The Making of a Scientist Class 10 Hindi Explanation & Summary

खुलकर सीखें के इस ब्लॉगपोस्ट में हम The Making of a Scientist Class 10 Hindi Explanation यानि Class 10 NCERT English Supplementary Chapter 5 या फिर यूँ कहें की Class 10 English Footprints Without Feet Chapter 6 का लाइन बाई लाइन करके Hindi Explanation करना सीखेंगे।

लेकिन सबसे पहले The Making of a Scientist Class 10 Hindi Explanation के अंतर्गत हम The Making of a Scientist के About the Author और फिर About the Lesson के बारे में पढ़ेंगे और उसके बाद हम Hindi और English में The Making of a Scientist का Summary देखेंगे। अंत में हम इस चैप्टर The Making of a Scientist का line-by-line Hindi explanation करना भी सीखेंगे।

The Making of a Scientist Class 10

The Making of a Scientist का हिंदी अर्थ होगा – वैज्ञानिक बनते हुए।, इस चैप्टर को Robert W. Peterson ने लिखा है; जोकि एक अमेरिकी समाचार पत्र लेखक थे, जो बाद में पत्रिकाओं के लेखों और पुस्तकों के स्वतंत्र लेखक बन गए। चलिए लेखक Robert W. Peterson के बारे में थोड़ा विस्तार से जानते हैं।

The Making of a Scientist Class 10 About the Author

Robert W. Peterson (1925 Warren, Pennsylvania – February 11, 2006) was an American newspaper writer. He was raised in Warren, Pennsylvania. He was a writer and editor with the old New York World-Telegram newspaper, which closed in 1966. Later, he became a freelance writer of magazine articles and books, particularly on the subjects of sport and scouting. Peterson played baseball while attending Uppsala College. His 1970 chronicle of Negro league baseball titled ‘The Ball Was White’ was hailed by The New York Times as “recaptured a lost era in baseball history and a rich facet of black life in America”. Peterson died of lung cancer on February 11, 2006, in Salisbury, Pennsylvania.

The Making of a Scientist About the Author in Hindi

रॉबर्ट डब्ल्यू. पीटरसन (1925 वॉरेन, पेंसिल्वेनिया -11 फरवरी, 2006) एक अमेरिकी समाचार पत्र लेखक थे। उनका पालन-पोषण वॉरेन, पेंसिल्वेनिया में हुआ था। वह पुराने न्यूयॉर्क वर्ल्ड-टेलीग्राम अखबार के साथ एक लेखक और संपादक थे, जो 1966 में बंद हो गया था। बाद में, वह विशेष रूप से खेल और स्काउटिंग के विषयों पर पत्रिका लेखों और पुस्तकों के स्वतंत्र लेखक बन गए। पीटरसन ने उपसाला कॉलेज में भाग लेने के दौरान बेसबॉल खेला। नीग्रो लीग बेसबॉल के उनके 1970 के क्रॉनिकल का शीर्षक ‘द बॉल वाज़ व्हाइट’ था, जिसे द न्यू यॉर्क टाइम्स ने “बेसबॉल इतिहास में एक खोए हुए युग और अमेरिका में काले जीवन का एक समृद्ध पहलू” के रूप में प्रतिष्ठित किया था। 11 फरवरी, 2006 को सैलिसबरी, पेंसिल्वेनिया में पीटरसन की फेफड़ों के कैंसर से मृत्यु हो गई।

The Making of a Scientist Class 10 About the Lesson

The chapter, ‘The Making of a Scientist’ is a story about the famous scientist Richard Ebright. His mother calls him by the name Richie. He was a very inquisitive child since childhood. His mother buys him a book. In that book a task was given to tag the butterflies. In the end he also starts tagging the butterflies.

