खुलकर सीखें के इस ब्लॉगपोस्ट में हम The Thief’s Story Class 10 Hindi Explanation यानि Class 10 NCERT English Supplementary Chapter 2 या फिर यूँ कहें की Class 10 English Footprints Without Feet Chapter 2 का लाइन बाई लाइन करके Hindi Explanation करना सीखेंगे।
लेकिन सबसे पहले The Thief’s Story Class 10 Hindi Explanation के अंतर्गत हम The Thief’s Story के About the Author और फिर About the Lesson के बारे में पढ़ेंगे और उसके बाद हम Hindi और English में The Thief’s Story Summary in Hindi को देखेंगे। अंत में आप इस चैप्टर The Thief’s Story के एक एक लाइन का हिंदी अर्थ भी पढ़ सकेंगे।
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The Thief’s Story Class 10
- 1.1 The Thief’s Story Class 10 About the Author
- 1.2 The Thief’s Story About the Author in Hindi
- 1.3 The Thief’s Story Class 10 About the Lesson
- 1.4 The Thief’s Story About the Lesson in Hindi
- 1.5 The Thief’s Story Class 10 Summary
- 1.6 The Thief’s Story Summary in Hindi
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1.7
The Thief’s Story Class 10 Explanation in Hindi
- 1.7.1 The Thief’s Story Hindi Explanation – Para-1
- 1.7.2 The Thief’s Story Hindi Explanation – Para-2
- 1.7.3 The Thief’s Story Hindi Explanation – Para-3
- 1.7.4 The Thief’s Story Hindi Explanation – Para-4
- 1.7.5 The Thief’s Story Hindi Explanation – Para-5
- 1.7.6 The Thief’s Story Hindi Explanation – Para-6
- 1.7.7 The Thief’s Story Hindi Explanation – Para-7
- 1.7.8 The Thief’s Story Hindi Explanation – Para-8
- 1.7.9 The Thief’s Story Hindi Explanation – Para-9
- 1.7.10 The Thief’s Story Hindi Explanation – Para-10
- 2 FAQs
The Thief’s Story Class 10
The Thief’s Story का हिंदी अर्थ होगा – चोर की कहानी, इस चैप्टर को Ruskin Bond ने लिखा है; जोकि एक ब्रिटिश मूल के एक भारतीय लेखक हैं। चलिए लेखक Ruskin Bond के बारे में थोड़ा विस्तार से जानते हैं।
The Thief’s Story Class 10 About the Author
Ruskin Bond (born May 19, 1934) is an Indian writer of British origin. He lives with his adopted family in Landour, Mussoorie, India. The Indian Council of Children’s Education has recognized his role in the development of children’s literature in India. He was awarded the Sahitya Akademi Award in 1992 for his novel ‘Our Tree Still Grow in Dehra’ in English. He was also awarded the Padma Shri in 1999 and Padma Bhushan in 2014.
The Thief’s Story About the Author in Hindi
रस्किन बॉन्ड (जन्म 19 मई, 1934) ब्रिटिश मूल के एक भारतीय लेखक हैं। वह अपने दत्तक परिवार के साथ लंढौर, मसूरी, भारत में रहते हैं। भारतीय बाल शिक्षा परिषद ने भारत में बाल साहित्य के विकास में उनकी भूमिका को मान्यता दी है। अंग्रेजी में उनके उपन्यास ‘अवर ट्री स्टिल ग्रो इन देहरा’ के लिए उन्हें 1992 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्हें 1999 में पद्मश्री और 2014 में पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया था।
The Thief’s Story Class 10 About the Lesson
The story revolves around a 15-year-old thief who changes his name every month to escape the police and his old employers. This time he named himself Hari Singh. The second person in the story is a 25-year-old writer named Anil. The thief meets Anil and asks him if he can work for him.
