खुलकर सीखें के इस ब्लॉगपोस्ट The Tiger King Class 12 Summary & Explanation में आप Class 12 NCERT English Vistas Chapter 2 यानि The Tiger King Class 12 का सारांश और लाइन बाई लाइन करके हिन्दी व्याख्या करना सीखेंगे।
सबसे पहले आप इस चैप्टर यानि The Tiger King के बारे में पढ़ते हुए लेखक के बारे में जानेंगे और फिर इस चैप्टर का Summary पढ़ने के बाद आप इस पाठ के एक-एक लाइन का हिंदी अनुवाद भी इसी पेज पर पढ़ सकेंगे।
About the Lesson – The Tiger King
“The Tiger King” is a satirical story written by Kalki, which highlights the irony of fate and the foolishness of human arrogance. The story revolves around the King of Pratibandapuram, who tries to defy a prophecy predicting his death by a tiger. In his obsessive attempt to kill a hundred tigers to prevent his fate, he ironically meets his end due to a wooden toy tiger. The lesson humorously criticizes the vanity and cruelty of rulers who exploit nature for their selfish desires.
About the Lesson in Hindi
“द टाइगर किंग” कल्कि द्वारा लिखी गई एक व्यंग्यात्मक कहानी है, जो भाग्य की विडंबना और मानवीय अहंकार की मूर्खता को उजागर करती है। कहानी प्रतिबंदपुरम के राजा के इर्द-गिर्द घूमती है, जो एक बाघ द्वारा अपनी मृत्यु की भविष्यवाणी करने वाली भविष्यवाणी को चुनौती देने की कोशिश करता है। अपने भाग्य को रोकने के लिए सौ बाघों को मारने के अपने जुनूनी प्रयास में, वह विडंबना से एक लकड़ी के खिलौने वाले बाघ के कारण अपनी मौत को प्राप्त करता है। पाठ में शासकों के घमंड और क्रूरता की हास्यपूर्ण आलोचना की गई है जो अपनी स्वार्थी इच्छाओं के लिए प्रकृति का शोषण करते हैं।
About the Author – Kalki Krishnamurthy
Kalki Krishnamurthy (1899–1954) was a renowned Tamil writer, journalist, and freedom fighter. He is best known for his historical novels and social satires. His writings often carried deep political and social messages. The Tiger King is one such story that ridicules the arrogance of power and human folly while subtly addressing the importance of wildlife conservation.
About the Author in Hindi
कल्कि कृष्णमूर्ति (1899-1954) एक प्रसिद्ध तमिल लेखक, पत्रकार और स्वतंत्रता सेनानी थे। वे अपने ऐतिहासिक उपन्यासों और सामाजिक व्यंग्यों के लिए सबसे ज्यादा जाने जाते हैं। उनके लेखन में अक्सर गहरे राजनीतिक और सामाजिक संदेश होते थे। द टाइगर किंग एक ऐसी कहानी है जो सत्ता के अहंकार और मानवीय मूर्खता का उपहास करती है जबकि सूक्ष्म रूप से वन्यजीव संरक्षण के महत्व को संबोधित करती है।
Summary of The Tiger King
The story begins with astrologers predicting that the newly born prince of Pratibandapuram, Jilani Jung Jung Bahadur, will die due to a tiger. The infant prince, surprisingly speaking at just ten days old, challenges the prophecy. As he grows up and becomes the Maharaja of Pratibandapuram, he becomes obsessed with killing tigers to escape his fate.
To fulfill his mission, he bans everyone else from hunting tigers, marries a princess from a tiger-rich kingdom, and even bribes British officers to secure his throne. Eventually, he kills 99 tigers, but the 100th tiger, which was supposed to seal his safety, turns out to be a farcical event. The last tiger, unknowingly brought into the forest by his minister, is mistakenly believed to be shot by the king but is actually killed by his men later.
Ironically, the Maharaja dies when a tiny wooden toy tiger (a gift for his son) pierces his finger, leading to an infection that claims his life. Thus, the prophecy comes true, highlighting fate’s unavoidable power and the foolishness of human arrogance.