The Making of a Scientist About the Lesson in Hindi

अध्याय, ‘द मेकिंग ऑफ ए साइंटिस्ट’ प्रसिद्ध वैज्ञानिक रिचर्ड एब्राइट के बारे में एक कहानी है। उसकी माँ उसे रिची नाम से बुलाती हैं। वह बचपन से ही बहुत जिज्ञासु बालक था। उसकी माँ उसे एक किताब खरीद कर देती हैं। उस किताब में तितलियों को टैग करने का एक कार्य दिया गया था। अंत में वह भी तितलियों को टैग करना शुरू कर देता है।

The Making of a Scientist class 10 Summary

The Making of a Scientist is the story of prominent scientist Richard Ebright. He was an inquisitive child from the very early years of his life. He started collecting butterflies as a child and by the time he was in the second grade, he had collected all 25 species found in his hometown. In addition, he collected coins, fossils, and rocks.

One day his mother gave him a book named ‘The Travels of Monarch X’. This book was a turning point in his life and introduced him to the world of science. He began by tagging butterflies, a task given at the end of the same book. He experienced real science at the science fair and also understood that to win something he needed to do something extraordinary.

Later, for his eighth grade, he chose the task of finding the cause of a viral disease that kills nearly all monarch caterpillars every year. They thought that beetles might be the cause, so, they grew caterpillars with the presence of beetles. But, he was wrong. His project for the next year’s science fair was testing the theory that viceroy butterflies mimic monarch butterflies. His project got first prize in zoology division and third prize in the whole country science fair.

In his sophomore year of high school, Richard Ebright discovered an unknown insect hormone in research that led to his new theory on the life of cells. He tried to find the purpose of the small golden spots on the backs of monarch pupae. The project won first place at the Country Science Fair and led to a job at the Walter Reed Army Institute of Research’s Entomology Lab.

As a high school student, he continued his advanced experiments and was finally able to identify the hormone’s chemical structure. One day while looking at X-ray pictures of hormones, he got the idea of his new theory that cells can read the blueprint of their DNA. Ebright and his roommate built a plastic model of the molecule to demonstrate how it worked. It was a huge success and got published in a magazine. He graduated from Harvard University with highest honors.

He also praised his social studies teacher as he was the one who gave him new ideas. He was also good at debate and public speaking. He never experimented to win or for the prize, but to be the best at it.

This chapter shows that starting with a sharp mind, indulging curiosity and wanting to win for the right reasons are important factors in being a scientist. His mother also supported him throughout his journey and bought him the book ‘The Travels of Monarch X’, which sparked his curiosity in the field of science.

The Making of a Scientist Summary in Hindi

द मेकिंग ऑफ अ साइंटिस्ट’ प्रमुख वैज्ञानिक रिचर्ड एब्राइट की कहानी है। वह अपने जीवन के शुरूआती वर्षों से ही एक जिज्ञासु बालक था। उसने अपने बचपन में ही तितलियों को इकट्ठा करना शुरू कर दिया था और जब तक वह दूसरी कक्षा में था, तब तक वह अपने गृहनगर में पाई जाने वाली सभी 25 प्रजातियों को इकट्ठा कर चुका था। इसके अलावा, उसने सिक्के, जीवाश्म और चट्टानें एकत्र कीं।

एक दिन उनकी मां ने उन्हें ‘द ट्रैवल ऑफ मोनार्क एक्स’ नाम की एक किताब दी। यह पुस्तक उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ रही और उन्हें विज्ञान की दुनिया से परिचित कराया। उन्होंने तितलियों को टैग करना शुरू किया, जो उसी किताब के अंत में दिया गया एक कार्य था। उन्होंने विज्ञान मेले में वास्तविक विज्ञान का अनुभव किया और इसके अलावा उन्होंने यह भी समझा कि कुछ जीतने के लिए उन्हें कुछ असाधारण करने की आवश्यकता है।

बाद में, अपनी आठवीं कक्षा के लिए, उन्होंने हर साल लगभग सभी मोनार्क कैटरपिलर को मारने वाली वायरल बीमारी के कारण का पता लगाने का काम चुना। उन्होंने सोचा कि इसका कारण भृंग हो सकता है, इसलिए, उन्होंने भृंगों की उपस्थिति के साथ कैटरपिलर उगाए। लेकिन, वह गलत थे। अगले साल विज्ञान मेले के लिए उनकी परियोजना इस सिद्धांत का परीक्षण कर रही थी कि वायसराय तितलियाँ मोनार्क तितलियों की नकल उतारती हैं। उनके इस प्रोजेक्ट को जूलॉजी डिवीज़न में पहला और पूरे कंट्री साइंस फेयर में तीसरा पुरस्कार मिला।

