनके आगे प्राय: बड़ा काला तिब्बती कुत्ता मेस्टिक पहरे पर खड़ा था। जब इन भारी भरकम पशुओं को हमारे आने का पता चलता तो ये अपना सिर टेढ़ा कर लेते थे व हम पर दृष्टि गाड़े रहते थे। जब हम उनके पास आते रहते थे, तो वे तुरन्त काम शुरू कर देते थे, हमारी ओर तेजी से आते थे जैसे बन्दूक से गोली छूटी हो, व लगभग उतनी ही तीव्रता से।

इन झबरे भयंकर पशुओं के, जो काली रात में भी काले थे, सामान्यत: लाल पट्टे बंधे होते थे। तथा ये अपने बड़े-बड़े जबड़ों से जोर-जोर से भौंकते थे। वे हमारे वाहन से पूर्ण रूप से निडर थे, तथा सीधे भाग कर हमारे रास्ते में आ जाते थे जिस कारण त्सेतन को ब्रेक लगाना व रास्ते से हटना पड़ता था। और कुत्ता लगभग सौ मीटर तक हमारा पीछा करता था और हमें अपनी सम्पत्ति से बाहर छोड़ने के बाद ही धीमा होता था। यह बात समझना कठिन नहीं है कि प्राचीन काल से ही रेशम मार्ग के साथ-साथ तिब्बत से तोहफे के रूप में इन्हें क्यों लाया जाता था। और चीन के सम्राट के दरबारों में शिकारी कुत्तों के रूप में क्‍यों लोकप्रिय थे।

Silk Road Hindi Explanation – Para-3

By now………………………see level.

अब हम क्षितिज पर बर्फ से ढके पहाड़ उभरते हुए देख सकते थे। हमने एक वादी में प्रवेश किया जहाँ नदी चौड़ी थी और अधिकतर धूप में दमकती हुई उजली बर्फ से अटी हुई थी। मार्ग नदी के किनारे से लगा हुआ था और नदी के घुमावों के साथ-साथ मुड़ रहा था, तथा जैसे-जैसे हम ऊँचाई पर चढ़ने लगे घाटी की भुजाएँ आपस में निकट आती गई।

मोड़ अधिक तीखे और सवारी अधिक हिचकोले वाली हो गई, जब हम ऊँचाई पर जा रहे थे, त्सेतन गाड़ी तीसरे गिअर में चला रहा था। मार्ग बर्फीली नदी से हटकर बड़ी कठिनाई से खड़ी ढलानों में चढ़ रहा था जहाँ पर बड़ी-बड़ी चट्टानों पर चमकीली नारंगी काई पुती हुई थी। चट्टानों के नीचे जहाँ लगभग स्थायी छाया थी, वहाँ पर बर्फ के गुच्छे लटके हुए थे। मैंने कानों में दबाव बढ़ता अनुभव किया और मैंने नाक पकड़कर जोर से हुंकार कर उसे साफ कर दिया। हमने एक ओर तीखे मोड़ पर घूमने का संघर्ष किया और त्सेतन ने गाड़ी रोकी। इससे पहले मैं समझ सकता था कि क्या बात है, दरवाजा खोलकर त्सेतन ने छलांग लगाई थी। “बर्फ”, डेनिअल बोला और वह भी दवाजा खोलकर वाहन से बाहर चला गया व उसके ऐसा करने से ठंडी हवा का झोका अन्दर आया।

मार्ग पर हमारे सामने सफेद पदार्थ की चादर बिछी थी। जो हो सकता है पन्द्रह मीटर तक जाकर धीरे-धीरे समाप्त हो रही थी और कच्चा रास्ता फिर दिखाई दे रहा था। बर्फ हमारे दोनों ओर थी, और उसमें ऊपर खड़े ढलान को चिकना बना रही थी। किनारा इतना खड़ा था कि हमारी गाड़ी उस पर चढ़ नहीं सकती थी। और इसलिए बर्फ से ढके हुए रास्ते में घूमकर जाने का कोई रास्ता नहीं था। मैं डेनिअल के पास गया जबकि त्सेतन कड़ी ऊपरी बर्फ वाली परत पर चलने लगा और आगे की ओर खिसकने-फिसलने लगा व समय-समय पर पाँव मारकर देखता था कि बर्फ कितनी कठोर है। मैंने अपनी कलाई घड़ी पर देखा। हम समद्र तल से 5,20 मीटर की ऊँचाई पर थे।

Silk Road Hindi Explanation – Para-4

The snow………………………no smoking”.