Hindi Summary of The Tiger King
कहानी की शुरुआत ज्योतिषियों की भविष्यवाणी से होती है कि प्रतिबंदपुरम के नवजात राजकुमार, जिलानी जंग जंग बहादुर, एक बाघ के कारण मर जाएंगे। आश्चर्यजनक रूप से मात्र दस दिन की उम्र में बोलने वाला शिशु राजकुमार भविष्यवाणी को चुनौती देता है। जैसे-जैसे वह बड़ा होता है और प्रतिबंदपुरम का महाराजा बनता है, वह अपने भाग्य से बचने के लिए बाघों को मारने का जुनूनी हो जाता है।
अपने मिशन को पूरा करने के लिए, वह बाघों का शिकार करने से सभी को प्रतिबंधित करता है, बाघों से समृद्ध राज्य की राजकुमारी से शादी करता है, और यहां तक कि अपने सिंहासन को सुरक्षित करने के लिए ब्रिटिश अधिकारियों को रिश्वत भी देता है। आखिरकार, वह 99 बाघों को मार देता है, लेकिन 100वां बाघ, जो उसकी सुरक्षा को सील करने वाला था, एक हास्यास्पद घटना बन जाता है। आखिरी बाघ, अनजाने में उसके मंत्री द्वारा जंगल में लाया गया, गलती से राजा द्वारा गोली मार दी गई माना जाता है, लेकिन वास्तव में बाद में उसके आदमियों द्वारा मार दिया जाता है।
विडंबना यह है कि महाराजा की मृत्यु तब होती है जब एक छोटा लकड़ी का खिलौना बाघ (अपने बेटे के लिए एक उपहार) उसकी उंगली में चुभ जाता है, जिससे एक संक्रमण होता है जो उसकी जान ले लेता है। इस प्रकार, भविष्यवाणी सच होती है, तथा भाग्य की अपरिहार्य शक्ति और मानव अहंकार की मूर्खता को उजागर करती है।
The Tiger King Summary in English
The story The Tiger King by Kalki Krishnamurthy is a satire on the arrogance of power and the irony of fate. It revolves around the Maharaja of Pratibandapuram, Jilani Jung Jung Bahadur, who tries to defy a prophecy predicting his death by a tiger.
The Prophecy and the Maharaja’s Obsession:
When the prince is born, astrologers predict that he will die due to a tiger. Surprisingly, the ten-day-old infant speaks, questioning the prophecy. The chief astrologer warns that the hundredth tiger will be the cause of his death.
As the prince grows up and becomes the Maharaja, he becomes obsessed with killing tigers to escape his fate. He bans everyone else from hunting tigers and declares that he alone will kill 100 tigers.
His Ruthless Efforts:
The king successfully kills 70 tigers in his state. When the tiger population goes extinct, he marries a princess from a tiger-rich kingdom to continue his hunting. Every time he visits his father-in-law, he kills more tigers until he reaches 99.
However, finding the 100th tiger proves difficult. When a tiger is finally spotted, the Maharaja shoots at it but misses. His men, fearing his wrath, kill the tiger secretly and present it as a successful hunt. The Maharaja believes he has escaped his fate.
The Irony of Fate:
A few days later, for his son’s third birthday, the Maharaja buys a wooden toy tiger. While playing, a sharp wooden splinter from the toy pierces his finger. It gets infected, leading to his death during surgery.
Thus, the hundredth tiger ironically kills him, fulfilling the astrologer’s prophecy. The story highlights the foolishness of human arrogance and how fate cannot be avoided.