हाई स्कूल के अपने दूसरे वर्ष में, रिचर्ड एब्राइट ने शोध में एक अज्ञात कीट हार्मोन की खोज की जिससे कोशिकाओं के जीवन पर उनका नया सिद्धांत सामने आया। उसने मोनार्क प्यूपा की पीठ पर छोटे-छोटे सुनहरे धब्बों का उद्देश्य खोजने की कोशिश की। इस परियोजना ने कंट्री साइंस फेयर में प्रथम स्थान प्राप्त किया और वाल्टर रीड आर्मी इंस्टीट्यूट ऑफ रिसर्च की एन्टोमोलॉजी लैब में काम करने का मौका मिला।

एक हाई स्कूल के छात्र के रूप में, उन्होंने अपना उन्नत प्रयोग जारी रखा और अंत में हार्मोन रासायनिक संरचना की पहचान करने में सक्षम हुए। एक दिन हार्मोन की एक्सरे तस्वीरें देखते समय उन्हें अपने नए सिद्धांत का विचार आया जो बताता है कि कोशिकाएं अपने डीएनए के ब्लूप्रिंट को पढ़ सकती हैं। एब्राइट और उसके रूममेट ने डीएनए की कार्यप्रणाली को दर्शाने के लिए अणु के प्लास्टिक मॉडल का निर्माण किया। यह एक बड़ी सफ़लता थी और एक पत्रिका में प्रकाशित हुई। उन्होंने हार्वर्ड विश्वविद्यालय से सर्वोच्च सम्मान के साथ स्नातक किया।

उन्होंने अपने सामाजिक अध्ययन शिक्षक की भी प्रशंसा की क्योंकि वह वही थे जो उन्हें नए विचार देते थे। वह वाद-विवाद और सार्वजनिक भाषण में भी अच्छे थे। वह कभी भी जीतने के लिए या पुरस्कार के लिए नहीं प्रयोग करते थे, बल्कि इसलिए प्रयोग करते थे ताकि वह उसमें सर्वश्रेष्ठ बन सके।

इस अध्याय में दिखाया गया है कि कुशाग्र बुद्धि से शुरुआत करना, जिज्ञासा को शामिल करना तथा उचित कारणों से जीतने की इच्छा एक वैज्ञानिक होने के महत्वपूर्ण कारक हैं। उनकी माँ ने भी उनकी पूरी यात्रा में उनका समर्थन किया और उनके लिए ‘द ट्रेवल्स ऑफ मोनार्क एक्स’ पुस्तक खरीदी, जिसने विज्ञान के क्षेत्र में उनकी जिज्ञासा को जगाया।

QnA: The Making of a Scientist Question Answer Up Board

The Making of a Scientist Class 10 Explanation in Hindi

चलिए अब हम Class 10 NCERT English Supplementary Chapter 6 अथवा Class 10 English Footprints without Feet Chapter 6 यानी The Making of a Scientist Paragraph Wise Explanation करना शुरू करते हैं।

Richard Ebright has received the Searle
Scholar Award and the Schering Plough
Award for Biochemistry and Molecular
Biology. It was his fascination for butterflies
that opened the world of science to him.

रिचर्ड एब्राइट ने सियरल विद्वान पुरस्कार और शेरिंग प्लग पुरस्कार बायोकेमेस्ट्री और मॉलीक्यूलर बायोलॉजी (आणविक जीव विज्ञान) प्राप्त किया है। यह तितलियों के प्रति उनका आकर्षण था जो उनके लिए विज्ञान का संसार खोल दिया।

The Making of a Scientist Hindi Explanation – Para-1

At the Age……………………butterflies.

