खुलकर सीखें के इस ब्लॉगपोस्ट में हम Bholi Class 10 Hindi Explanation यानि Class 10 NCERT English Supplementary Chapter 9 या फिर यूँ कहें की Class 10 English Footprints Without Feet Chapter 9 का लाइन बाई लाइन करके Hindi Explanation करना सीखेंगे।
लेकिन सबसे पहले Bholi Class 10 Hindi Explanation के अंतर्गत हम Bholi Class 10 के About the Author और फिर About the Lesson के बारे में पढ़ेंगे और उसके बाद हम Hindi और English में इस चैप्टर का Summary को देखेंगे।
Bholi Class 10
भोली नामक इस चैप्टर को K. A. Abbas ने लिखा है; जोकि एक भारतीय फिल्म निर्देशक, स्क्रीनराइटर और पत्रकार थे। उन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीते। चलिए लेखक K. A. Abbas के बारे में थोड़ा विस्तार से जानते हैं।
Bholi Class 10 About the Author
The chapter “Bholi” is written by K.A. Abbas. Khwaja Ahmad Abbas (1914-1987) was an eminent Indian film director, novelist, screenwriter, and journalist. He is known for his contributions to Indian cinema and his progressive social and political views.
Abbas was born in Panipat, Haryana, India. He initially worked as a journalist, writing for newspapers such as Bombay Chronicle and The Times of India. He later ventured into filmmaking and made significant contributions to Indian cinema, directing and producing films that addressed social issues and highlighted the struggles of the common people.
Apart from his work in film, Abbas was also a prolific writer. He wrote several novels, short stories, and screenplays. His writing often explored themes of social inequality, poverty, communal harmony, and the struggles of the underprivileged.
K.A. Abbas was a prominent figure in Indian cinema and literature, and his contributions continue to resonate with readers and viewers. His writing in the chapter “Bholi” reflects his compassionate outlook and his commitment to shedding light on social issues.
Bholi About the Author in Hindi
अध्याय “भोली” के.ए. अब्बास द्वारा लिखा गया है। ख्वाजा अहमद अब्बास (1914-1987) एक प्रसिद्ध भारतीय फिल्म निर्देशक, उपन्यासकार, पटकथा लेखक और पत्रकार थे। उन्हें भारतीय सिनेमा में उनके योगदान और उनके प्रगतिशील सामाजिक और राजनीतिक विचारों के लिए जाना जाता है।
अब्बास का जन्म पानीपत, हरियाणा, भारत में हुआ था। उन्होंने शुरुआत में एक पत्रकार के रूप में काम किया, बॉम्बे क्रॉनिकल और द टाइम्स ऑफ इंडिया जैसे समाचार पत्रों के लिए लेखन किया। बाद में उन्होंने फिल्म निर्माण में कदम रखा और भारतीय सिनेमा में महत्वपूर्ण योगदान दिया, ऐसी फिल्मों का निर्देशन और निर्माण किया जो सामाजिक मुद्दों को संबोधित करती हैं और आम लोगों के संघर्षों को उजागर करती हैं।
फिल्म में अपने काम के अलावा, अब्बास एक विपुल लेखक भी थे। उन्होंने कई उपन्यास, लघु कथाएँ और पटकथाएँ लिखीं। उनके लेखन ने अक्सर सामाजिक असमानता, गरीबी, सांप्रदायिक सद्भाव और वंचितों के संघर्ष के विषयों की खोज की।
के.ए. अब्बास भारतीय सिनेमा और साहित्य में एक प्रमुख व्यक्ति थे, और उनका योगदान पाठकों और दर्शकों के बीच गूंजता रहता है। “भोली” अध्याय में उनका लेखन उनके करुणामय दृष्टिकोण और सामाजिक मुद्दों पर प्रकाश डालने की उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
Bholi Class 10 About the Lesson
The chapter “Bholi” is a heartwarming story written by K.A. Abbas. It revolves around the life of a young girl named Bholi, who faces various challenges due to her appearance and stammer. She is often ridiculed by her siblings and other children in the village, which causes her to lack confidence and self-esteem. But despite initial struggles, Bholi’s life takes a positive turn when she attends school. Read this whole story carefully to understand it in detail.