The Tiger King Summary in Hindi
कल्कि कृष्णमूर्ति की कहानी द टाइगर किंग सत्ता के अहंकार और भाग्य की विडंबना पर व्यंग्य है। यह प्रतिबंदपुरम के महाराजा जिलानी जंग जंग बहादुर के इर्द-गिर्द घूमती है, जो एक बाघ द्वारा अपनी मृत्यु की भविष्यवाणी करने वाली भविष्यवाणी को चुनौती देने की कोशिश करता है।
भविष्यवाणी और महाराजा का जुनून:
जब राजकुमार का जन्म होता है, तो ज्योतिषी भविष्यवाणी करते हैं कि उसकी मृत्यु एक बाघ के कारण होगी। आश्चर्यजनक रूप से, दस दिन का शिशु भविष्यवाणी पर सवाल उठाते हुए बोलता है। मुख्य ज्योतिषी चेतावनी देता है कि सौवां बाघ उसकी मृत्यु का कारण होगा।
जैसे-जैसे राजकुमार बड़ा होता है और महाराजा बनता है, वह अपने भाग्य से बचने के लिए बाघों को मारने का जुनूनी हो जाता है। वह बाकी सभी को बाघों का शिकार करने से रोकता है और घोषणा करता है कि वह अकेले 100 बाघों को मार देगा।
उसके निर्मम प्रयास:
राजा अपने राज्य में 70 बाघों को सफलतापूर्वक मार देता है। जब बाघों की आबादी विलुप्त हो जाती है, तो वह अपने शिकार को जारी रखने के लिए बाघों से समृद्ध राज्य की राजकुमारी से शादी कर लेता है। हर बार जब वह अपने ससुर से मिलने जाता है, तो वह 99 बाघों तक पहुँचने तक और बाघों को मारता है।
हालाँकि, 100वाँ बाघ ढूँढ़ना मुश्किल साबित होता है। जब आखिरकार एक बाघ दिखाई देता है, तो महाराजा उस पर गोली चलाता है, लेकिन चूक जाता है। उस्के क्रोध से डरकर उनके लोग चुपके से बाघ को मार देते हैं और इसे एक सफल शिकार के रूप में पेश करते हैं। महाराजा को लगता है कि वह अपने भाग्य से बच गया है।
भाग्य की विडंबना:
कुछ दिनों बाद, अपने बेटे के तीसरे जन्मदिन के लिए, महाराजा एक लकड़ी का खिलौना (बाघ) खरीदता है। खेलते समय, खिलौने से एक नुकीला लकड़ी का टुकड़ा उसकी उंगली में चुभ जाता है। यह संक्रमित हो जाता है, जिससे सर्जरी के दौरान उसकी मृत्यु हो जाती है।
इस प्रकार, सौवाँ बाघ विडंबनापूर्ण रूप से उसे मार देता है, जिससे ज्योतिषी की भविष्यवाणी पूरी होती है। कहानी मानव अहंकार की मूर्खता को उजागर करती है और बताती है कि कैसे भाग्य को टाला नहीं जा सकता।
Summary of all chapters of Class 12 English
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The Tiger King Explanation in Hindi
The Tiger King का हिंदी अर्थ होगा – बाघ राजा। इस चैप्टर को एक प्रसिद्ध तमिल लेखक और पत्रकार कल्कि कृष्णमूर्ति के द्वारा लिखा गया है। नीचे Class 12 NCERT English Vistas Supplementary Chapter 2 यानी The Tiger King Class 12 का Paragraph wise Hindi Translation दिया गया है।
I
[1] The Maharaja………………….my story.
प्रतिबंदपुरम के महाराजा इस कहानी के नायक हैं। उन्हें स्वनामधन्य जमींदार जनरल किलेदार मेजर, सत व्याघ्र संचारी महाराजाधिराज विश्व भुवन सम्राट, सर जिलानी जंग, जंग बहादुर एम.ए.डी., ए.सी.टी.सी., या सी.आर.सी. के. के नाम से जाना जा सकता है। पर इस नाम को अक्सर टाइगर किंग के संक्षिप्त रूप में बोला जाता है। मैं आपके सामने यह बताने के लिए उपस्थित हूँ कि क्यों वह ‘टाइगर किंग’ कहलाया। मैं इस इरादे से आगे बढ़ने का दावा नहीं कर रहा हूँ कि अंत में योजनाबद्ध तरीके से वापस आ जाऊँ। कोई स्टुका बमवर्षक भी मुझे मेरे मार्ग से विचलित नहीं कर सकेगा। स्टुका, अगर वह चाहे तो मेरी कहानी से शीघ्रता से पीछे हट सकता है।
[2] Right at…………………to die.
सबसे पहले टाइगर किंग के बारे में एक महत्वपूर्ण बात बताना जरूरी है। उसके बारे में पढ़ने वाला हर व्यक्ति उस जैसे अदम्य साहसिक व्यक्ति से आमने-सामने मिलने की इच्छा करेगा। पर इसके (इच्छा के) पूरा होने की कोई संभावना नहीं है। जैसे भरत ने राम से दशरथ के बारे में कहा था-टाइनर किंग सारे जीवित प्राणियों के अंतिम निवास-स्थान में पहुँच गया है। दूसरे शब्दों में टाइगर किंग मर चुका है।
उसकी मृत्यु का ढंग असाधारण रूप से रोचक है। इसे कहानी के अंत में ही बताया जा सकता है। उसकी मृत्यु का सबसे रोचक पहलू यह था कि उसके जन्म के तुरन्त बाद ज्योतिषियों ने भविष्यवाणी की थी कि एक दिन टाइगर किंग को वास्तव में मरना पड़ेगा।
[3] “The child……………….so clearly.
“यह बच्चा बड़ा होकर योद्धाओं में योद्धा, नायकों में नायक और वीरों में वीर बनेगा। पर….” उन्होंने अपने होंठ काटे और उन्हें अपनी बात पर विश्वास करना कठिन लगता था। जब उन्हें अपनी बात को जारी रखने के लिए मजबूर किया गया, तब ज्योतिषियों ने यह कहा। “यह वह रहस्य जो बिल्कुल नहीं बताना चाहिए। और फिर भी हमें कहने के लिए मजबूर किया जा रहा है। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले बालक को एक दिन मृत्यु का सामना करना पड़ेगा।”
उसी क्षण एक बड़ा चमत्कार हुआ। दस दिन के जिलानी जंग जंग बहादुर के होठों से एक आश्चर्यजनक वाक्यांश निकला, “ओ बुद्धिमान पैंगबरी!” हर व्यक्ति आश्चर्य में डूबा अवाक् खड़ा था। वे एक दूसरे की तरफ घबराये से देखते और पलकें झपका रहे थे।
“ओ बुद्धिमान पैगंबरी! यह बोलने वाला मैं हूँ।”
इस बार शक की कोई गुंजाइश न थी। यह तो दस दिन पूर्व जन्म लेने वाला शिशु ही था जिसने इतनी स्पष्टता से शब्द बोले थे।
[4] The chief………………..explained.
प्रमुख ज्योतिषी ने अपना चश्मा उतारा और शिशु की ओर ध्यान से देखा।
“उन सब को जिन्होंने जन्म लिया है, एक दिन मरना होगा। यह जानने के लिए हमें आपकी भविष्यवाणियों की आवश्यकता नहीं है। इसमें तब कई काम की बात होती अगर आप हमें मृत्यु का तरीका बता सकते” शाही शिशु ने अपनी पक्षी जैसी तीखी छोटी आवाज में यह शब्द कहे।
प्रमुख ज्योतिषी ने हैरान होकर अपनी नाक पर अपनी उंगली रख ली। मात्र दस दिन का शिशु अपने होंठ खोलकर बोलता है। यही नहीं, यह समझदारी भरे प्रश्न भी पूछता है! अविश्वसनीय! यह सत्य नहीं बल्कि युद्ध-कार्यालय से निकलने वाले समाचारों जैसे लगता था।
प्रमुख ज्योतिषी ने अपनी नाक से उंगली हटायी और नन्हें राजकुमार पर अपनी दृष्टि टिका दीं।
“राजकुमार का जन्म वृषभ राशि में हुआ था। बैल और बाघ शत्रु हैं, अतः मृत्यु बाघ से आयेगी, उसने समझाया।
[5] You may…………………truth.
आप शायद सोच रहे होंगे कि सिंहासन का उत्तराधिकारी राजकुमार बाघ शब्द सुनकर शायद कांप गया हो। पर इस तरह की कोई बात न हुई। राजकुमार ने जैसे ही इस शब्द को बोलते सुना, वह गहरी आवाज में गुर्राया। उसके होंठों से भयानक शब्द निकले।
“बाघ सावधान हो जाये।”
यह वर्णन मात्र ऐसी अफवाह है जो प्रतिबंदपुरम में फैली है। पर बाद की घटनाओं को देखकर, हम इस निष्कर्ष पर पहुँच सकते हैं कि यह किसी सत्य पर आधारित थी।
II
[6] Crown………………….Maharaja’s ears.
युवराज जंग-जंग बहादुर प्रतिदिन लंबा और शक्तिशाली होता गया। पूर्ववर्णित घटना के अतिरिक्त उसके बचपन में और कोई चमत्कार नहीं हुआ। लड़के ने अंग्रेजी गाय का दूध पीया, एक अंग्रेज महिला (धाय) ने उसे पाल कर बड़ा किया, एक अंग्रेज के द्वारा अंग्रेजी में शिक्षित हुआ, अंग्रेजी फिल्मों के अलावा वह कुछ नहीं देखता था-ठीक वैसे ही जैसे कि अन्य सारे भारतीय राज्यों के युवराज करते थे। जब वह बीस वर्ष का वयस्क हुआ तो वह राज्य जो तब तक कानूनी संरक्षण में था उसके हाथों में आ गया।
पर राज्य के प्रत्येक व्यक्ति की ज्योतिषी की भविष्यवाणी याद थी। बहुत से लोग इसकी चर्चा करते रहे। धीरे-धीरे यह बात महाराजा के कानों तक पहुँच गई।
[7] There……………………note.
प्रतिबंदपुरम राज्य में अनेकानेक जंगल थे। उनके अन्दर बाघ रहते थे। महाराजा को वह कहावत पता थी, “आत्मरक्षा के लिए आप किसी गाय को भी मार सकते हो। आत्मरक्षा के लिए निश्चित रूप से बाघों को मारने में कोई एतराज नहीं हो सकता था। महाराजा ने बाघों का शिकार करना प्रारंभ कर दिया।”
महाराज तब सीमा से अधिक उत्तेजित हो उठे जब उन्होंने अपना पहला बाघ मारा। उसने शाही ज्योतिषी को बुलाया और मृत पशु को दिखाया।
“अब आप क्या कहते हो?” वह बोला।
“महाराज आप बिल्कुल इसी तरह चाहे निन्यान्बे बाघ मार सकते हैं। पर……” ज्योतिषी धीरे-धीरे बोला।
“पर क्या? निर्भय होकर बोलो।”
“पर सौवें बाघ के बारे में आपको बड़ा सावधान रहना होगा।”
“अगर सौवां बाघ भी मार दिया जाये तो?”
“तब मैं ज्योतिष की अपनी सारी पुस्तकें फाड़ दूंगा, उनमें आग लगा दूंगा, और …..” “और…….” मैं अपनी चोटी कटवा कर सिर के बाल कटवा दूंगा और बीमा एजेंट बन जाऊँगा, ज्योतिषी ने बेतुकी (असंगत) बात कही।
III
[8] From…………………..who won.
उस दिन के बाद से प्रतिबंदपुरम में रहने वाले सारे बाधों के लिए उत्सव का माहौल था। राज्य में महाराजा को छोड़कर किसी अन्य व्यक्ति द्वारा बाघ के शिकार पर प्रतिबंध लगा दिया गया। इस आशय की घोषणा की गयी कि अगर किसी व्यक्ति ने बाघ की तरफ एक पत्चर भी फेंकने का साहस किया तो उसकी सारी धन और संपत्ति जब्त कर ली जायेगी।
महाराज ने प्रतिज्ञा की कि वह सी बाघ मारने के बाद ही सारी दूसरी बातों पर ध्यान देंगे। प्रारंभ में लगता था कि अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए राजा ठीक गति से जुटे थे।
ऐसा नहीं कि उसे किसी खतरे का सामना नहीं करना पड़ा हो। ऐसे अवसर भी आये कि गोली का निशाना चूक जाता था, बाघ उनके ऊपर छलांग लगा देता था और वह खाली हाथ उस जानवर से लड़ता था। हर बार जीत महाराजा की ही होती थी।
[9] At another………………..imposile!”
एक और मौके पर, उसे अपने सिंहासन को खो देने का खतरा था। एक उच्च पदस्थ ब्रिटिश अधिकारी प्रतिबंदपुरम की यात्रा पर आया। उसे बाघों के शिकार का बड़ा शौक था। इससे भी अधिक शौक अपने द्वारा मारे गये बाधों के साथ फोटो खिंचवाने का था। वह प्रतिबंदपुरम में बाघों का शिकार करना चाहता था। पर महाराजा अपने फैसले पर अडिग थे। उसने अनुमति देने से इनकार कर दिया। “मैं किसी और शिकार का आयोजन करा सकता हूँ। आप सूअर के शिकार पर जा सकते हैं। आप चूहों का शिकार कर सकते हैं। हम मच्छर के शिकार के लिए भी तैयार हैं। पर बाघ का शिकार! वह असंभव है!”
[10] The British………………….itself.
ब्रिटिश अधिकारी के सचिव ने महाराजा को दीवान के द्वारा संदेश भेजा कि दुरई को स्वयं बाघ नहीं मारना था। वास्तविक शिकार महाराजा कर सकते थे। दुरई के लिए महत्वपूर्ण बात यह थी कि बाघ के मुर्दा (मृत) शरीर के ऊपर खड़े होकर, बंदूक हाथ में लिए अपना फोटो खिंचवा ले। पर महाराजा इस प्रस्ताव पर भी तैयार नहीं थे। अगर वह इस समय नरम पड़ गये तो तब क्या होगा अगर दूसरे ब्रिटिश अधिकारी बाघ के शिकार के लिए वहाँ आयेंगे?