The Thief’s Story About the Lesson in Hindi
यह कहानी एक 15 साल के चोर की है जो पुलिस और पुराने मालिकों से बचने के लिए हर महीने अपना नाम बदल लेता है। इस बार उसने अपना नाम हरि सिंह रखा। कहानी का दूसरा व्यक्ति अनिल नाम का एक 25 वर्षीय लेखक है। चोर अनिल से मिलता है और उससे पूछता है कि क्या वह उसके लिए काम कर सकता है।
The Thief’s Story Class 10 Summary
Anil was a young writer of 25 years. He was leading his life very carelessly. He was struggling to write to earn money to run his life. One day, Anil was watching a wrestling match. At the same time, he meets a man named Hari. Hari used his old formula to flatter Anil. Hari impresses him and Anil promises that he will teach him to write, add numbers and cook delicious food. Now both were living happily together.
One day Hari Singh saw that Anil had brought a bundle of notes. He saw that he kept them under the mattress. As soon as Hari saw the bundle of notes, an evil spirit awoke in his mind. He decided to rob Anil that night. After eating the food, Anil slept peacefully. Hari crawled to the bed and put his hand under the mattress. He took the note and ran away. He had left for the railway station to board the train for Lucknow. But he missed. He roamed the markets. It was raining and Hari was completely drenched.
A strange conflict was going on in his mind. He didn’t want to betray Anil’s trust. Apart from this, Anil was also teaching him to write and add numbers which could change his life. So, he decided to leave the railway station. He came to the ground from the railway station and sat on a bench. It was raining heavily. Cold winds were blowing. He was feeling guilty because he had betrayed an innocent person. His shirt and pyjamas were stuck to his body as he got wet due to rain.
Hari Singh had a change of heart. He decided to go back to Anil and put the money under the pillow again. He reached the room and put the money back. The next morning, Hari Singh woke up a little late and by then Anil had made tea. Anil gave Hari Singh Rs. 50 and said that yesterday he had got some money and now he will be paid regularly. Hari held the note in his hand and realized that the note was still wet from last night’s rain. Hari knew that Anil had come to know about his misdeeds but there was no sadness, anger or guilt in his mind.
The Thief’s Story Summary in Hindi
अनिल 25 साल का एक युवा लेखक था। वह बहुत ही लापरवाही से अपना जीवन व्यतीत कर रहा था। वह अपना जीवन चलाने के लिए पैसे कमाने के लिए लिखने का संघर्ष कर रहा था। एक दिन, अनिल कुश्ती का मैच देख रहा था। उसी समय उसे हरी नाम का एक व्यक्ति मिलता है। हरि ने अनिल की चापलूसी करने के लिए अपने पुराने फॉर्मूले का इस्तेमाल किया। हरी ने उसे प्रभावित किया और अनिल ने वादा किया कि वह उसे लिखना, नंबर जोड़ना और स्वादिष्ट खाना बनाना सिखाएगा। अब दोनों खुशी-खुशी साथ रह रहे थे।