Bholi About the Lesson in Hindi
अध्याय “भोली” के.ए. अब्बास द्वारा लिखित एक दिल को छू लेने वाली कहानी है। यह भोली नाम की एक युवा लड़की के जीवन के इर्द-गिर्द घूमती है, जो अपने लुक और हकलाहट के कारण विभिन्न चुनौतियों का सामना करती है। अक्सर उसके भाई-बहनों और गाँव के अन्य बच्चों द्वारा उसका उपहास उड़ाया जाता है, जिससे उसमें आत्मविश्वास और आत्म-सम्मान की कमी हो जाती है। लेकिन शुरूआती संघर्षों के बावजूद, जब भोली स्कूल जाती है तो उसके जीवन में एक सकारात्मक मोड़ आता है। इसको विस्तार से समझने के लिए इस पूरी कहानी को ध्यान से पढ़ें।
Bholi class 10 Summary
This story is about a girl named Bholi, whose real name is Sulekha. She had a brain injury in her childhood and that is probably why she stuttered. Besides this, she also suffered from smallpox which left smallpox marks on her face. This made her look ugly. People used to make fun of him because of his dull and ugly face. Also, people used to call her Bholi as she was a backward child.
His father’s name was Ramlal. Ramlal had seven children – three sons and four daughters. Bholi was the youngest of all the daughters. Everyone was healthy and strong except Bholi. Ramlal was also worried about her marriage. One day, Tehsildar Saheb came to inaugurate the primary school opened in the village. He asked Ramlal to send his daughter to school. However, Bholi’s mother was not in favour of sending her to school. Nevertheless, she agreed.
At first, Bholi got scared after hearing about the school. However, when she was properly looked after, and given nice clothes and other things, she began to believe that she was being taken to a better place than her home. She is happy to see girls of her age in school. She wanted to make one of them her friend. However, when the teacher asked her name, she stammered and all the girls laughed. This incident demoralized him badly. She started crying. But the teacher was a kind lady. She encouraged her to speak. Furthermore, she told her that she could completely overcome her stammer if she came to school daily. This gave Bholi a sign of hope and new life.
Years passed, the village turned into a small town and the small primary school became a high school. Being a town, there were other improvements as well. A marriage proposal came for Bholi. This proposal was made by a lame old man named Bishamber whose children were also grown up. However, Ramlal and his wife agreed as Bishamber was a well-settled rich man. Bholi’s sisters are envious of the pomp and grandeur at their sister’s wedding. However, when the groom was about to give the garland to the bride, a woman pulled the veil from the bride’s face. Bishamber refused to marry such an ugly girl without a dowry.
Ramlal arranged the amount. However, Bholi refused to marry such a greedy man. People were shocked to see Bholi speaking without stammering. The groom returned. Bholi tells his father that she will serve him and mother in their old age and will teach in the same school from where she has learned so many good things.
The story emphasizes the transformative power of education and how it can empower individuals to overcome obstacles and discrimination. It highlights the importance of empathy, inclusivity, and recognizing the inherent worth and potential in every individual.