क्योंकि उसने एक ब्रिटिश अधिकारी को अपनी इच्छा पूर्ति से रोका था, महाराजा को अपना राज्य चले जाने का खतरा था।
[11] The Maharaja………………..kingdom.
इस विषय पर महाराजा और दीवान ने मंत्रणा (विचार-विमर्श) की। परिणामस्वरूप कलकत्ता में एक प्रसिद्ध ब्रिटिश कंपनी के जौहरियों के पास तुरंत एक तार भेजा गया ‘अलग-अलग डिज़ाइन (आकृति) की हीरे की महंगी अंगूठियों के नमूने भेजो।’
करीब पचास अंगूठियों आई! महाराजा ने सारी की सारी उस ब्रिटिश अधिकारी की सुयोग्य पत्नी के पास भेज दीं। राजा और मंत्री को आशा थी कि दुरईसेनी एक, दो अंगूठी चुन कर शेष वापस भेज देगी। तुरंत ही दुरइसेनी ने अपना उत्तर भेज दिया “आपकी भेंट के लिए आपको बहुत धन्यवाद।”
दो दिन के अंदर ब्रिटिश जौहरियों से तीन लाख का बिल आ गया। महाराजा खुश थे हालांकि उनके तीन लाख रुपये चले गये थे, उनका राज्य उनके पास रह गया था।
IV
[12] The Maharaja………………..alone?
महाराजा के बाधों के शिकार अत्यधिक सफल होते रहे। दस वर्ष के अंदर वह सत्तर बाघ मार सके। तब एक अप्रत्याशित कठिनाई ने उनके लक्ष्य को विराम दे दिया। प्रतिबंदपुरम के जंगलों में बाघों की आबादी समाप्त हो गयी। कौन जाने बाघों ने परिवार नियोजन अपना लिया या आत्महत्या कर ली? या बस उस राज्य से भाग गये क्योंकि वे अंग्रेजों द्वारा मारा जाना ही पसंद करते थे।
[13] One day………………..as well!”
एक दिन महाराजा ने दीवान को बुला भेजा। “दीवान साहिब, क्या आपको यह नहीं पता कि मेरी इस बंदूक से अभी तीस बाघ मारे जाने बाकी हैं?” अपनी बंदूक लहराते हुए उसने पूछा।
बंदूक देखकर काँपता हुआ दीवान चीख पड़ा, “महाराज मैं बाघ नहीं हूँ!”
“कौन बेवकूफ तुझे बाघ कहेगा?”
“नहीं, अरे मैं बंदूक नहीं हूँ”
“दीवान साहिब, आप न बाघ हैं न बंदूक। मैंने आपको किसी और मतलब (अन्य कार्य) से बुलाया है। मैंने शादी करने का निश्चय किया है।”
दीवान और भी हकलाने लगा, “महाराज, मेरी पहले से दो बीबियों हैं। अगर मैं आप से शादी कर लूँ….”
“बेवकूफी की बातें मत करो! मैं तुमसे शादी क्यों करूंगा? मैं एक बाघ चाहता हूँ……”
“महाराज! कृपया इस बारे में विचार कर लें। आपके पूर्वजों का विवाह तलवार से हुआ था। आप चाहें तो बंदूक से विवाह कर लें। इस राज्य के लिए एक बाघ राजा ही काफी है। इसको अब बाघ रानी की आवश्यकता नहीं है।”
[14] The Maharaja………………….palace.
महाराज जोर से हँस पड़े। “मैं न तो बाघ से और ना ही बंदूक से विवाह करने का विचार कर रहा हूँ बल्कि मानव समाज में से किसी एक लड़की से। पहले आप दूसरे पड़ोसी राज्यों में पाये जाने वाले बाघों का पता लगायें। इसके बाद आप यह पता लगाये कि बाघों की विशाल संख्या वाले किसी शाही परिवार में कोई लड़की है जिससे मैं विवाह कर सकूँ।”
दीवान ने उसकी आज्ञा का पालन किया। उसे एक सही लड़की ऐसे राज्य में मिल गई जिसमें बाघों की विशाल संख्या थी। महाराज जंग जंग जब भी अपने ससुर के यहां जाते, पाँच या छः बाघ मार लाते। इस प्रकार प्रतिबंदपुरम महल के बैठक खाने की दीवारों की शोभा निन्यान्बे बाघों की खालें बढ़ा रही थीं।
V
[15] The Maharaja’s………………….tiger.