एक पूर्ववर्ती ‘वर्ष के सर्वश्रेष्ठ स्वयं सेवक’ ने बाईस वर्ष की अवस्था में एक नए सिद्धांत-“सेल काम कैसे करते हैं” से विज्ञान के दुनिया को आश्चर्यचकित कर दिया। रिचर्ड एच एब्राइट तथा उसके कॉलेज के एक सहपाठी ने इस सिद्धांत का विवरण ‘विज्ञान की राष्ट्रीय अकादमी की कार्यवाहियाँ’ नामक पत्रिका में दी।
ऐसा पहली बार हुआ था जब विज्ञान की महत्त्वपूर्ण पत्रिका ने किसी कॉलेज-छात्र के काम को छापा था। खेल की दुनिया में यह ऐसा ही था जैसे किसी खिलाड़ी का चयन उसकी पंद्रह वर्ष की आयु में किसी बड़े मैच के लिए कर लिया जाए, और पहली बार बैटिंग करते समय वह खिलाड़ी होमरन (अतिरिक्त अंक) प्राप्त कर ले। रिचर्ड एब्राइट के लिए यह उसकी विज्ञान तथा दूसरे देशों में प्राप्त की गई उपलब्धियों की एक कड़ी थी और इन सब की शुरूआत तितलियों से हुई।

The Making of a Scientist Hindi Explanation – Para-2

An only…………………….all night.

एक मात्र बच्चा होने के कारण एब्राईट पेन्सिलवेनिया के उत्तर में बड़ा हुआ। “निश्चित रूप से मैं किसी फुटबाल या बेसबाल की टीम से खेल नहीं सकता था लेकिन एक चीज थी जो मैं कर सकता था – चीजों का इकट्ठा करना।”
यही उसने किया और करता रहा। किंडरगार्टेन की कक्षा में आरम्भ करते हुए एब्राईट ने तितलियों को उसी दृढ निश्चय के साथ इकट्ठा किया। जिसने उसकी सारी गतिविधियों को चिन्हित किया। उसने पत्थर जीवाश्म तथा सिक्के भी इकट्ठे किए। कभी-कभी सारी रात तारों को देखते-देखते वह एक खगोलशास्त्री भी बन गया।

The Making of a Scientist Hindi Explanation – Para-3

From the…………………….to learn”.

प्रथम कक्षा से ही उसके अन्दर कुशाग्र दिमाग के साथ उत्सुकता भी थी। उसकी माँ ने भी सीखने की उसकी रुचि को प्रोत्साहित किया। वह उसको यात्राओं पर ले गई, उसको सूक्ष्मदर्शी, दूरबीन कैमरे पर्वतारोही वस्तुएँ तथा दूसरे औजार खरीद कर दिए और दूसरे कई तरीकों से उसकी मदद की।
“जब तक उसने स्कूल जाना शुरू नहीं किया तब तक मैं उसकी इकलौती मित्र थी, उसकी माँ ने बताया; “उसके बाद मैं उसके कई दोस्तों को घर ले आई। पर रात में हम इकट्ठे काम करते थे। जब रिची तीसरी कक्षा में था तभी रिची के पिता की मृत्यु हो गयी और उसके बाद रिची ही मेरा सब कुछ था।
वह और उसका बेटा लगभग प्रतिदिन शाम को भोजन की मेज पर इकट्ठा होते थे। “यदि उसके पास कोई काम नहीं होता था, तो मैं उसके लिए काम ढूँढ़ती थी- शारीरिक काम नहीं बल्कि मानसिक काम, उसकी माँ ने कहा। “वह इसे पसंद करता था और वह सीखना चाहता था।”

The Making of a Scientist Hindi Explanation – Para-4

And learn……………………hometown.

और उसने सीखा भी। उसने स्कूल में उच्च स्थान प्राप्त किया। “रोजमर्रा के कामों में तो वह अन्य साधारण बच्चों के जैसा ही था। दूसरी कक्षा में पहुँचते-पहुँचते अब्राइट तितलियों की उन 25 प्रजातियों को इकट्ठा कर चुका था जो उसके गृह नगर के आस-पास मिलती थीं।

The Making of a Scientist Hindi Explanation – Para-5

“That…………………….Dr Urquhart.