Bholi Summary in Hindi
यह कहानी भोली नाम के एक लड़की की है, जिसका असली नाम सुलेखा था। बचपन मे उसके मस्तिष्क पर चोट लग गई थी और शायद इसीलिए वह हकलाती थी। इसके अलावा, वह चेचक की बीमारी से भी पीड़ित थी जिसने उसके चेहरे पर चेचक के निशान छोड़ दिए थे। इससे वह भद्दी लग रही थी। उसके सुस्त और बदसूरत चेहरे के कारण लोग उसका मज़ाक उड़ाते थे। साथ ही, लोग उसे भोली कहते थे क्योंकि वह एक पिछड़ी हुई बच्ची थी।
उसके पिता का नाम रामलाल था। रामलाल के सात बच्चे थे- तीन बेटे और चार बेटियाँ। भोली सभी बेटियों में सबसे छोटी थी। भोली को छोड़कर बाकी सभी स्वस्थ और मजबूत थे। रामलाल को उसकी शादी की भी चिंता थी। एक दिन तहसीलदार साहब गाँव में खोले गए प्राथमिक विद्यालय का उद्घाटन करने आए। उसने रामलाल से अपनी बेटी को स्कूल भेजने के लिए कहा। हालाँकि, भोली की माँ उसे स्कूल भेजने के समर्थन में नहीं थी। फिर भी, वह मान गई।
स्कूल के बारे में सुनकर पहले तो भोली डर गई। हालांकि, जब उसकी ठीक से देखभाल की गई, अच्छे कपड़े और अन्य चीजें दी गईं, तो वह मानने लगी कि उसे उसके घर से बेहतर जगह ले जाया जा रहा है। वह स्कूल में अपनी उम्र की लड़कियों को देखकर खुश होती है। वह उनमें से एक को अपना दोस्त बनाना चाहती थी। हालाँकि, जब शिक्षक ने उसका नाम पूछा, तो वह हकला गई और सभी लड़कियाँ हँस पड़ीं। इस घटना ने उसे बुरी तरह हतोत्साहित किया। वह रो पड़ी। लेकिन शिक्षिका एक दयालु महिला थीं। उसने उसे बोलने के लिए प्रोत्साहित किया। इसके अलावा, उसने उससे कहा कि अगर वह रोजाना स्कूल आए तो वह अपने हकलाने पर पूरी तरह से काबू पा सकती है। इससे भोली में आशा और नए जीवन का संकेत जागा।
साल बीतते गए, गाँव एक छोटे कस्बे में बदल गया और छोटा प्राथमिक विद्यालय हाई स्कूल में बन गया। कस्बा होने से वहाँ अन्य सुधार भी हुए। भोली के लिए शादी का प्रस्ताव आया। यह प्रस्ताव बिशम्बर नामक एक लंगड़े बूढ़े व्यक्ति का था जिसके बच्चे भी बड़े हो चुके थे। हालाँकि, रामलाल और उसकी पत्नी राजी हो गए क्योंकि बिशम्बर अच्छी तरह से सेटल एक अमीर व्यक्ति था। भोली की बहनें अपनी बहन की शादी में धूमधाम और भव्यता देखकर ईर्ष्या करती हैं। हालांकि जब दूल्हा दुल्हन को वरमाला देने ही वाला था कि एक महिला ने दुल्हन के चेहरे से घूँघट खिसका दिया। बिशम्बर ने ऐसी बदसूरत लड़की से बिना दहेज के शादी करने से इंकार कर दिया।
रामलाल ने राशि का प्रबंध किया। हालांकि, भोली ने ऐसे लालची व्यक्ति से शादी करने से इनकार कर दिया। बिना हकलाए भोली को बोलते देख लोग चौंक गए। दूल्हा वापस लौट गया। भोली ने अपने पिता से कहा कि वह उनके बुढ़ापे में उनकी और माँ की सेवा करेगी और उसी स्कूल में पढ़ाएगी जहाँ से उसने इतनी अच्छी चीजें सीखी हैं।
कहानी शिक्षा की परिवर्तनकारी शक्ति पर जोर देती है और कैसे यह बाधाओं और भेदभाव को दूर करने के लिए व्यक्तियों को सशक्त बना सकती है। यह सहानुभूति, समावेशिता, और प्रत्येक व्यक्ति में निहित मूल्य और क्षमता को पहचानने के महत्व पर प्रकाश डालती है।
QnA: Bholi Question Answer Up Board
Bholi Class 10 Hindi Explanation
चलिए अब हम Class 10 NCERT English Supplementary Chapter 9 अथवा Class 10 English Footprints without Feet Chapter 9 यानी Bholi Class 10 Paragraph Wise Explanation करना शुरू करते हैं।
From her very childhood Bholi was
neglected at home. Why did her teacher
take special interest in her? Did Bholi
measure up to her teacher’s expectations?
अपने बचपन की शुरुआत से भोली को घर पर नजरअंदाज किया जाता था। उसके अध्यापक ने उसमें विशेष रुचि क्यों दिखाई? क्या भोली अपनी अध्यापिका की अपेक्षाओं पर खरी उतर पाई?
Bholi Class 10 Hindi Explanation – Para-1
Her name……………………very little.