मुझे बर्फ बहुत गहरी नहीं लग रही थी, परन्तु डेनिअल ने कहा, इतना खतरा उसकी गहराई से नहीं था जितना उसकी ऊपर की बर्फ की परत से था। जब हमने त्सेतन को मुट्ठियाँ भर-भर कर जमी हुई सतह पर फेंकते देखा तो डेनिअल ने सुझाया कि “यदि हम फिसल गए तो कार पलट सकती है।” हम दोनों भी उसकी सहायता करने लगे, और जब बर्फ पर मिट्टी फैल गई, मैं और डेनिअल त्सेतन का भार कम करने के लिए कार से बाहर रहे। उसने कार पीछे की ओर फिर धूल भरी बर्फ की ओर चलाई, उसने बर्फ वाले तल पर कार रोकी और फिर धीरे-धीरे पूरा फासला बिना कठिनाई के पार किया।

दस मिनट के बाद हम एक और बाधा पर रुके। “ठीक नहीं है, सर,” त्सेतन बोला और बाहर के दृश्य का सर्वेक्षण करने के लिए एक बार फिर बाहर छलांग लगाई। इस बार उसने बर्फ से घूमकर कार चलाने का फैसला लिया। ढलान खड़ी थी और उस पर बड़ी-बड़ी चट्टानें जड़ी हुई थी। परन्तु त्सेतन ने उसे किसी-न-किसी ढंग से सफलतापूर्वक पार कर लिया। यद्यपि उसकी चार पहियों पर चलने वाली कार एक बाधा से दूसरी बाधा के बीच लड़खड़ाती रही। ऐसा करने से वह कैंची मोड़ को पार करने से बच गया और आगे रास्ते पर पुन: पहुंच गया जहाँ बर्फ नहीं गिरी थी।

जब हम उजली धूप में चढ़ते जा रहे थे तो मैंने अपनी घड़ी में एक बार फिर देखा। हम 5400 मीटर की ऊँचाई से धीरे-धीरे ऊपर जा रहे थे। मेरा सिर बुरी तरह धक-धक करने लगा। मैंने अपनी पानी की बोतल में से गट-गट पानी पीया, मानते हैं कि इससे तेज चढ़ाई में सहायता मिलती है।

अंत में हम दरें की चोटी पर 5,55 मीटर की ऊँचाई पर पहुँचे। उसे सफेद रिव्बन व झालरदार प्रार्थना ध्वजों से सुसज्जित पत्थरों के स्तूप से चिह्नित किया हुआ था। हम सब ने स्तूप का चक्कर लगाया, घड़ी की सुइयों के घूमने की दिशा में, जैसा कि परम्परा है। त्सेतन ने अपने टायरों की पड़ताल की। उसने पेट्रोल की टंकी के पास रुक कर, उसके ढक्कन के पेंच को आंशिक रूप से खोल दिया। उसमें ऊँची सीं-सीं की ध्वनि आई। वायुमण्डल के कम दबाव के कारण ईंधन फैल गया था। मुझे यह आवाज खतरनाक लगी। हो सकता है,’ सर, त्सेतन हँसा, “परन्तु सिगरेट न पीए।”

Silk Road Hindi Explanation – Para-5

My headache………………………forge ahead.

जब हम दरें के दूसरी ओर तेजी से नीचे उतरने लगे, तो मेरा सिर दर्द दूर हो गया। जब हम भोजन के लिए रुके तो दो बज चुके थे। हमने गर्म-गर्म नूडल एक तिरपाल के तम्बू में खाए जोकि सूखी नमक झील के किनारे कार्य-कैम्प के लिए बनाया गया था। पठार को नमक के फ्लैटो और खारे झीलों टेथिस महासागर के भंवरों से सजाया गया है जो तिब्बत की सीमा से पहले महाद्वीप टकराव से टकराए थे, जिसने इसे आकाश की ओर उठा दिया।

यह गतिविधियों का अड्डा था, भेड़ की खाल के कोट पहने, गैतिया व फावड़े उठाए आदमी इधर-उधर जा रहे थे और उनके जूतों पर नमक की परत जमी थी। चौंध से बचने के लिए उन्होंने धूप के चश्मे लगा रखे थे। नमक के ढेर से लदे नीले टूकों की कतार नमक की चकाचौंध सफेद झील में से बाहर आ रहे थे।