उसने कहा “शायद वह मेरी तितलियों को एकत्रित करने का अंत था।” “पर तभी मेरी माँ ने मुझे एक बच्चों की पुस्तक दी जिसका नाम था- “The Travels of Monaech X” वह किताब तो बताती थी कि सम्राट तितलियाँ कैसे मध्य अमेरिका पहुँच गईं, ने उस जिज्ञासु युवा संग्रहकर्ता के सामने विज्ञान की दुनिया को खोल कर रख दिया।
पुस्तक के अंत में पाठकों को आमंत्रित किया गया था कि तितलियों के प्रव्रजन के अध्ययन में सहायता करें। टोरंटों विश्वविद्यालय, कनाडा के डॉ० फ्रेडरिक ए० अर्कहार्ट के द्वारा पाठकों से कहा गया कि वे तितलियों को शोध के लिए रखे। एब्राईट की माँ ने डॉ० अर्कहार्ट को पत्र लिखा और शीघ्र ही एब्राइट सम्राट की तितलियों के पंखों में गोद युक्त धागे बांधने लगा। जिस किसी को भी कोई बंधी हुई तितली मिलती थी तो उससे कहा जाता कि वह उस तितली को डॉ० अर्कहर्ट के पास भेज दें।

The Making of a Scientist Hindi Explanation – Para-6

The butterfly…………………….development.

रीडिंग नामक जगह के आस-पास तितलियों को पकड़ने का समय गर्मियों के अंत में छ: सप्ताह तक चलता है। यदि आप उन्हें एक-एक बार पकड़ेंगे तो ज्यादा तितलियाँ पकड़ नहीं पाएँगे। इसलिए वाइट का अगला कदम तितलियों के झुंड को पकड़ना था। वह एक मादा मोनार्क को पकड़ता उसके अंडे लेता और अपने बेसमेंट में उनके जीवन चक्र के अनुसार, अंडे से कैटरपिलर, कैटरपिलर से प्यूपा तथा प्यूपा से एक वयस्क तितली विकसित करता था। फिर वह तितलियों के पंखों पर टैग बाँधकर उन्हें उड़ा देता था। कई वर्षो बेसमेंट उन तितलियों का घर बना रहा जो विकास के विभिन्न स्तर से गुजर रही थी।

The Making of a Scientist Hindi Explanation – Para-7

“Eventually………………………years”

“आखिरकार तितलियों के पर में टैग बाँधने में मेरी रुचि कम हो गई। यह काफी उबाऊ तथा बेकार कार्य था।” एब्राइट ने कहा इतने समय तक जो मैंने किया, उसने हँसते हुए बताया सिर्फ दो ही तितलियाँ वापस पकड़ी जा सकीं। जिनके पंख पर मैंने टैग लगाया था; और वे मेरे रहने की जगह से 75 मील से ज्यादा दूर नहीं थी।
फिर सातवीं कक्षा में उसे पता चला कि वास्तविक विज्ञान क्या होता है जब उसने एक विज्ञान मेले में भाग लिया और खो गया। “वास्तव में वहाँ बैठना और कुछ भी न प्राप्त करना जबकि अन्य सभी वहाँ से कुछ तो जीत रहे थे, बड़ा उदासी भरा था।” एवाइट ने कहा। वहाँ मेले में उसने मेंढक के तंतुओं को स्लाइड माइक्रोस्कोप पर दिखाया था। उसने महसूस किया कि विजेताओं ने वास्तविक प्रयोग करने की कोशिश की थी, केवल एक साधारण प्रदर्शन ही नहीं प्रस्तुत किया था।
प्रतियोगिता की भावना जो एब्राइट में पहले से ही थी, दिखने लगी। “मैं समझ गया कि अगले वर्ष मेले में मुझे एक वास्तविक प्रयोग करना पड़ेगा उसने कहा जो विषय में वह सर्वाधिक जानता था वह था कीटों पर प्रयोग, जो कि मैं पिछले सात वर्षों से करता आ रहा था।

The Making of a Scientist Hindi Explanation – Para-8

So he…………………….I won.”