उसका नाम सुलेखा था, लेकिन उसके बाल्यकाल से ही प्रत्येक लोग उसे भोली अथवा बुद्धू के नाम से पुकारते थे। वह रामलाल नम्बरदार की चौथी पुत्री थी। जब वह दस महीने की हुई, तो वह अपने सिर के बल चारपाई से गिर गई थी और शायद इसके कारण उसके दिमाग का कुछ हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया था। इसीलिए वह पिछड़ी हुई बच्ची रह गई थी और उसे भोली (बुद्धू) नाम दे दिया गया था।
जन्म के समय वह एक बहुत गोरी और सुंदर बच्ची थी। लेकिन दो वर्ष की आयु में उस पर चेचक का आक्रमण हो गया। केवल उसकी आँखें ही सुरक्षित थीं, पर उसका सारा शरीर स्थायी रूप से गहरे काले चेचक के दागों से कुरूप हो गया। छोटी सुलेखा पाँच वर्ष की उम्र तक कुछ भी नहीं बोलती थी और अब अन्त में उसने बोलना सीखा, तो वह हकलाती थी। दूसरे बच्चे प्रायः उसकी खिल्ली उड़ाते और उसकी नकल किया करते थे। इसके परिणामस्वरूप वह बहुत कम बोलती थी।
Bholi Class 10 Hindi Explanation – Para-2
Ramlal had…………………….intelligence.
रामलाल के सात बच्चे थे- तीन बेटे और चार बेटियाँ; और उनमें से भोली सबसे छोटी थी। रामलाल का घर एक समृद्ध किसान का था और वहाँ खाने-पीने का कोई अभाव नहीं था अर्थात् प्रचुरता थी। उसके सभी बच्चे भोली के अतिरिक्त स्वस्थ और पुष्ट थे। बेटों को पढ़ने के लिए शहर के स्कूल में और फिर कॉलेज में भेजा गया था। बेटियों में राधा सबसे बड़ी थी, उसकी शादी पहले ही हो चुकी थी। दूसरी बेटी मंगला की भी शादी तय तो चुकी थी और यह काम संपन्न हो गया, तो रामलाल ने तीसरी बेटी चंपा की चिंता की। वे सभी सुंदर, स्वस्थ लड़कियाँ थीं, और उनके लिए दुल्हों की तलाश करना मुश्किल नहीं था।
लेकिन रामलाल भोली के बारे में चिन्तित था। वह न सुन्दर थी और न ही समझदार।
Bholi Class 10 Hindi Explanation – Para-3
Bholi was…………………….and sold.
भोली की उम्र सात वर्ष थी जब मंगला की शादी हुई थी। उसी वर्ष उनके गाँव में लड़कियों के लिए एक प्राइमरी स्कूल खोला गया था। स्कूल का उद्घाटन समारोह के लिए तहसीलदार साहब पधारे थे। उसने रामलाल से कहा, “राजस्व अधिकारी की हैसियत से तुम इस गाँव में सरकारी प्रतिनिधि हो तथा तुम्हें ग्रामवासियों के सामने उदाहरण प्रस्तुत करना होगा। तुम्हें अपनी बेटियों को स्कूल भेजना होगा।”
उस रात जब रामलाल ने अपनी पत्नी से सलाह की तो वह चिल्लाई, “क्या तुम पागल हो गये? यदि लड़कियाँ स्कूल जायेंगी, तो उनसे शादी कौन करेगा?” लेकिन रामलाल में तहसीलदार की आज्ञा का उल्लंघन करने का साहस नहीं था। अंत में उसकी पत्नी ने कहा, “मैं आपको बताऊँगी कि क्या किया जाना चाहिए। भोली को स्कूल भेज दो। जैसा कि स्पष्ट है, उसकी शादी होने के अवसर नहीं हैं, क्योंकि उसका चेहरा भद्दा है और उसमें समझ की कमी है। अध्यापकों को स्कूल में उसमें बारे में चिन्ता करने दो।”
अगले दिन रामलाल ने भोली का हाथ पकड़ा तथा बोला, “मेरे साथ आओ। मैं तुम्हें स्कूल ले चलूँगा।” भोली डर गई। वह नहीं जानती थी कि स्कूल क्या बला है। उसे याद आया कि कुछ दिन पूर्व उनकी बूढ़ी गाय लक्ष्मी को घर से बाहर निकाल दिया गया था, तथा उसे बेच दिया गया था।
Bholi Class 10 Hindi Explanation – Para-4
“N-n-n……………………the classrooms.