एक दिन, हरि ने देखा कि अनिल नोटों का बंडल लेकर आया है। उसने देखा कि वह उन्हें गद्दे के नीचे रखता है। जैसे ही हरि ने नोटों की गठरी देखी, वैसे ही उसके मन में दुष्टात्मा जाग उठी। उसने उस रात अनिल को लूटने का फैसला किया। खाना खाने के बाद अनिल चैन की नींद सो गया। हरि रेंगकर बिस्तर पर गया और अपना हाथ गद्दे के नीचे रख दिया। उसने नोट लिया और वहां से भाग गया। वह लखनऊ के लिए ट्रेन में सवार होने के लिए रेलवे स्टेशन के लिए निकला था। लेकिन, वह चूक गया। वह बाजारों में घूमता रहा। बारिश हो रही थी और हरि पूरी तरह से भीग चुका था।
उसके मन में एक अज़ीब-सा द्वन्द्व चल रहा था। वह अनिल के विश्वास के साथ विश्वासघात नहीं करना चाहता था। इसके अलावा, अनिल उसे लिखना और संख्याएँ जोड़ना भी सिखा रहा था जिससे उसके जीवन को बदल सके। इसलिए, उसने रेलवे स्टेशन छोड़ने का फैसला किया। वह रेलवे स्टेशन से मैदान में आया और एक बेंच पर बैठ गया। तेज बारिश हो रही थी। सर्द हवाएँ चल रही थी। वह दोषी महसूस कर रहा था क्योंकि उसने एक निर्दोष व्यक्ति को धोखा दिया था। उसकी कमीज और पजामा उसके शरीर से चिपक गया था क्योंकि बारिश के कारण वह भीग गया था।
हरि सिंह का हृदय परिवर्तन हो चूका था। उसने अनिल के पास वापस जाने और पैसे को पुनः तकिए के नीचे रखने का फैसला किया। वह कमरे में पहुंचा और पैसे वापस रख दिए। अगली सुबह, हरि सिंह थोड़ा देर से उठा और तब तक अनिल चाय बना चुका था। अनिल ने हरि सिंह को रु. 50 दिया और कहा कि कल उसको कुछ पैसे मिल गए थे और अब उसे नियमित रूप से भुगतान किया जाएगा। हरि ने नोट अपने हाथ में पकड़ा और महसूस किया कि कल रात की बारिश से नोट अभी भी गीला था। हरि जान गया कि अनिल को उसके कुकर्म के बारे में पता चल गया था लेकिन उसके मन में कोई उदासी, क्रोध या अपराधबोध नहीं था।
QnA: The Thief’s story Question Answer Up Board
The Thief’s Story Class 10 Explanation in Hindi
चलिए अब हम Class 10 NCERT English Supplementary Chapter 2 अथवा Class 10 English Footprints without Feet Chapter 2 यानी The Thief’s Story Paragraph Wise Explanation करना शुरू करते हैं।
The Thief’s Story Hindi Explanation – Para-1
I was……………………former employers.
जब मैं अनिल से मिला उस समय भी मैं चोर था और यद्यपि मेरी आयु 15 वर्ष थी फिर भी मैं काफी अनुभवी तथा सफल चोर था।
जब मैं उसके पास पहुँचा तो अनिल एक कुश्ती का मैच देख रहा था। वह 25 वर्ष का लम्बा, इकहरे बदन का युवक था और वह कुछ लापरवाह, दयालु और मेरे काम के लिए पर्याप्त सीधा-साधा व्यक्ति था। कुछ दिनों से मेरी किस्मत साथ नहीं दे रही थी और मैंने सोचा कि मैं शायद इस युवक का विश्वास जीत लूँ।
“आप स्वयं भी कुछ पहलवान दिखते हैं”, मैंने कहा। थोड़ी-सी चापलूसी मित्र बनाने में सहायक होती है।
“उसी प्रकार तुम भी पहलवान दिखते हो”, उसने उत्तर दिया। मुझे एक क्षण के लिए निरुत्तर कर दिया क्योंकि उस समय मैं दुबला-पतला था।
“ठीक है”, मैंने विनम्रतापूर्वक कहा, “मैं थोड़ी कुश्ती करता हूँ।”
“क्या नाम है तुम्हारा?”
“हरी सिंह”, मैंने झूठ बोला। मैं हर माह एक नया नाम ले लेता था। इससे पुलिस तथा अपने पूर्ववर्ती नौकरी देने वालों से बचा रहता था।
The Thief’s Story Hindi Explanation – Para-2
After this…………………….help loughing.
इस परिचय के पश्चात्, अनिल ने तेल लगाए पहलवानों के बारे में बातें की, जो वे गुर्रा रहे थे, एक दूसरे को उठाकर फेंक रहे थे। मेरे पास कहने को कुछ अधिक नहीं था। अनिल चल दिया, मैं भी यों ही उसके पीछे चल दिया।
“हेलो, दोबारा” वह बोला।
मैंने उसे अपनी सर्वाधिक आकर्षक मुस्कान दी। “मैं आपकी सेवा करना चाहता हूँ।” मैंने कहा।
“पर मैं तुम्हें वेतन नहीं दे सकता।”
मैंने एक मिनट तक सोचा। शायद मैंने इस व्यक्ति को पहचानने में गलती की थी, मैंने पूछा, “क्या आप मुझे खाना खिला सकते हैं।?