अतः उसने डॉ० अर्कहर्ट को पत्र लिखा और तुरंत उसके पास सुझावों का ढेर आ गया। उन सुझावों में एब्राइट को उसकी हाईस्कूल की पढ़ाई के दौरान व्यस्त रखा और उसको राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान मेलों में इनाम की तरफ ले गया।
अपनी आठवीं कक्षा के प्रोजेक्ट के लिए एब्राइट ने उस कारण का पता लगाने की कोशिश की जिससे वायरल बीमारी होती थी तथा कुछ वर्ष बाद तितलियाँ मर जाती थीं। एब्राइट समझता था कि वह बीमारी बीटल से फैलती है। उसने उन्हीं कीटों के बीच तितलियों को पालने की कोशिश की। “मुझे कुछ भी वास्तविक परिणाम नहीं मिला, उसने कहा; “पर मैं आगे बढ़ता गया और दिखाया कि मैंने इस प्रयोग को किया था। इस बार में जीत गया।”

The Making of a Scientist Hindi Explanation – Para-9

The next…………………….science fair.

अगले वर्ष विज्ञान मेले में उसका प्रोजेक्ट इस सिद्धान्त का परीक्षण करना था कि वायसराय तितलियाँ मोनार्क तितलियों की नकल उतारती है। सिद्धान्त यह था कि वायसराय तितलियाँ मोनार्क जैसी इसलिए दिखती है क्योंकि मोनार्क तितलियाँ पक्षियों को खाने में अच्छी नहीं लगती। दूसरी तरफ, वायसराय तितलियाँ पक्षियों को अच्छी लगती हैं। इसलिए जितना वे मोनार्क जैसा दिखेंगी उतना ही कम वे किसी का भोजन बनेंगी।
एब्राइट का प्रोजेक्ट यह देखना था कि क्या पक्षी मोनार्क तितलियों को खाते हैं। उसने पाया कि मैना पक्षी साधारण भोजन नहीं करती। वह उन सभी मोनार्क तितलियों को खा जाएगी जो उसे मिलेगी। (एब्राइट ने बताया कि दूसरे लोगों की बाद में खोजों ने दिखाया कि वायसराय तितलियाँ मोनार्क तितलियों की नकल अवश्य उतारती हैं।) इस प्रोजेक्ट को प्राणीशास्त्र विभाग में पहला तथा पूरे कंट्री साइंस फेयर में तीसरा स्थान प्राप्त हुआ।

The Making of a Scientist Hindi Explanation – Para-10

In his…………………….of Research.

अपने हाईस्कूल के दूसरे वर्ष में रिचर्ड एब्राइट ने एक अनुसंधान शुरू किया जो उसको एक अंजाने कीट के हॉर्मोन की ओर से गई। परोक्ष रूप में, यह खोज उसको उसके कोशिका के जीवन की तरफ भी ले गया।
जिस प्रश्न का जबाव ढूंढने की उसने कोशिश की वह बहुत सरल था: एक मोनार्क प्यूपा के ऊपर 12 छोटे-छोटे सुनहरे धब्बों का क्या उद्देश्य है?
“सभी ने मान लिया था कि धब्बे सिर्फ दिखावटी है”, एब्राईट ने कहा “लेकिन डॉ० अर्कहर्ट ने इस पर विश्वास नहीं किया।” इस प्रश्न का जबाब पाने के लिए एब्राईट और दूसरे छात्रों को (विज्ञान के) पहले एक यंत्र विकसित करना पड़ा जो दिखाता था कि धब्बे एक हॉर्मोन तैयार कर रहे थे जो तितली के पूर्ण विकास के लिए आवश्यक था।
इस प्रोजेक्ट ने एब्राईट को कंट्री साइंस फेयर में पहला स्थान तथा अन्तर्राष्ट्रीय विज्ञान एवं इंजीनियरिंग मेले में उसको प्रवेश दिलाया। वहाँ प्राणीशास्त्र में उसने तीसरा स्थान जीता तथा गर्मियों में वॉल्टर रीड आर्मी इंस्टीट्यूट ऑफ रिसर्च की एन्टोमोलोजी लैब में काम करने का मौका मिला।

The Making of a Scientist Hindi Explanation – Para-11

As a…………………….structure.