“नहीं, नहीं” वह भय से चीखी तथा उसने अपना हाथ पिता के हाथ से छुड़ा लिया।
“क्या हो गया है तुम्हें, मूर्ख!”, रामलाल गरजे। “मैं तुम्हें स्कूल ही तो ले जा रहा हूँ। फिर वह अपनी पत्नी से बोला, “इसे आज कुछ अच्छे वस्त्र पहनाओ अन्यथा शिक्षक तथा स्कूल की अन्य लड़कियाँ इसे देखकर हमारे बारे में क्या सोचेंगी?” भोली के लिए कभी भी नए वस्त्र नहीं सिलाए गए थे। उसकी बहनों की पुरानी पोशाकें ही उसे पहनाई जाती थी। कोई भी उन वस्त्रों की न तो मरम्मत करता था, न ही घुलाई। पर आज भोली का सौभाग्य था कि उसे ऐसे साफ वस्त्र पहनने को दिए गए जो कई बार धुलने के पश्चात् सिकुड़ गए थे तथा चंपा को अब छोटे हो गए थे। भोली को नहलाया गया, उसके सूखे उलझे केशों में तेल लगाया गया। तब उसे विश्वास जम पाया कि उसे अपने घर से श्रेष्ठ किसी अन्य स्थान पर ले जाया जा रहा है।
जब वे स्कूल पहुँचे, बच्चे कक्षाओं में पहले से बैठे थे। रामलाल ने अपनी बेटी प्राचार्या को सौंप दी। अकेली रह जाने के कारण भोली ने भयभीत आँखों से अपने चारों ओर देखा। वहाँ अनेक कमरे थे और हर कमरे में लड़कियाँ चटाइयों पर बैठी थी, या तो पुस्तकें पढ़ रही थीं या स्लेट पर लिख रही थी। प्राचार्या ने भोली से कहा- “एक कोने में बैठ जाओ।”
Bholi Class 10 Hindi Explanation – Para-5
Bholi did…………………….ather.
भोली यह नहीं जानती थी कि स्कूल वास्तव में कैसा था और वहाँ क्या होता है, लेकिन अपनी ही आयु की अनेकों लड़कियों के वहाँ हाजिर होने पर खुश थी। उसने आशा की थी कि इन लड़कियों में से कोई एक उसकी दोस्त जरूर बनेगी। अध्यापिका कक्षा में कुछ कह रही थी, लेकिन भोली को कुछ भी समझ में नहीं आया। वह दीवार पर लगे चित्रों की ओर देखती रही। उनके रंग उसे लुभावने लगे। घोड़ा उसी प्रकार भूरा था जिस पर तहसीलदार गाँव का दौरा करने आया था, बकरी का रंग उसके पड़ोसी की बकरी की तरह काला था, तोते का रंग हरा था जैसे तोते उसने आम के बगीचे में देखे थे और गाय बिल्कुल उनकी लक्ष्मी की भाँति ही थी और अचानक भोली ने अध्यापिका को अपने पास उसकी ओर मुस्कुराते हुए खड़े देखा।
Bholi Class 10 Hindi Explanation – Para-6
“What’s…………………….at her.
“छोटी बच्ची, तुम्हारा क्या नाम है?”
“भो-भो-भी” वह हकलाने के कारण आगे नहीं बोल सकी।
फिर उसने रोना शुरू कर दिया और उसकी आँखों से आँसुओं की बाढ़ ही निकल पड़ी। अपना सिर नीचे झुकाए वह कोने में बैठी रही, अन्य लड़कियों की ओर देखने का साहस नहीं हुआ। वह जानती थी कि वे अब भी उस पर हँस रही थीं। जब स्कूल की घंटी बजी तो सभी लड़कियाँ शीघ्रता से कक्षा से बाहर निकल गई, पर भोली का कमरे के कोने से उठने का साहस नहीं हुआ। उसका सिर अब भी झुका हुआ था और वह सिसक रही थी।
“भोली”
शिक्षिका का स्वर इतना कोमल तथा शांतिप्रद था; अपने सम्पूर्ण जीवन में इस प्रकार से उसे कभी नहीं बुलाया गया था। शिक्षिका के शब्दों ने उसके हृदय को छू लिया। अध्यापिका ने कहा, “उठो।” यह आदेश नहीं था, बल्कि एक मित्रतापूर्ण सुझाव था। भोली खड़ी हो गई। “अब मुझे अपना नाम बताओ।”
उसका पूरा शरीर पसीने से भीग गया। क्या उसकी हकलाहट उसे फिर से लज्जित करेगी? इस दयालु महिला की खातिर, फिर भी, भोली ने एक कोशिश करने का निश्चय किया। उसकी आवाज इतनी सुखद थी; वह उसकी हँसी नहीं उड़ायेगी।
Bholi Class 10 Hindi Explanation – Para-7
“Bh-Bh-Bho………………………new life.
“भो भो भो”, उसने हकलाना शुरू किया।
“शाबाश, शाबाश” अध्यापिका ने उसे प्रोत्साहित किया। “हाँ, हाँ, अब अपना पूरा नाम बताओ।”
“भो-भो भोली” अंत में उसने कह ही दिया तथा उसे बहुत राहत मिली मानों वह उसकी एक महान उपलब्धि थी।
“शाबाश।” अध्यापिका ने प्यार से उसकी पीठ थपथपाई तथा कहा, “अपने मन से भय हटा दो तथा तुम अन्य बच्चों की भांति बोलने लगोगी।”
भोली ने मानो यह पूछने के लिए सिर उठाया “सचमुच”?
“हाँ, हाँ यह बहुत आसान काम होगा। तुम केवल हर-दिन स्कूल आओ आओगी न?” भोली ने स्वीकृति में सिर हिला दिया।
“नहीं ऊंचे स्वर में बोलो।”
“हाँ, हाँ और भोली को स्वयं आश्चर्य हो गया कि वह इतना बोल सकी।
“क्या मैंने तुम्हें बताया नहीं था? अब यह पुस्तक लो।”
पुस्तक में सुन्दर चित्रों की भरमार थी तथा वे रंगीन चित्र थे- कुत्ता, बिल्ली, बकरी, घोड़ा, तोता, बाघ और गाय के चित्र, गाय लक्ष्मी जैसी और हर चित्र के साथ एक शब्द काले अक्षरों में लिखा था।
“एक महीने में ही तुम यह पुस्तक पढ़ सकोगी। तब मैं तुम्हें एक बड़ी किताब दूंगी, तब उससे भी कहीं ज्यादा बड़ी। कुछ समय में तुम गाँव के किसी भी अन्य व्यक्ति से अधिक शिक्षित हो जाओगी। तब कोई तुम्हारा मजाक उड़ाने योग्य नहीं होगा। सम्मान के साथ में लोग तुम्हें ध्यान से सुनेंगे और तुम बिना जरा-सी भी हकलाहट के बोल सकोगी समझी? अब घर जाओ, और कल सुबह सवेरे फिर से आ जाना।”
भोली को लगा जैसे अचानक गाँव के मंदिर की सभी घंटियाँ अचानक बजने लगी हो और स्कूल भवन के सामने के पेड़ों में बड़े लाल फूल खिल उठे हो। उसका दिल एक नई आशा और एक नये जीवन से धड़क रहा था।
Bholi Class 10 Hindi Explanation – Para-8
Thus the…………………….dumb cow.”
इस प्रकार अनेकों वर्ष बीत गए।
गाँव एक छोटा कस्बा बन गया। छोटी-सी प्राथमिक पाठशाला हाईस्कूल बन गई। अब टिन शेड के नीचे एक सिनेमा घर तथा बिनौले से रूई अलग करने का कारखाना भी लग चुका था। माल-गाड़ी अब उनके स्टेशन पर रुकने लगी थी।
एक रात भोजन के बाद, रामलाल ने अपनी पत्नी से कहा, “तब, क्या मैं बिशम्बर का शादी का प्रस्ताव स्वीकार कर लूँ?”
“हाँ अवश्य”, उसकी पत्नी ने कहा। “भोली ऐसे धनी दुल्हे को पाने पर भाग्यशाली हो जायेगी। एक बड़ी दुकान, अपना स्वयं का मकान और मैंने सुना है कि अनेकों हजार रुपये उसके बैंक में जमा हैं इससे बड़ी बात यह है कि वह कोई दहेज की मांग नहीं कर रहा है।”
“यह तो ठीक है पर वह इतना जवान नहीं है, तुम जानती हो वह लगभग मेरी आयु का है और वह लंगड़ाता भी है। इसके अतिरिक्त, उसकी पहली पत्नी के बच्चे काफी बड़े हो चुके हैं।”
“तो इससे क्या फर्क पड़ता है?”, पत्नी ने उत्तर दिया। पैंतालीस या पचास एक पुरुष के लिए यह कोई बड़ी आयु नहीं होती। हम सौभाग्यशाली हैं कि वह दूसरे गाँव का है और वह उसके चेचक के दाग से पूर्ण चेहरे के बारे में तथा उसकी नासमझी के बारे में नहीं जानता। यदि हम इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करेंगे, तो वह आजीवन कुंवारी ही रह जायेगी।”
“हाँ, लेकिन मैं हैरान हूँ कि भोली क्या कहेंगी।”
“वह बेवकूफ क्या कहेंगी? वह तो एक मूक गाय की भाँति है।”
Bholi Class 10 Hindi Explanation – Para-9
“May be…………………….her face.