“क्या तुम्हें खाना पकाना आता है?”
“मैं भोजन पका सकता हूँ।” “मैंने पुनः झूठा बोला।
“यदि तुम खाना पका सकते हो तो शायद मैं तुम्हें खाना खिला सकता हूँ।”
वह मुझे अपने कमरे में ले गया जो जमुना मिठाई भण्डार के ऊपर था, तथा मुझे बोला कि तुम छज्जे में सो सकते हो पर उस रात जो भोजन मैंने पकाया अवश्य ही खराब रहा होगा क्योंकि अनिल ने उसे एक आवारा कुत्ते को खिला दिया तथा मुझे चले जाने को कहा। पर मैं आस-पास मंडराता रहा। आकर्षक तरीके से मुस्कराता रहा, और वह भी हँसे बिना न रह सका।
The Thief’s Story Hindi Explanation – Para-3
Later he…………………….to mind.
बाद में उसने मुझे सिर पर थपथपाया और कहा कोई बात नहीं, मैं तुम्हें भोजन पकाना सिखा दूंगा। उसने मुझे अपना नाम लिखना सिखाया तथा उसने कहा कि वह शीघ्र ही मुझे पूरे वाक्य लिखना और संख्या जोड़ना भी सिखा देगा। मैं बहुत आभारी था कि एक बार मैं किसी शिक्षक व्यक्ति कि तरह लिखना सीख गया तो मैं बहुत आगे बढ़ जाऊँगा।
अनिल के लिए काम करना सुखद था। मैं प्रातः चाय बनाता और फिर सामान खरीदने जाता, उस खरीद में हर दिन एक रुपया बचा लेता था। शायद वह जानता था कि मैं इस प्रकार से कुछ पैसा कमा लेता हूँ लेकिन उसने बुरा नहीं माना।
The Thief’s Story Hindi Explanation – Para-4
Anil made……………………ever met.
अनिल पैसा नियमित रूप से नहीं कमाता था। वह एक सप्ताह तो उधार लेता था। वह अपनी अगली चेक के लिए परेशान था। लेकिन जैसे ही चेक आता, वह घर से निकल जाता तथा जश्न मनाता, ऐसा लगता था कि वह पत्रिकाओं के लिए लेख आदि लिखना था। रोजी कमाने का कैसा विचित्र तरीका।
वह एक शाम नोटों की छोटी सी गड्डी लेकर घर आया, उसने बताया कि उसकी एक पुस्तक प्रकाशक ने खरीद ली है। रात को मैंने अनिल को वह गड्डी अपने गद्दे के नीचे रखते देख लिया।
मैं अनिल के लिए लगभग एक माह से काम कर रहा था तथा सामान खरीदने में हेरा-फेरी करता था। उसके अलावा मैंने और कोई छल नहीं किया था। मुझे चोरी करने का पूरा अवसर था। अनिल ने दरवाजे की एक चाबी मुझे दी थी और मैं इच्छा अनुसार कमरे में आ जा सकता था। उस जैसा विश्वास करने वाला व्यक्ति मैंने दूसरा नहीं देखा।
The Thief’s Story Hindi Explanation – Para-5
And that…………………….pay me.