एक हाईस्कूल कनिष्ठ के रूप में रिचर्ड एब्राइट ने मोनार्क प्यूपा पर अपने अग्रिम प्रयोगों को जारी रखा। उस वर्ष अन्तर्राष्ट्रीय अग्रिम विज्ञान मेले में उसके इस प्रोजेक्ट ने पहला स्थान जीता तथा गर्मियों के दौरान सेना की प्रयोगशाला में काम करने का मौका मिल गया।
अपने वरिष्ठ वर्ष में (बड़ी कक्षा) वह एक कदम और आगे बढ़ गया। उसने मोनार्क तितली के पंख से कोशिकाओं को उगाया और दिखाया कि कोशिकाएँ विभाजित हो जाती हैं और सामान्य तितली के पंख में विकसित हो जाती हैं पर सिर्फ तभी जब उन्हें उन सुनहरे धब्बों से मिलने वाले हॉर्मोन मिलें। इस प्रोजेक्ट ने अन्तर्राष्ट्रीय मेले में प्राणीशास्त्र विभाग में प्रथम स्थान प्राप्त किया। स्नातक करने के बाद उसने अपनी गर्मियाँ सेना के प्रयोगशाला में और अमेरिका में कृषि विभाग के प्रयोगशाला में काम करते हुए बिताई।
अगली गर्मियों में हार्वर्ड विश्वविद्यालय में डिग्री लेने के बाद एब्राइट वापस कृषि विभाग की प्रयोगशाला में गया और सुनहरे धब्बों से मिलने वाली हॉर्मोन के ऊपर और अधिक कार्य किया। प्रयोगशाला के उच्चस्तरीय उपकरणों का प्रयोग करके वह हारमोन के रासायनिक ढाँचे को पहचाने में कामयाब हो गया।

The Making of a Scientist Hindi Explanation – Para-12

A year…………………….for life.

अपने कनिष्ठ वर्ष से डेढ़ साल बाद, एब्राइट को कोशिका जीवन का अपना नया सिद्धान्त मिला। यह विचार उसको तब मिला जब वह एक हॉर्मोन के रासायनिक ढाँचे का एक्स-रे फोटो देख रहा था।
उन एक्स-रे फोटो को देखकर एब्राइट ने ‘यूरेका’ या ‘मुझे मिल गया।’ नहीं चिल्लाया परन्तु उसे विश्वास हो गया कि उसके कीटों के हॉर्मोन की खोजों के साथ उन तस्वीरों ने जीव विज्ञान की एक अबूझ पहेली का जवाब दे दिया था। कैसे एक कोशिका अपने डी.एन.ए. के ब्लूप्रिंट (रूपरेखा) को पढ़ लेती है। डी. एन. ए. किसी कोशिका की नाभि का एक पदार्थ होता है जो वंशक्रम को नियंत्रित करता है। यह कोशिका के रूप और क्रियाकलाप को तय करता है। इस प्रकार डी. एन. ए. जीवन का ब्लूप्रिंट है।

The Making of a Scientist Hindi Explanation – Para-13

Ebright…………………….cell life.

एब्राइट और उसके कॉलेज के सहपाठी जेम्स आर० वोंग ने सारी रात बिता दी अणुओं की तस्वीर बनाने में और प्लास्टिक के मॉडल बनाने में यह दिखाने के लिए कि ऐसा कैसे हो सकता है। बाद में दोनों ने इकट्ठे लिखकर सिद्धान्तों का विवरण किया।
रिचर्ड एब्राइट ने विश्वविद्यालय में सबसे बड़े सम्मान के साथ अपने 1510 छात्रों की कक्षा में द्वितीय स्थान प्राप्त करते हुए जब स्नातक किया तो उसको जानने वाले बिल्कुल भी हैरान नहीं हुए। एब्राइट बाद में हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में एक स्नातक छात्र अनुसंधानकर्त्ता बन गया। वहाँ पर उसने अपने सिद्धान्त को परखने के लिए प्रयोग करने शुरू किए।
यदि यह सिद्धान्त सही साबित हो जाता है तो जीवन की प्रक्रियाओं को समझने में यह एक बड़ा कदम होगा। यह शायद नए विचारों को भी जन्म देगा जो कई प्रकार के कैंसर तथा दूसरी अन्य बीमारियों को रोक सके। यह सब एब्राइट की वैज्ञानिक जिज्ञासा के कारण ही संभव है। मोनार्क प्यूपा के धब्बों पर किए गए उसके हाईस्कूल का अनुसंधान ही उसको कोशिका जीवन के सिद्धान्त की तरफ ले गया।