महाराज की चिंता तब जुनून बन गई जब एक सौ की संख्या प्राप्त करने में मात्र एक बाघ की कमी रह गई।। यही एक स्वप्न उनके मस्तिष्क में सारे दिन छाया रहता और रात में भी यही स्वप्न आता। अब तक उनके ससुर के यहाँ भी बाघों से वन खाली हो चुके थे। किसी जगह बाध का पता लगाना असंभव हो गया था। फिर भी एक और की जरूरत थी। बस, अगर वह केवल एक जानवर और मार ले, तो महाराजा को कोई डर न बचेगा। वह बाघ का शिकर पूरी तरह छोड़ सकता था।
परंतु उस अंतिम बाघ से उसे बड़ा सावधान रहना होगा। स्वर्गीय प्रमुख ज्योतिषी ने क्या कहा था? “निन्यान्बे बाध मारने के पश्चात भी महाराज को सौवे से सावधान रहना चाहिए……” काफी सच। आखिर बाघ एक जंगली जानवर था। किसी को भी उससे सतर्क रहना चाहिए। पर यह सौवां बाघ कहाँ मिलना था? जिंदा बाघ के स्थान पर लगता था कि बाघ का दूध मिलना अधिक आसान था।
[16] Thus the………………….forthwith.
इस प्रकार महाराज दुःख में डूब गये। पर शीघ्र ही वह खुशखबरी आयी जिसने सारे दुःख को मिटा दिया। उनके अपने ही राज्य में एक पहाड़ी गाँव से भेड़े जल्दी-जल्दी गायब होने लगी।
पहले यह सुनिश्चित किया गया कि यह काम खादर मियाँ साहिब या बीरसामी नाइकर का तो ना था, ये दोनों भेड़ों को पूरी निगल जाने के लिए प्रसिद्ध थे। निश्चय ही यह काम किसी बाघ का था। गाँव वाले शीघ्र महाराजा को सूचित करने के लिए दौड़े। महाराजा ने उस गाँव को तीन वर्ष के लिए सारे करों से मुक्त करने की घोषणा की और तुरंत शिकार के लिए चल पड़े।
बाघ आसानी से नहीं मिला। लगता था कि इसने जानबूझकर अपने आप को छिपा लिया था ताकि महाराज की इच्छा का मजाक उड़ा सके। महाराजा भी उतने ही निश्चिंत मन थे। उन्होंने बाघ न मिलने तक जंगल छोड़कर जाने से इन्कार कर दिया। ज्यों-ज्यों दिन गुजरते गये, महाराज का गुस्सा और जिद खतरनाक रूप से बढ़ गये। बहुत से अधिकारियों की नौकरी चली गई।
एक दिन जब उनका क्रोध चरम सीमा पर था, महाराज ने दीवान को बुलाया और उसे आज्ञा दी कि जमीन का लगान तुरंत ही दोगुना कर दे।
[17] “The people………………….ground.
“लोग असंतुष्ट हो जायेंगे। तब हमारा राज्य भी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का शिकार हो जायेगा।”
“उस स्थिति में आपको अपने पद से शायद इस्तीफा देना चाहिए।” राजा ने कहा। दीवान इस निश्चित-मन के साथ घर गया कि अगर महाराजा को शीघ्र ही बाघ नहीं मिला तो इसका परिणाम विनाशकारी हो सकता है। उसे लगा कि जीवन जैसे फिर से लौट आया है जब उसने उस बाघ को देखा जो मद्रास के पीपल्स पार्क से लाया गया था और उनके घर में छिपा हुआ था। आधी रात को जब नगर शांति की नींद सो रहा था, दीवान और उसकी बुजुर्ग पत्नी बाघ को खींचकर कार तक लाये और धक्का देकर सीट पर चढ़ा दिया। दीवान खुद ही कार को चलाकर उस जंगल तक ले आया जहाँ महाराजा शिकार कर रहे थे। जब वे जंगल में पहुंचे तो बाघ ने सत्याग्रह कर दिया और कार से उतरने से इन्कार कर दिया। जानवर को बाहर निकालने और जमीन पर धकेलने के अपने प्रयत्नों में दीवान पूरी तरह थक गया।
[18] On the…………………….his mark.