इसी कारण उसे लूटना इतना कठिन बन गया। किसी लोभी व्यक्ति को लूटना आसान है, क्योंकि वह लूटे जाने को सहन कर सकता है, पर किसी लापरवाह व्यक्ति को लूटना कठिन काम है, कभी-कभी उसे पता भी नहीं चलता कि उसे लूटा जा रहा है, इसलिए चोरी करने का सारा मजा समाप्त हो जाता है।
अब समय था कि मैं कुछ वास्तविक धंधा करूँ, मैंने स्वयं से कहा, मेरा अभ्यास टूट चुका है। और यदि मैं पैसा नहीं लेता, तो हो सकता अनिल उस पैसे को अपने मित्रों पर लुटा देगा। और फिर अनिल मुझे कोई वेतन भी नहीं देता है।
The Thief’s Story Hindi Explanation – Para-6
Anil was…………………….was room.
अनिल सो रहा था। चन्द्रमा कि एक किरण छज्जे को पार करके अनिल के बिस्तर पर पढ़ रही थी। मैं फर्श पर उठकर बैठ गया, स्थिति पर मैंने विचार किया। यदि मैं पैसा चुरा लेता हूँ तो मैं साढ़े दस बजे लखनऊ एक्सप्रेस पकड़ लूंगा। कम्बल से बाहर निकलकर मैं उसके पलंग के निकट गया। अनिल शांतिपूर्वक सोया हुआ था। उसका चेहरा साफ और कसावमुक्त था। मेरे अपने चेहरे पर अनिल से अधिक निशान था, यद्यपि मेरे निशान अधिकतर चोट लगने वाले दाग थे।
मैंने अपना हाथ गद्दे के नीचे डाला तथा नोट तलाशे। जब नोट मुझे मिल गए तो मैंने बिना किसी आवाज के उन्हें निकाल लिया। अनिल ने नींद में एक आह भरी और मेरी ओर करवट बदली मैं चौक गया तथा वेग से कमरे से बाहर निकल गया।
The Thief’s Story Hindi Explanation – Para-7
When I…………………….get away.
जब मैं सड़क पर आ गया तो दौड़ने लगा। नोट मेरी कमर में थे, वे पायजामे के नाड़े में बंधे थे। मैं धीरे-धीरे चलने लगा तथा नोट गिन: पचास-पचास के नोट में 600 रुपये थे। अब मैं एक-दो सप्ताह धनी अरबी लोगों की भांति रह सकता था। जब मैं स्टेशन पहुँचा तो टिकट खिड़की पर नहीं रूका (मैंने अपने जीवन में टिकट खरीदा ही नहीं था) वरन मैं सीधा प्लेटफार्म की ओर भागा। लखनऊ एक्सप्रेस अभी-अभी चल पड़ी थी। अभी उसकी गति नहीं आई थी और मैं किसी डिब्बे में उछल कर चढ़ सकता था। पर मैं संकोच कर गया क्यों संकोच किया इसका कारण मैं नहीं बता सकता और मैंने वहाँ से भाग जाने का अवसर खो दिया।
The Thief’s Story Hindi Explanation – Para-8
When the…………………….my face.
जब गाड़ी चली गई तो मैंने स्वयं को वीरान प्लेटफार्म पर अकेला खड़ा पाया। मुझे पता नहीं था कि रात कहाँ काटूंगा। मेरा कोई मित्र नहीं था, क्योंकि मेरा मानना था मित्र सहायता कम करते हैं, तंग अधिक करते हैं। और मैं स्टेशन के निकट किसी छोटे से होटल में ठहरकर लोगों के मन में जिज्ञासा नहीं पैदा करना चाहता था। मेरा एक मात्र परिचित व्यक्ति वही था जिसे मैंने लूटा था। स्टेशन से निकल कर मैं बाजार से धीरे-धीरे गुजरा।
चोर बनने के अल्प समय में मैंने लोगों के चेहरों का अध्ययन करना सीख लिया था जब उनका सामान खो जाता था। लोभी व्यक्ति भय दिखाता है, धनी व्यक्ति क्रोध, निर्धन व्यक्ति स्थिति स्वीकार कर लेता है। पर मैं जानता था कि अनिल के चेहरे पर चोरी का पता चलने पर केवल उदासी की झलक दिखाई देगी। पैसा खो देने के कारण नहीं वरन् विश्वास खो देने के कारण।
मैंने स्वयं को मैदान में पहुंचा पाया और वहीं एक बेंच पर बैठ गया। रात बहुत ठंडी थी- नवंबर की शुरुआत थी-हल्की बूंदाबांदी ने मेरी तकलीफ बढ़ा दी थी। शीघ्र ही तेज वर्षा होने लगी। मेरी कमीज तथा पायजामा मेरी त्वचा से चिपक गए तथा ठंडी हवा मेरे चेहरे पर थपेड़े मारने लगी।
The Thief’s Story Hindi Explanation – Para-9
I went…………………….and write.