तीसरे पहर हम होर के छोटे से नगर में पहुँच गए, वापस मुख्य पूर्व-पश्चिम सड़क पर जो ल्हासा से कश्मीर के पुराने व्यापार मार्ग पर है। डेनिअल जो ल्हासा से लौट रहा था, उसे एक ट्रक में सवारी मिल गई। इसलिए मैंने व त्सेतन ने उसे टायर-मरम्मत की दुकान के बाहर विदा कही। नमक झील से उतरते समय एक दूसरे के तुरन्त पश्चात्‌ ही दो पंकचर हो गए थे और त्सेतन उनको ठीक कराने के लिए उत्सुक था क्योंकि अब उसके पास अतिरिक्त टायर न बचा था। इसके अतिरिक्त दूसरा टायर जो उसने बदला था उसके स्थान पर जो टायर लगाया था वह इतना चिकना हो गया था जैसे मेरा गंजा सिर।

होर बड़ा कुरूप व दुखदायक स्थान था वहाँ वनस्पति का नाम न था, केवल धूल, मिट्टी, वर्षा का एकत्रित कूड़ा कचरा भारी मात्रा में फैला पड़ा था, जो बड़े दुर्भाग्य की बात थी क्योंकि यह नगर मानसरोवर झील के किनारे पर है जो तिब्बत का सबसे पवित्र जल स्त्रोत है। प्राचीन हिन्दू व बुद्ध विश्व ज्ञान में मानसरोवर को चार महान भारतीय नदियों का स्त्रोत माना गया है- सिंध, गंगा, सुतलज और ब्रह्मपुत्र। वास्तव में केवल सुतलज ही इस झील से निकलता है परन्तु अन्य नदियों के जल-स्त्रोत भी कैलाश पर्वत के बाजुओं के पास में ही हैं। हम उस महान पर्वत के बिल्कुल समीप थे और मैं आगे बढ़ने के लिए उत्सुक था।

Silk Road Hindi Explanation – Para-6

But I had………………………scared me.

परन्तु मुझे प्रतीक्षा करनी पड़ी। त्सेतन ने मुझे कहा कि मैं होर के एक मात्र कैफे में चाय पी आऊँ, यह भी नगर की अन्य इमारतों की भांति बुरी तरह रंग किए हुए कंकरीट की बनी थी, और उसकी तीन टूटी हुई खिड़कियाँ थीं। उनमें से नजर आने वाले झील के दृश्य ने हवा के झोंकों (के कष्ट) की पूर्ति कर दी।

मेरी सेवा सैनिक कपड़े पहने एक चीनी युवक ने की जिसने ग्लास व चाय की थरमस लाने से पहले गन्दे चीथड़े से मेज पर ग्रीस सब ओर फैला दी।

आधा घण्टे पश्चात्‌ त्सेतन ने मुझे मेरे एकाकी जेल से छुटकारा दिलाया। बहुत से पत्थरों व कूड़े कचरे के पास से गुजर कर हम नगर के बाहर कैलाश पर्वत की ओर चल पड़े।

झील मानसरोवर को देखने के पश्चात्‌ यात्रियों के जो वर्णन मैंने पढ़े थे, मेरा अनुभव उनसे बिल्कुल विपरीत था। एक जापानी भिक्षु, एकाई कवागुची जो वर्ष 900 में यहाँ आया था, इस झील की पवित्रता को देखकर फूट-फूट कर रोने लगा। दो वर्ष पश्चात्‌ इस पवित्र जल का स्वीडन के स्वेन हेदिन पर भी ऐसा ही प्रभाव पड़ा था यद्यपि उसे इस प्रकार की भावुकता प्रकट करने की आदत न थी।

जब हम दोबारा चले तो अंधेरा हो गया था और रात के साढ़े दस बजे हम डारचेन के गेस्ट हाऊस के बाहर आकर रुके। और यह रात भी मुसीबत भरी थी। खुले कचरे के ढेर जिस का नाम होर था, उसमें घूमते हुए मुझे जुकाम फिर से हो गया था। यद्यपि सच कहूँ तो जड़ी बूटियों की चाय से मेरा जुकाम कभी पूर्णत: ठीक न हुआ था। जब मैं सोने के लिए लेटा तो मेरी एक नासिका पुन: बन्द हो गई थी और मुझे विश्वास न था कि दूसरी (नासिका) से मुझे पर्याप्त ऑक्सीजन प्राप्त हो जाएगी। मेरी घड़ी मुझे विश्वास दिला रही थी कि मैं 4,760 मीटर की ऊँचाई पर था। यह स्थान रावू से अधिक ऊँचाई पर तो न था, और मैं वहाँ पर भी रात को कई बार ऑक्सीजन के लिए छटपटाता रहता था। अब तक मैं रात्रि की इन परेशानियों का अभ्यस्त हो चुका था फिर भी मुझे उनसे भय लगता था।

Silk Road Hindi Explanation – Para-7

Tired and………………………my wrist.

मैं थका हुआ व भूखा था, मैंने मुँह से साँस लेना आरम्भ कर दिया। कुछ समय पश्चात्‌ मैंने एक नासिका की शक्ति पर बदल लिया जो लगता था पर्याप्त ऑक्सीजन अन्दर आने दे रही थी, परन्तु ज्यों ही मुझे नींद आने लगी थी, मैं यकायक जाग गया। कुछ गड़बड़ थी। मेरी छाती पर विचित्र सा बोझ अनुभव हो रहा था और मैं बैठा गया। क्षण भर में इस हरकत से मेरे नाक का रास्ता साफ हो गया और छाती में जो अनुभव हो रहा था उससे भी राहत मिल गई। कैसी विचित्र बात है, मैंने सोचा।

में फिर लेट गया और फिर प्रयत्न किया, वही परिणाम। मैं ऊँघने की दुनिया में विलीन होने वाला ही था कि किसी चीज ने मुझे कहा “नहीं”। वह वही आपातकालीन बिजली का आवेग होगा, परन्तु यह वैसा न था जैसा पिछले अवसर पर हुआ था। इस बार मैं साँस लेने के लिए तो न छटपटा रहा था, परन्तु मुझे सोने की अनुमति न थी।

एक बार फिर बैठने में मुझे एकदम आराम मिला। मैं खुलकर साँस ले सकता था और मेरी छाती भी ठीक थी। परन्तु ज्यों ही मैं लेटा मेरी नाड़ियाँ भर गई और छाती में अजीब-सा लगा। मैंने दीवार के सहारे सीधा बैठने का प्रयत्न किया परन्तु मुझे इतना चैन न आया कि मैं सो सकता। मुझे कारण का पता न चल सका परन्तु मुझे सोने से भय लग रहा था। एक नन्ही-सी आवाज मेरे अन्दर से कह रही थी यदि मैं सो गया तो मैं फिर कभी न जागूँगा। इसलिए मैं सारी रात जागता रहा।

अगले दिन सवेरे त्सेतन मुझे दारचेन के मेडिकल कॉलेज में ले गया। मेडिकल कॉलेज नया था और बाहर से मठ जैसा दिखता था। उसका भारी मजबूत दरवाजा एक बड़े आंगन में खुलता था। रोगियों को देखने का कमरा अंधेरा व ठंडा था जिसमें एक तिब्बती डॉक्टर बैठा था जिसने मेरी अपेक्षा के विपरीत कोई निजी उपकरण धारण न कर रखे थे। सफेद कोट भी न था। मोटा स्वेटर व ऊनी टोप पहन वह अन्य किसी भी तिब्बती जैसा प्रतीत होता था। जब मैंने उसे अपने नींद न आने के लक्षण व अचानक मेरी न सोने की इच्छा विदित कराई तो उसने मेरी नाड़ी देखते हुए कई प्रश्न किए।

Silk Road Hindi Explanation – Para-8

“It’s a………………………its Summit.

“जुकाम है”, अंत में उसने त्सेतन के माध्यम से मुझे बताया। “जुकाम और ऊँचाई का प्रभाव। मैं इसके लिए आप को कुछ दे देता हूँ। मैंने उससे पूछा कया उसके विचार में मैं कोरा योग्य हो जाऊँगा। “ओ हाँ”, उसने कहा, “आप बिल्कुल ठीक हो जाओगे।”

मैं पन्द्रह पुड़ियों से भरा खाकी लिफाफा थामे मेडिकल कॉलेज से बाहर आया। मेरा तिब्बती दवाइयों का पाँच दिन का उपचार था जो मैंने उसी समय आरम्भ कर दिया था। मैंने नाश्ते के बाद वाली पुड़िया खोली और देखा उसमें भूरा चूर्ण था जो मुझे गर्म पानी के साथ लेना था। इसका स्वाद दालचीनी जैसा था। दोपहर के भोजन व सोते समय वाली पुड़ियों की दवा पहचानना कठिन था। दोनों में खाकी-से रंग की छोटी-छोटी गोलियाँ थीं। उनको देखने में भेड़ की मींगने का संदेह होता था। परन्तु निःसंदेह मैंने वे ले लीं। उस रात पूरे दिन के पूर्ण उपचार के पश्चात्‌, मैं गहरी नींद में सोया था। एक शहतीर की भाँति, न कि एक मृत व्यक्ति की भाँति।

जब त्सेतन ने देख लिया कि मैं जीवित रहूँगा, वह मुझे छोड़कर ल्हासा चला गया। बौद्ध होने के कारण उसने मुझ से कहा कि यदि आप मर गए तो कोई बात नहीं, परन्तु इससे कारोबार की हानि होगी।

रात भर अच्छी प्रकार सोने के पश्चात्‌ दारचेन इतना भयानक प्रतीत न होता था। अभी भी यह धूल भरा था, आंशिक रूप से उजड़ा हुआ था, और यहाँ-वहाँ कूड़े-मलबे के ढेर लगे थे, परन्तु सूर्य साफ नीले आकाश में चमक रहा था, और दक्षिण में मैदान के पार हिमालय दिखाई दे रहा था, और सामने विशाल बर्फ से ढकी चोटियों वाला गुंरला मनघाता पर्वत था जिसकी चोटी के ऊपर नन्हा-सा बादल का लच्छा लटका हुआ था।

Silk Road Hindi Explanation – Para-9

The town had………………………basic question.

नगर में दो अर्थ विकसित सामान्य स्टोर थे जो चीनी, सिगरेट, साबुन और अन्य बुनियादी सामान व सामान्य प्रार्थना ध्वज बेचते थे। उनमें से एक के सामने दोपहर को लोग पोलो खेलने के लिए इकट्ठा हो जाते थे। खुली हवा में टूटा-फूटा मेज असंगत लगता था और महिलाएँ उस सरिता के बर्फीले पानी में अपने लम्बे बाल धोती थीं, जो मेरे गेस्ट हाऊस के समीप से कोलाहल करती बहती थी। दारचेन शान्त व बिना भागदौड़ वाला नगर था परन्तु मुझे एक ही कमी दिखती थी- वहाँ यात्री न थे।

मुझे पता चला था कि यात्रियों के मौसम के चरम बिन्दु में नगर में यात्रियों की हलचल हो जाती है। बहुत-से अपने ठहरने का प्रबन्ध साथ लेकर आते थे, और अपने तम्बू गाड़कर नगर को किनारों से बढ़ा देते थे और मैदान तक फैल जाते थे। मैंने अपना आने का समय मौसम के आरम्भ के लिए चुना था, परन्तु सम्भवत: मैं बहुत पहले आ गया था।

एक दिन तीसरे पहर दारचेन के एक मात्र केफे में चाय का ग्लास पीते समय में अपने विकल्पों पर विचार करने लगा। थोड़ा सोच-विचार करने के पश्चात्‌ मैं इस निष्कर्ष पर पहुँचा कि वे अत्यन्त सीमित थे। स्पष्ट था कि मैंने अपने सकारात्मक विचारों में स्वयं सहायता करने में अधिक सफलता प्राप्त न की थी।

मेरे पक्ष में यह बात थी कि मुझे अपने सोने की परेशानियों से आराम न मिला था, परन्तु चाहे मैं इस बारे में कैसे भी सोचता, मैं केवल प्रतीक्षा ही कर सकता था। यात्री पथ खूब प्रचलित था, परन्तु मैं उस पर अकेला जाना न चाहता था। ‘कोरा’ का मौसम होता था क्योंकि मार्ग के कुछ भाग की बर्फ से बन्द होने की सम्भावना रहती थी। मुझे कुछ पता न था कि बर्फ साफ हो गई है या नहीं परन्तु दारचेन की सरिता के किनारों पर चिपटी गदली बर्फ के खण्डों को देखकर मैं निरुत्साहित हो जाता था। जबसे त्सेतन गया था मुझे दारचेन में कोई एक व्यक्ति भी न मिला था। जिसे इतनी अंग्रेजी आती हो जो मेरे इस अति मूल प्रश्न का उत्तर दे सके।

Silk Road Hindi Explanation – Para-10

Until, that………………………of fieldwork.

अर्थात्‌ जब तक मैं नोरबू से नहीं मिला था। कैफे छोटा, अंधेरा और गुफा तुल्य था जिसमें धातु की भट्टी थी जो बीच में गहरी होती है। दीवारें व छत प्लास्टिक की रंग बिरंगी चादरों से गुथी थी, धारीदार प्रकार की चौड़ी, नीली, लाल व सफेद, वेजिन का प्रयोग मजबूत बड़े-बड़े हाट करने के थैले बनाने के काम आता है, और जो समस्त चीन में, एशिया में व यूरोप में बिकते हैं। इस प्रकार प्लास्टिक चीन की सिल्क मार्ग के साथ-साथ सबसे सफल निर्यात वस्तु अवश्य ही होगी।

केफे में केवल एक खिड़की थी जिसके पास मैंने स्थान ले लिया था ताकि मैं अपनी नोट बुक के पन्‍ने देख सकूँ। मैं अपने साथ एक उपन्यास भी लाया था ताकि समय अच्छी प्रकार व्यतीत कर सकूँ।

जब नोरबू अन्दर आया उसने मेरी पुस्तक देख ली और इशारे से पूछा कि क्या वह मेरे सामने उस क्षीण मेज पर बैठ जाए। “आप-अंग्रेज?” उसने चाय का आर्डर देने के पश्चात्‌ पूछा। मैंने कहा कि मैं अंग्रेज हूँ, और हमारा वार्तालाप आरम्भ हो गया।

मैंने सोचा कि वह उस क्षेत्र का नहीं है क्योंकि उसने विंडचीटर पहन रखी थी और पश्चिमी ढंग का धातु के फ्रेम वाला चश्मा पहन रखा था। उसने मुझे बताया कि मैं तिब्बती हूँ और बीजिंग में चाइनीज एकेडमी ऑफ सोशल साइंसिज में इन्स्टिट्यूट ऑफ एथनिक लिट्रेचर में काम करता था। मेरी धारणा थी कि वह किसी अनुसंधान कार्य में लगा हुआ था।

Silk Road Hindi Explanation – Para-11

“Yes and no………………………too big.

“हाँ और न” वह बोला। “मैं ‘कोरा’ करने आया हूँ।” मेरा दिल उछल पड़ा। नोरबू कई वर्षों से कैलाश कोरा व बौद्ध साहित्य में उसके महत्त्व पर शैक्षणिक लेख लिख रहा था। परन्तु उसने वास्तव में कभी ऐसा न किया था।

जब मेरी बारी आई उसे यह बताने की कि मैं दारचेन क्यों आया था, उसकी आँखे चमक उठीं। “हम मिलकर चल सकते हैं”, वह उत्तेजनापूर्वक बोला। “दो शास्त्री जो पुस्तकालयों से भाग आए है।” शायद मेरी सकारात्मक बुद्धि वाली योजना काम करने लग पड़ी थी।

नोरबू भी गेस्ट हाउस में ठहरा हुआ था, उसे मिलने की प्रारम्भिक राहत यह जानकर कम हो गई कि उसके पास भी मेरी भाँति यात्रा की आवश्यक सामग्री की कमी थी। वह मुझे बताता रहता था कि वह कितना मोटा है, और उसके लिए कितनी कठिनाई आएगी। “बहुत ऊँचाई है,” वह मुझे याद दिलाता रहता, “और चलना कितना थकाने वाला।” वास्तव में वह बुद्ध धर्म का पालन न कर रहा था, परन्तु उसमें जोश था और वह तिब्बती भी था।

मूलत: मैंने यात्रा भक्त जनों के संग करने की सोची थी। परन्तु सोच-विचार करने के पश्चात्‌ मैंने निर्णय लिया कि नोरबू आदर्श साथी रहेगा। उसने सामान ढोने के लिए कुछ याक भाड़े पर लेने का सुझाव दिया, जिसका मैंने अच्छा अर्थ समझा, और उसकी पहाड़ की परिक्रमा के समय दण्डवत लेटने का कोई इरादा न था। “सम्भव नहीं,” मेज पर। लेटकर वह पागलों की भाँति हँस कर बोला। यह उसकी शैली न थी। और फिर उसकी तौन्द भी बहुत बड़ी थी।

FAQs

What is the theme of Silk Road Class 11?

The Silk Road chapter is a travelogue of the author’s pilgrimage to Mount Kailash on the ancient trade route known as the ‘Silk Road’.

Who wrote Silk Road Class 11?

Nick Middleton wrote Silk Road Class 11.

Jalandhar Paswan is pursuing Master's in Computer Applications at MMMUT Campus. He is Blogger & YouTuber by the choice and a tech-savvy by the habit.

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