“हो सकता है कि तुम ठीक कह रही हो।”, रामलाल बड़बड़ाया।
आँगन के दूसरे कोने में, भोली अपनी चारपाई पर जागी हुई लेटी हुई थी और वह अपने माता-पिता की फुसफुसाहट वाली वार्तालाप को सुन रही थी।
बिशम्बर नाथ एक धनी पंसारी था। वह दोस्तों तथा रिश्तेदारों की एक बड़ी पार्टी को अपने साथ लेकर विवाह के लिए आया। वह पीतल वाला बैंड किसी भारतीय फिल्म का एक लोकप्रिय गाना गाते हुए आगे-आगे चल रहा था। दूल्हा एक सजे हुए घोड़े पर सवार था। रामलाल इतनी ठाठ-बाट और शान-शौकत देखकर फूला न समाया। उसने सपने में भी नहीं सोचा था कि उसकी चौथी बेटी का विवाह इतनी धूमधाम से होगा। भोली की बड़ी बहनें इस मौके पर हाजिर थीं, उन्हें भोली की किस्मत(भाग्य) पर ईर्ष्या होने लगी।
जब शुभ घड़ी आई तो पंडित जी ने कहा, “दुल्हन को लाओ।”
भोली, दुल्हन की लाल रेशमी साड़ी पहने पवित्र अग्नि के पास लाई गई।
“दुल्हन को माला पहनाओ।”, बिशम्बर के एक मित्र ने उसे उकसाया।
दूल्हा ने पीले गेंदे के फूलों की माला उठाई। एक औरत ने दुल्हन के चेहरे से रेशमी घूंघट हटा दिया। बिशम्बर ने भोली के चेहरे की ओर निगाह डाली। जयमाला उसके हाथों में ठहर गई। तब दुल्हन ने धीरे से अपने चेहरे पर घूँघट डाल लिया।
Bholi Class 10 Hindi Explanation – Para-10
“Have you…………………….the veil.
“क्या तुमने उसे देखा है?”, बिशम्बर के पास खड़े एक दोस्त ने कहा, “उसके चेहरे पर चेचक के निशान (दाग) हैं।”
“तो क्या हुआ? तुम भी युवा नहीं हो।”
“हो सकता है। लेकिन यदि मुझे उससे विवाह करना है तो उसके पिता को मुझे पाँच हजार रुपये दहेज में देने होंगे।”
रामलाल आगे बढ़ा और उसने अपनी पगड़ी उतार कर बिशम्बर के पाँवों में रख दी।
“मुझे इस प्रकार लज्जित मत करो। दो हजार रुपये ले लो।”
“नहीं, पाँच हजार, अन्यथा हम वापस चले जाएंगे। अपनी बेटी को घर में बैठा लो।”
“मुझ पर कुछ तो रहम (कृपा) कीजिए, कृपया यदि आप वापस चले गए, तो मैं गाँव में अपना चेहरा कभी नहीं दिखाने लायक रहूँगा।”
“तो फिर पाँच हजार रुपये निकालो।”
आँखों में आँसू लुड़काते हुए रामलाल घर के अन्दर गया, उसने तिजोरी खोली और नोटों की गिनती की। उसने नोटों का बंडल दुल्हे के चरणों में रख दिया।
बिशम्बर के लालची चेहरे पर विजयी मुस्कान आ गई। उसने जुआ खेला था और जीत गया था। “मुझे जयमाला दो”, उसने घोषणा की।
एक बार फिर से दुल्हन के चेहरे पर से घूंघट हटाया गया, लेकिन इस बार उसकी दृष्टि नीचे झुकी हुई नहीं की। वह ऊपर की ओर, सीधी अपने होने वाले पति की ओर देख रही थी और उसकी आँखों में कोई गुस्सा अथवा घृणा नहीं थी, केवल ठण्डी नफरत थी।
बिशम्बर ने दुल्हन के गले में जयमाला डालनी चाही लेकिन वह जयमाला डाल पाता उससे पूर्व ही भोली का हाथ बिजली की लकीर की भाँति आगे बढ़ा और उसने जयमाला आग में गिरा दी। वह उठ खड़ी हुई और घूंघट उतार फेंका।
Bholi Class 10 Hindi Explanation – Para-11
“Pitaji!…………………….ijjat!”
“पिताजी।” भोली ने स्पष्ट आवाज में कहा और उसके पिता, माँ, बहनें, भाई, रिश्तेदार और पड़ोसी उसे बिना किसी हिचक के बोलते हुए देखकर चौंक गये।
“पिताजी।” अपना पैसा वापस ले लो। मैं इस व्यक्ति के साथ शादी नहीं करूंगी। रामलाल दंग रह गया।
मेहमानों में फुसफुसाहट शुरू हो गई, “इतनी बेशर्म!, इतनी कुरूप और इतनी बेशर्म!”
“भोली, क्या तुम पागल हो गई हो, “रामलाल चिल्लाया। “तुम अपने परिवार को बेइज्जत करना चाहती हो? क्या तुम्हें हमारी इज्जत का कोई ख्याल है?”
Bholi Class 10 Hindi Explanation – Para-12
“For the…………………….and same.
“आपकी इज्जत के खातिर”, भोली ने कहा, “मैं इस लंगड़े-बूढ़े आदमी से शादी करने के लिए तैयार हुई थी। लेकिन मैं अपने पति के रूप में ऐसे नीच, लोभी तथा घृणित कायर व्यक्ति को स्वीकार नहीं करूंगी, मैं नहीं करूंगी, मैं नहीं करूँगी।
कितनी बेशर्म लड़की है। हम सबने सोचा कि वह एक निर्दोष गूँगी गाय है। भोली उस बूढ़ी औरत की ओर तेजी से मुड़ी। “जी हाँ, चाची जी, आप ठीक कहती हैं। आप सबने सोचा था कि मैं बेजुवान गाय हूँ। इसी कारण आप मुझे इस कठोर दिल वाले जीव को सौंप देना चाहती थीं। पर अब गूँगी गाय, जो हकलाती हुई मूर्ख थी बोल रही है। क्या आप कुछ और सुनना चाहती हैं?” बिशम्बर नाथ पंसारी अपनी पार्टी के साथ वापस जाने लगा। बिचलित बैंड वालों ने सोचा कि अब विवाह संपन्न हो गया है, इसलिए उन्होंने विवाह समापन वाला गीत बजाना शुरू कर दिया।
रामलाल जैसे जमीन में गड़ गया था, उसका सिर दुःख और शर्म से नीचे झुका हुआ था।
Bholi Class 10 Hindi Explanation – Para-13
The flames…………………….masterpiece.
पवित्र अग्नि की लौ धीरे-धीरे बुझ गई। प्रत्येक व्यक्ति जा चुका था। रामलाल भोली की ओर मुड़ा और उसने पूछा, “लेकिन तुम्हारा क्या होगा, अब कोई भी तुमसे शादी नहीं करेगा। हम तुम्हारा क्या करेंगे?”
और सुलेखा ने शांत और स्थिर स्वर में कहा, “आप चिन्ता न करें, पिताजी! आपके बुढ़ापे में, मैं आपकी और माँ की सेवा करूंगी और उसी स्कूल में पढ़ाऊँगी जहाँ मैंने इतना सीखा है।”
“क्या यह ठीक रहेगा, मैडम?”
अध्यापिका इस दौरान एक कोने में खड़ी इस सारे नाटक को देख रही थी। उसने उत्तर दिया, “हाँ, क्यों नहीं भोली।” और उसकी मुस्कान में गहरे संतोष का प्रकाश था जैसा एक कलाकार महसूस करता है जब वह अपनी सर्वोत्तम कृति को पूर्ण होते हुए देखता है।
FAQs
‘Khwaja Ahmad Abbas (K.A. Abbas)’ is the author of the story Bholi.
What was the real name of Bholi?
The real name of Bholi was Sulekha.