मैं बाजार वापस गया तथा घंटाघर के आश्रय में बैठ गया। घड़ी ने रात के 12 बजाए। मैंने नोटों को टटोला। वे वर्षा के कारण नम हो गए थे।
अनिल का पैसा। प्रातः वह शायद मुझे दो या तीन रुपये दे देता कि सिनेमा चले जाना, पर अब तो मेरे पास सारा पैसा है। मैं अब उसका भोजन नहीं पका सकता, बाजार खरीददारी करने नहीं जा सकता तथा पूरा वाक्य लिखना भी नहीं सीख सकता था।
मैं चोरी की खुशी में ये सब बातें भूल ही गया था। मैं जानता था कि पूरा वाक्य लिख पाना एक दिन मुझे कई सौ रुपये कमाने योग्य बना देगा चोरी करना तो सरल काम है तथा कभी-कभी पकड़ा जान भी सरल होता है। पर सचमुच महान व्यक्ति, चतुर और सम्मानित बनना अलग बात होती है। मैंने स्वयं से कहा चलो अनिल के पास ही लौट चलें, उसके पास पढ़ना-लिखना तो सीख ही लूँगा।
The Thief’s Story Hindi Explanation – Para-10
I hurried…………………….effort.
मैं तेज कदमों से घबराया हुआ कमरे में लौटने को चल दिया क्योंकि चोरी करना जितना आसान है उतना उस धन को बिना पकड़े गए लौटा पाना सरल नहीं होता। मैंने धीरे से दरवाजा खोला, फिर द्वार पर खड़ा रहा, बादलों में चाँदनी छिप रही थी। अनिल अभी भी सोया हुआ था। मैं उसके पलंग के सिरहाने गया। अपना नोट लिया हाथ निकाला। मैंने साँसों को हाथ पर महसूस किया। एक क्षण मैं निश्चल खड़ा रहा। फिर मेरे हाथ ने गद्दे का किनारा खोजा, और नोट उसके नीचे रख दिये। मैं अगली प्रातः उठा तो पाया कि अनिल पहले ही चाय बना चुका था। उसने अपना हाथ मेरी ओर बढ़ाया। उसकी अंगुलियों के बीच में पचास रुपये का नोट था। मेरा दिल बैठ गया। मैंने सोचा कि मेरी चोरी पकड़ ली गई।
“कल मुझे कुछ पैसे मिल गए थे।” उसने बताया। “अब तुम्हें नियमित रूप से वेतन मिला करेगा।”
मेरा हौसला बढ़ गया। पर मैंने नोट थामा और देखा कि वह रात की वर्षा के कारण अभी भी गीला है।
“आज हम वाक्य बनाना शुरू करेंगे” वह बोला।
वह जानता था। पर यह बात न तो उसके होठों से और न ही उसकी आँखों से प्रकट हुई। मैंने अनिल को अपनी सर्वाधिक आकर्षक मुस्कान दी और यह मुस्कान बिना प्रयास के स्वयंमेव आ गई थी।
FAQs
Ruskin Bond
What is the theme of The Thief’s Story?
The theme of the story ‘The Thief’s Story’ is that human values and relationships are very important in life and they can change the nature and character of a person.
Sir please supplementary ke sabhi answer ko publish kar dijiye