अगले दिन, वही बाध घूमता हुआ महाराजा के सामने आकर ऐसे खड़ा हो गया मानो विनम्र प्रार्थना कर रहा हो, “मालिक मेरे लिए क्या आदेश है?” असीम प्रसन्नता के साथ महाराजा ने जानवर के ऊपर ध्यान से निशाना लगाया। बाघ मरे हुए ढेर सा गिर गया।
“मैंने सौवां बाघ मार दिया है। मेरी कसम पूरी हो गई है.” महाराजा की खुशी का ठिकाना न था। बाघ को एक शानदार जुलूस की शक्ल में राजधानी में लाने की आज्ञा देकर, महाराजा जल्दी से अपनी कार में चढ़कर चले गये।
महाराजा के जाने के बाद, शिकारी बाघ को अधिक निकट से देखने के लिए गये। बाघ घबराहट में अपनी आँख घुमाता हुआ वापस उनकी ओर देख रहा था। उन लोगों ने यह जाना कि बाघ मरा नहीं था, गोली उसे छोड़ गयी थी। यह तो तेजी से गुजरती हुई गोली के मानसिक आघात से मूर्छित हो गया था। शिकारियों की समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें। उन्होंने फैसला किया कि महाराजा को यह पता न चले कि उनका निशाना चूक गया था। अगर ऐसा हुआ तो उनकी नौकरी जा सकती थी। एक शिकारी ने एक फुट की दूरी से निशाना लगाया और इस बार बिना किसी चूक के उसने उसे मार दिया।
[19] Then as…………………….perfect gift.
फिर राजा की आज्ञा के अनुसार मृत बाघ को जुलूस की शक्ल में लाकर दफना दिया गया। इसके ऊपर एक समाधी बनाई गई। कुछ दिन बाद, महाराजा के बेटे का तीसरा जन्म दिन मनाया गया। उस समय तक महाराजा ने अपना सारा ध्यान बाघ के शिकार पर लगाया हुआ था। युवराज के लिए उसके पास समय नहीं था। पर अब राजा ने अपना ध्यान बच्चे की ओर लगाया। वह उसे उसके जन्म दिन पर कोई विशेष भेंट देना चाहता था। वह प्रतिबंदपुरम के बाजार में गया और हर दुकान को तलाशा। किन्तु कोई उपयुक्त वस्तु नहीं मिली। अंततः उसने किसी खिलौने की दुकान पर एक लकड़ी का बाघ देखा और फैसला किया कि यह सर्वोच्च भेंट है।
[20] The wooden…………………….prince.
लकड़ी के बाघ की कीमत केवल नौ पैसे थे। पर दुकानदार जानता था कि अगर उसने महाराजा को इतनी कम कीमत बतायी तो वह आपातकालीन नियमों के कारण सजा पायेगा। अतः उसने कहा, “महाराज”, कारीगरी का यह एक अद्भुत दुर्लभनमूना है। तीन सौ रुपये का सौदा। “बहुत अच्छे। चलिए, यह हो गई युवराज के लिए आपकी भेंट” राजा ने कहा और उसे अपने साथ लेकर बला गया।
उस दिन उस छोटे से लकड़ी के बाघ से बाप-बेटे खेलते रहे। इसे किसी अयोग्य बढ़ई (खाती) ने बनाया या। इसकी सतह खुरदरी थी। लकड़ी के छोटे-छोटे सफेद टुकड़े इसके ऊपर लकड़ी की कीलों की तरह खड़े थे। इनमें से एक सफेद टुकड़ा महाराज के सीधे हाथ में चुभ गया। उसने उसे अपने बांये हाथ से निकाल दिया और राजकुमार के साथ खेलता रहा।
[21] The next…………………….King.
अगले दिन महाराजा के सीधे हाथ में संक्रमण फैल गया। चार दिन में यह बढ़कर पीप से भरा धाव बन गया जो उसके पूरे बाजू पर फैल गया। मद्रास से तीन प्रमुख शल्य चिकित्सक लाये गये। सलाह मशविरे के बाद उन्होंने ऑपरेशन करने का निश्चय किया। ऑपरेशन हुआ। ऑपरेशन करने वाले तीनों सर्जन थिएटर के बाहर आए और घोषणा की, “ऑपरेशन सफल रहा। महाराजा मर गये।”
इस प्रकार सौवें बाघ ने राजा से अपना आखिरी बदला ले लिया।