The Making of a Scientist Hindi Explanation – Para-14

Richard Ebright…………………….interests.

रिचर्ड एब्राइट की विज्ञान में रुचि तब से है जब से उसने तितलियों को इकट्ठा करना शुरू किया पर इतनी गहराई से नहीं कि उसे दूसरी चीजों में भाग लेने का समय ही न मिले। एब्राइट एक अच्छा वक्ता तथा अच्छा नाविक और सभी तरह की रूचियों में भाग लेने वाला व्यक्ति था। वह एक निपुण फॉटोग्राफर भी है विशेषकर प्रकृति तथा विज्ञान की प्रदर्शनियों की फोटो खीचता है।
हाईस्कूल में रिचर्ड एक सीधा सादा विद्यार्थी था। चूँकि सीखना सरल था उसने अपनी काफी ऊर्जा संयुक्त राष्ट्र क्लबों की बाद विवाद प्रतियोगिता तथा प्रतिमानों की तरफ मोड़ दीं। उसे कुछ ऐसे लोग भी मिले जिनकी उसने प्रशंसा भी की- रिचर्ड ए० व्हेरर उसके सामाजिक अध्ययन के अध्यापक तथा दोनों क्लबों के सलाहकार। “श्रीमान व्हेरर मेरे लिए पूर्ण व्यक्तित्व थे। उन्होंने मुझे नए विचार दिए”, एब्राइट ने कहा।
“रिचर्ड हमेशा अतिरिक्त प्रयास करता था।” श्रीमान व्हेरर ने बताया “मुझे जो चीज अच्छी लगती थी यहाँ वह एक ऐसा व्यक्ति था जो अपनी तितलियों तथा अन्य कीटों पर किए जाने वाले शोध के साथ-साथ रात में तीन या चार घंटे वाद-विवाद पर शोध करता था।

The Making of a Scientist Hindi Explanation – Para-15

Richard…………………….curiosity.

“रिचर्ड के अंदर प्रतियोगिता की भावना थी।” श्रीमान व्हेरर ने बात को जारी रखा। “लेकिन एक बुरे रूप में नहीं।” उन्होंने समझाया, “रिचर्ड सिर्फ इसलिए जीतने में रुचि नहीं लेता था कि उसे जीतना है या फिर कोई ईनाम जीतना है। इसके बजाए वह इसलिए जीतता था ताकि वह अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर सके। सही मायने में वह सर्वश्रेष्ठ बनना चाहता था। “
और वैज्ञानिक बनने का यह एक महत्त्वपूर्ण कारण है। कुशाग्र बुद्धि से शुरूआत करना, जिज्ञासा को शामिल करना तथा उचित कारणों के लिए जीतने की इच्छा को मिलाना। एब्राइट में ये तीनों गुण थे। जिस समय से “The Travels of Monarch X” नामक पुस्तक ने विज्ञान की दुनिया को उसके लिए खोल दिया था, तब से रिचर्ड एब्राइट ने अपनी वैज्ञानिक जिज्ञासा को कभी भी खोने नहीं दिया।

FAQs

Who is the author of the story The Making of a Scientist?

Robert W. Peterson

What is the theme of the story The Making of a Scientist?

The theme of the story ‘The Making of a Scientist’ is that starting with a sharp mind, indulging curiosity and wanting to win for the right reasons are important factors in being a scientist.

Jalandhar Paswan is pursuing Master's in Computer Applications at MMMUT Campus. He is Blogger & YouTuber by the choice and a tech-savvy by the habit.

Leave a Comment

Share via: